जोधपुर. विद्यालय संबलन कार्यक्रम ने सरकारी स्कूलों में हो रही पढ़ाई की पोल खोल दी है। हालत यह है कि सातवीं कक्षा के बच्चे तीसरी क्लास की किताब तक नहीं पढ़ सकते, जबकि सरकार शिक्षा का स्तर सुधारने के दावे कर रही है।
इसका नमूना शनिवार को नजर आया, जब कलेक्टर गौरव गोयल सौ सवालों के साथ राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय भगत की कोठी गए तो वहां बच्चे बीस सवालों का भी जवाब नहीं दे पाए। ऐसे में कलेक्टर ने स्टाफ को चेतावनी देते हुए कहा, ‘एक महीने की मोहलत देता हूं। बच्चों को अंग्रेजी, गणित और हिंदी के पाठ याद करवा देना।’
कलेक्टर गोयल सुबह करीब सवा दस बजे राबाउप्रावि भगत की कोठी पहुंचे और ब्लैक बोर्ड पर बच्चों को पाठ पढ़ाने लगे। उन्होंने दो घंटे में तीसरी, पांचवीं व छठी की क्लास लेकर बच्चों से 100 सवाल पूछे।
तीसरी कक्षा : राउप्रावि, भगत की कोठी में कलेक्टर ने पूछा कि जून के बाद कौनसा महीना आता है तो बच्चों ने कहा, अगस्त। उन्होंने पूछा कि 15 में से 7 खरगोश भाग गए तो पीछे कितने बचे तो बच्चे कुछ नहीं बोले। उन्होंने सप्ताह में कितने दिन और एक रुपए में कितने पैसे के बारे में पूछा तो कोई जवाब नहीं दे सका। वहीं 124 व 126 की बीच संख्या पूछे जाने पर भी बच्चे खामोश रहे।
पांचवीं कक्षा : कलेक्टर ने पूछा कि अप्रैल के बाद कौनसा महीना आता है तो बच्चों ने कहा, जुलाई। प्रतिशत का सरलतम रूप, क्षेत्रफल, बुधवार के बाद क्या आता है? जैसे सवालों पर बच्चे चुप रहे। उन्होंने बच्चों से ‘गेट अप अर्ली इन द मॉर्निग’ की स्पेलिंग और इसका हिंदी में मतलब पूछा तो कोई उत्तर नहीं दे सका।
छठी कक्षा : उन्होंने पूछा कि एक पेड़ पर 16 में से 9 चिड़िया उड़ गईं तो कितनी चिड़िया बचीं। बच्चों ने जवाब दिया पांच। फिर उन्होंने ब्रदर, ब्वॉय और ग्रीन की स्पेलिंग लिखने को कहा, लेकिन सभी बच्चों ने गलत स्पेलिंग लिखी। उन्होंने पूछा कि एक लीटर में कितने मिलीलीटर और 1 मिनट में कितने सैकंड होते हैं तो सिर्फ एक बच्ची ने जवाब दिया, शेष सभी खामोश रहे।
ऐसे तो बच्चों का क्या होगा
तीन क्लासों में जब बच्चे अंग्रेजी और गणित के सवालों का जवाब नहीं दे सके तो कलेक्टर ने टीचर से पूछा कि यहां पर अंग्रेजी और गणित कौन पढ़ाता है। जब गणित की अध्यापिका प्रेमलता आईं तो उसे फटकार लगाते हुए कलेक्टर ने कहा कि मैडम, आप पढ़ाती नहीं हैं। किसी भी बच्चे को लिखना नहीं आता। सिर्फ दो बच्चे गणित के सवाल कर पा रहे हैं। बाकी का क्या होगा?
आठ साल से लाइट नहीं
पिछले आठ साल से स्कूल में लाइट नहीं होने की शिकायत स्टाफ ने कलेक्टर से की तो उन्होंने कहा कि एसएफजी का पैसा मिलता है। स्टाफ ने कहा, हमें तो पता नहीं। कलेक्टर ने कहा पहले पता करो और एसएफजी से बिजली के बिल जमा कराओ।
कलेक्टर ने दी अगले महीने फिर आने की चेतावनी
कलेक्टर गोयल ने कहा कि स्कूल में सिर्फ दस प्रतिशत बच्चों को ही अंग्रेजी व गणित आती है। शिक्षा का स्तर न्यूनतम है। ऐसे में दो महीने में बच्चों का रिजल्ट सुधारना नामुमकिन है। उन्होंने स्टाफ को चेताया कि सुधार कर लेना, नहीं तो वे अगले महीने फिर आएंगे। तब वे उन्हें छोड़ेंगे नहीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें