मंगलवार, 1 जनवरी 2013

"आत्ममुखी बनने का प्रयास करें"

"आत्ममुखी बनने का प्रयास करें"
बाड़मेर। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आदमी रक्षा का प्रयास करता है। राष्ट्र की रक्षा का भी प्रयास होता है। देश की सीमाओं पर जागरूकता रखी जाती है ताकि राष्ट्र को खतरा उत्पन्न नहीं हो। अपने देश की रक्षा करना अपेक्षित होता है। शरीर को भी सुरक्षित रखने का प्रयास होता है। प्रतिकूलता से शरीर को बचाने का प्रयास होता है। आत्मा की सुरक्षा का भी प्रयास होना चाहिए। आदमी आत्ममुखी बनने का प्रयास करें।

आचार्य ने जैन एकता के मानक विषय पर कहा कि व्यक्ति में विद्वेष्ा का भाव नहीं रहना चाहिए। उसमें पवित्र सौहार्द का भाव रहे। उन्होंने कहा कि जैन पंचाग ऎसा हो जो सर्वमान्य हो। एक पंचाग तय कर दो, उसमें तिथियां आदि समान रहे तो कुछ एकता बन सकती है। इससे सम्वत्सरी मनाने की भिन्नता भी समाप्त हो सकती है। सौहार्द का आधार स्वार्थ होने पर वह कल्याणकारी नहीं हो सकता। सौहार्द के पीछे किसी की कमजोरी को छिपाना नहीं चाहिए। वास्तव में सौहार्द है तो एक-दूसरे की कमजोरियों को बताएं तथा कमजोरी बताने पर सकारात्मक भाव रखें। एक-दूसरे की कमजोरियों की ओर इंगित करके एक-दूसरे के कल्याण में सहभागी बने।

साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि भारत ऎसा देश है जो अपनी आध्यात्मिक व सांस्कृतिक श्रेष्ठताओं से प्रसिद्घ है। भारत में सभी धर्म के लोग अपनी आस्था के अनुसार आराधना कर सकते हैं। जैन धर्म के अनेकांत के सिद्घांत में भिन्नता में एकता की बात कही गई है। जैन धर्म के भगवान एक है, मंत्र भी एक है।

उन्होंने कहा कि सभी जैन सम्प्रदाय एक दूसरे से सीखने का प्रयास करें। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि एकता में ताकत होती है, सामथ्र्य होता है। आवाज एक होती है तो उसकी ताकत अलग ही होती है। संस्था व समाज में एकता का क्रम बना रहना चाहिए। मुनि रजनीश कुमार ने गीत का संगान किया। इस दौरान आचार्य ने मूलचन्द बोथरा बीकानेर, के पुत्र सुरेन्द्र बोथरा और पुखराज परमारको शासनसेवी सम्बोधन से अलंकृत किया।

विराट व्यक्तित्व के धनी आचार्य महाश्रमण
बालोतरा. आचार्य महाश्रमण विराट व्यक्तित्व के धनी और सिद्ध पुरूष है। साधना से जीवन में तेजस्विता आती है। मुनि मदन कुमार ने सोमवार को ओसवाल भवन जसोल में 2012 के सिद्ध चातुर्मास उपलक्ष्य में आयोजित भाषण माला कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि करूणा व वत्सलता में चुम्बकीय शक्ति होती है।

चौबीसी के संगान से मंगलकारी प्रकपन पैदा होते हैं। मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि पुण्यशाली के पग पग पर निधान होता है। आचार्य महाश्रमण की पुण्यवत्ता प्रबल है। कार्यक्रम संयोजक गौतमचंद सालेचा, महामंत्री शांतिलाल भंसाली, भंवरलाल भंसाली, शंकरलाल ढेलडिया, सुरेन्द्र कुमार सालेचा, गौतमचंद भंसाली, पुष्पादेवी बुरड़ ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन कांतिलाल ढेलडिया ने किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें