नई दिल्ली। मेंढर में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारतीय जवानों का सिर कलम किए जाने की घटना के बाद सेना और आम भारतीयों में गुस्साहै। लेकिन फौजी संयम रखे हुए हैं और हाईकमान के ऑर्डर का इंतजार कर रहे हैं। बीएसएफ अलर्ट है। भारत ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को तलब कर लिखित विरोध जताया है। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि पाकिस्तान की कार्रवाई उकसाने वाली है। लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत को ही कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि भारत जांच करवाए क्योंकि सैनिक उसकी सीमा में ही मरे हैं। खार ने कहा है कि पाकिस्तान बदला लेने की नीति में यकीन नहीं रखता है। दोनों देशों को दुश्मनी नहीं बढ़ानी चाहिए।
लेकिन विशेषज्ञ सरकार के रुख को सतही मानते हुए कड़ी कार्रवाई की जरूरत बता रहे हैं। ले. जनरल (रिटायर्ड) शंकर प्रसाद ने कहा कि शांति काल में इससे बड़ी हरकत नहीं हो सकती। इसके लिए पाकिस्तान को माफी मांगनी पड़ेगी। हमें यह मुद्दा इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस, अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराधों के खिलाफ बनी कमेटी, मानवाधिकार संगठनों, यूएन सहित तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में उठाना चाहिए।
हालांकि पाकिस्तान में उच्चायुक्त रह चुके जी. पार्थसारथी ने कहा कि अमेरिका में दोनों पक्ष को संयम बरतने की सलाह दी है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंच पर मामला उठाने से ठोस हल निकलने की उम्मीद नहीं है। अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराधों के खिलाफ बनी कमेटी बनते वक्त भारत शामिल नहीं हुआ था। इसलिए वहां भी भारत के लिए उम्मीद कम है। दूसरी बात, पाकिस्तान ने भी भारत पर अपने सैनिकों की हत्या का आरोप लगाया है (हालांकि भारत इससे इनकार कर रहा है)। अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुद्दा उठा तो यह बात भी आएगी। ऐसे में इससे कोई ठोस हल नहीं निकलने वाला है। उन्होंने कहा कि उपयुक्त समय पर भारत इस कार्रवाई का ठोस जवाब दे, बिना ऐलान किए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसा कर नहीं पाएगी।
जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी ने कहा कि पुश्तिया में सन 1971 में भी पाकिस्तानी सेना ने ऐसा ही किया था। तब उसने भारतीय सैनिकों की आंखें तक निकाल ली थीं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना कई बार अपना अमानवीय चेहरा दिखा चुकी है और हम मुंह से बोलते रहते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए, नहीं होगा, यह हास्यास्पद है।
सी. उदय भाष्कर ने कहा कि यह कारगिल के बाद बड़ी सैन्य हरकत है। भारत को इसका डट कर सामना करना चाहिए। 2009 में 28, 2010 में 44 और 2011 में 51 बार पाकिस्तान की ओर से युद्धविराम का उल्लंघन किया गया है।
लेकिन विशेषज्ञ सरकार के रुख को सतही मानते हुए कड़ी कार्रवाई की जरूरत बता रहे हैं। ले. जनरल (रिटायर्ड) शंकर प्रसाद ने कहा कि शांति काल में इससे बड़ी हरकत नहीं हो सकती। इसके लिए पाकिस्तान को माफी मांगनी पड़ेगी। हमें यह मुद्दा इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस, अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराधों के खिलाफ बनी कमेटी, मानवाधिकार संगठनों, यूएन सहित तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में उठाना चाहिए।
हालांकि पाकिस्तान में उच्चायुक्त रह चुके जी. पार्थसारथी ने कहा कि अमेरिका में दोनों पक्ष को संयम बरतने की सलाह दी है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंच पर मामला उठाने से ठोस हल निकलने की उम्मीद नहीं है। अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराधों के खिलाफ बनी कमेटी बनते वक्त भारत शामिल नहीं हुआ था। इसलिए वहां भी भारत के लिए उम्मीद कम है। दूसरी बात, पाकिस्तान ने भी भारत पर अपने सैनिकों की हत्या का आरोप लगाया है (हालांकि भारत इससे इनकार कर रहा है)। अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुद्दा उठा तो यह बात भी आएगी। ऐसे में इससे कोई ठोस हल नहीं निकलने वाला है। उन्होंने कहा कि उपयुक्त समय पर भारत इस कार्रवाई का ठोस जवाब दे, बिना ऐलान किए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसा कर नहीं पाएगी।
जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी ने कहा कि पुश्तिया में सन 1971 में भी पाकिस्तानी सेना ने ऐसा ही किया था। तब उसने भारतीय सैनिकों की आंखें तक निकाल ली थीं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना कई बार अपना अमानवीय चेहरा दिखा चुकी है और हम मुंह से बोलते रहते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए, नहीं होगा, यह हास्यास्पद है।
सी. उदय भाष्कर ने कहा कि यह कारगिल के बाद बड़ी सैन्य हरकत है। भारत को इसका डट कर सामना करना चाहिए। 2009 में 28, 2010 में 44 और 2011 में 51 बार पाकिस्तान की ओर से युद्धविराम का उल्लंघन किया गया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें