बुधवार, 9 जनवरी 2013

बालोतरा को जिला बनाने की मांग को लेकर राजनीती गरमाई

अब तो बालोतरा को जिला बना दो ...

बालोतरा को जिला बनाने की मांग को लेकर राजनीती गरमाई 

पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के दो जिले जैसलमेर और बाड़मेर देश के पांच राज्यों से बड़े है। बाडमेर के मुनाबाब रेलवे स्टेशन से ही भारत और पाकिस्तान के बीच रेल भी संचालित होती है। जैसलमेर और बाड़मेर दोनों ही जिलों का क्षेत्रफल देश के पांच राज्यों से भी ज्यादा है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक मणिपुर 22347, मेघालय 22429, मिजोरम 21081, नागालैंड 16579 तथा सिक्किम 7096 किमी क्षेत्रफल वाले राज्य हैं। बाड़मेर का क्षेत्रफल सिक्किम से तो चार गुना ज्यादा है। वहीं जैसलमेर जिला तो बाड़मेर से बड़ा है, हालांकि दोनों ही जिलों का अधिकांश हिस्सा रेगिस्तानी है, यहां आबादी दूर-दूर बसी हुई है। दोनों ही जिलों की पाकिस्तान में काफी रिश्तेदारियां भी हैं।

देश के पांच राज्यों से बड़े होने के कारण अब दो की बजाय पांच जिले बनाए जाने को लेकर राजस्थान में राजनीति तेज हो गई है। इस साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिहाज से अब कांग्रेस एवं भाजपा के नेता दो के स्थान पर पांच जिले बनाने को लेकर लॉबिंग में जुट गए हैं। मामला कांग्रेस आलाकमान तक पहुंच गया है। दोनों ही जिलों के आधा दर्जन कांग्रेसी विधायक एवं पार्टी पदाधिकारी पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर दो के बजाय पांच जिले बनाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निर्देश देने का आग्रह कर चुके हैं। दोनों जिले के वरिष्ठ नेता अब 18 से 20 जनवरी तक जयपुर में होने वाले कांग्रेस चिंतन शिविर में यह मामला फिर कांग्रेस अध्यक्ष के समक्ष उठाने की रणनीति बनाई है। इन नेताओं का तर्क है कि बाड़मेर जिले के सबसे बड़े कस्बे बालोतरा को जिला बनाने की मांग 1964 से की जा रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा तर्क यह है कि बाड़मेर का क्षेत्रफल 18,387 वर्ग किमी होने से लोगों को एक से दूसरी जगह पहुंचना भारी पड़ जाता है। बालोतरा वालों को जिला मुख्यालय में काम के लिए 110 किमी का सफर तय करना पड़ता है।

बुजुर्गो की मानें तो जिला बनने का पहला मौका बाड़मेर से पहले बालोतरा को ही मिला था, लेकिन कुछ कारणों से पीछे रह गया। बाद में जब लोगों को जिला बनने के फायदों का पता चला तो आंदोलन शुरू हो गए, जो 48 साल बाद भी जारी हैं। बालोतरा जिला निर्माण एवं विकास समिति की ओर से सरकार को जो रिपोर्ट दी है, उसमें बाड़मेर जिले के क्षेत्रफल को आधार मानते हुए अलग जिले की जरूरत बताई है। समिति की दलील है कि कई जिलों का क्षेत्रफल बाड़मेर से 20 प्रतिशत से भी कम है। मसलन राज्य के डूंगरपुर जिले का क्षेत्रफल 3770, धौलपुर 3500, सिरोही 5136, बांसवाड़ा 5037 और बूंदी का 5550 वर्ग किमी है। इस हिसाब से बाड़मेर जिले को तोड़कर पांच से छह जिले बनाए जा सकते है। बाड़मेर जिले की लंबाई करीब 325 किमी और चौड़ाई 275 किमी है। बालोतरा क्षेत्र के कई गांवों के लोगों को बाड़मेर पहुंचने के लिए दो-तीन जगह यातायात के साधन बदलने पड़ते हैं। गोदावास, गवालनाड़ा, डोली, कोरणा, मंडली आदि बाड़मेर से 180 किमी दूर है। बालोतरा को जिला बनाने से मुख्यालय से कोई भी क्षेत्र 75 किमी से दूर नहीं होगा। बालोतरा में सभी सरकारी कार्यालय है अगर इसे जिला बनाया जाता है तो तत्काल भवन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पालिका का अपना बड़ा भवन है। इसके अलावा पालिका ने आवासीय और सरकारी कार्यालयों के उद्देश्य से करीब 934 बीघा जमीन पहले से ही अवाप्त कर रखी है। समिति ने जो रिपोर्ट सरकार को दी है, उसमें प्रस्तावित बालोतरा जिले में पचपदरा और सिवाना तहसील को शामिल करने की मांग है। इन दोनों की कुल जनसंख्या 6 लाख 96 हजार 117 है। इनमें 411 राजस्व गांव और 106 पटवार मंडल है। अगर जिले के लिहाज से यह जनसंख्या कम पड़ती है तो सिवाना उपखंड के समदड़ी और बालोतरा उपखंड के कल्याणपुर और मंडली को नई तहसीलें बनाकर शामिल किया जा सकता है।

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