शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

गुजरात में रंग लाया वसुंधरा राजे का प्रचार

गुजरात में रंग लाया  वसुंधरा राजे का प्रचार

जयपुर। गुजरात चुनाव में मोदी की हैट्रिक से जहां भाजपाई गदगद हैं वहीं राजस्थान में भी इसे वसुंधरा की जीत के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, गुजरात चुनाव में राज्य से स्टार प्रचारक के रूप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिन सीटों पर प्रचार किया वहां कांग्रेसी हार गए, वहीं प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे जहां प्रचार करके आई, वहां ज्यादातर भाजपाइयों को जीत मिली।

दिलाई जीत
राजे ने सूरत की लिंबायत, वारचा रोड, करंज, उधना और अहमदाबाद की दरियापुर, बहरामपुरा और ठक्कर बापा नगर में सभाएं की। इनमें से बहरामपुरा, ठक्करबापा नगर सीटों पर भाजपा जीती। उन्होंने सूरत के टेक्सटाइल मार्केट में सभा की। इसमें सूरत के सभी 12 सीटों के भाजपा उम्मीदवार भी मौजूद थे। इन सभी पर भाजपा जीती।

कड़ी से कड़ी मत जोड़ना
राजे ने अपने भाषणों में गुजरात की जनता से अपील की थी कि कांग्रेस को वोट देकर राज्य से केन्द्र तक कड़ी से कड़ी जोड़ने की भूल मत करना। यह भूल राजस्थान में जनता ने की थी और रिफायनरी सहित आज तक राज्य में कोई बड़ी परियोजना केन्द्र के स्तर पर पूरी नहीं हुई।

विकास की जीत
ये नरेन्द्र मोदी के विकास की जीत है। गुजरात के मतदाताओं ने झूठे वायदे करने वाली कांग्रेस को नकार दिया है। गुजरात ने आने वाली पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए भाजपा की सरकार बनाई है। नरेन्द्र मोदी की तिकड़ी गुजरात की जनता की बड़ी जीत है। राजस्थान की जनता की ओर से नरेन्द्र मोदी को बधाई।
वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष

काम नहीं आई मेहनत
धानेरा (बनासकांठा), मेहसाणा, मजूरा (सूरत) और उधना (सूरत) में गहलोत ने प्रचार किया था। चारों जगह ही कांग्रेस उम्मीदवार हार गए। गहलोत ने अहमदाबाद में कोई राजनीतिक सभा नहीं की, लेकिन प्रवासी राजस्थानी-भारतीयों के एक कार्यक्रम में जरूर हिस्सा लिया था।

यूपीए की योजनाओं पर फोकस
गहलोत ने अपने भाषण में केन्द्र की यूपीए सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं, नरेगा, इंदिरा गांधी आवास योजना आदि पर फोकस किया था। उन्होंने कांग्रेस को मजबूत करने के नाम पर वोट मांगे थे और गुजरात के विकास के आंकड़ों पर भी सवाल खड़े किए थे।

दिल्ली का रास्ता राजस्थान से
गुजरात से कोई भी रास्ता सीधे दिल्ली नहीं जाता। दिल्ली का रास्ता तो राजस्थान से सीधे आता है। गुजरात में भाजपा मैदान में नहीं थी बल्कि अकेले नरेंद्र मोदी ही चुनाव लड़ रहे थे। हमें गुजरात में अपेक्षा के मुताबिक परिणाम नहीं मिले। वहीं हिमाचल में कुशासन को जनता ने उखाड़ फेंका।"
चंद्रभान, प्रदेशाध्यक्ष कांग्रेस


कोई सफल...तो कोई..
कांग्रेस ने राज्य मंत्रिमंडल से महेन्द्रजीत सिंह मालवीया, दयाराम परमार, मांगीलाल गरासिया सहित सांसद ताराचंद भगौरा व रघुवीर मीणा को भी गुजरात चुनावों में भेजा था जिनमें से कुछ को सफलता मिली तो कुछ के दांव काम नहीं आए।

दाहोद जिले की जिम्मेदारी मालवीया के पास थी, जहां 6 में से 3 सीट कांग्रेस को मिलीं।
भगौरा व परमार को साबरकांठा जिले में भेजा था। वहां सात में तीन सीटें कांग्रेस को मिलीं।
गरासिया ने पंचमहल जिले की तीन सीटों पर प्रचार किया था, इनमें से दो भाजपा व एक जीपीपी ने जीती।
भाजपा के गुलाब चंद कटारिया गुजरात में 18 सीटों पर प्रचार के लिए गए थे। इनमें से छह सीटों पर कांग्रेस और 12 पर भाजपा ने जीत हासिल की।

आधी जीत पर आधा लड्डू
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत पर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मिठाई बांटी गई तो चंद्रभान ने आधा ही लड्डू लिया। उन्होंने कहा कि अभी आधी जीत हुई है, इसलिए आधा लड्डू ही खाएंगे।

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