गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

महिला वैज्ञानिक बोलीं- लड़की छह लोगों से घिर गई थी तो समर्पण क्यों नहीं कर दिया, आंतें तो बच जातीं!


महिला वैज्ञानिक बोलीं- लड़की छह लोगों से घिर गई थी तो समर्पण क्यों नहीं कर दिया, आंतें तो बच जातीं! 
खरगोन। पुलिस विभाग ने बुधवार को खरगोन (मध्‍य प्रदेश) में एक सेमिनार रखा। विषय था-महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता। लेकिन इसमें वक्ता जितने असंवेदनशील हो सकते थे, हुए। हैरत यह है कि इनकी सिरमौर रहीं एक महिला कृषि वैज्ञानिक। डॉ. अनीता शुक्ला। ये लायंस क्लब की अध्यक्ष भी हैं।

मंच से डॉ. अनीता शुक्ला ने दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले में पीडि़ता को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा- महिलाएं ही पुरुष को उकसाती हैं। डॉ. शुक्ला यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने और भी सवाल उठाए। उनका सवाल था 10 बजे रात को लड़की घर से बाहर क्या कर रही थी? फिर कहा- ब्वॉय फ्रेंड के साथ रात को बाहर निकलेगी तो यही होगा। पुलिस कहां तक संरक्षण देगी। उन्होंने पीडि़ता के प्रतिरोध को भी उसका दुस्साहस बता दिया। उनका कहना था- हाथ पांव में दम नहीं, हम किसी से कम नहीं।

छह लोगों से घिरने पर लड़की ने चुपचाप समर्पण क्यों नहीं कर दिया। कम से कम आंतें निकालने की नौबत तो नहीं आती। उन्होंने कानूनों की बात भी की। उनका निष्कर्ष था सुविधाओं और अधिकारों का महिलाओं ने गलत इस्तेमाल किया है। इसलिए ऐसे मामलों में पुलिस का रवैया बिलकुल ठीक है। असंवेदनशीलता का आलम यह रहा कि इस भाषण पर वहां मौजूद ज्यादातर अफसर मौन रहे। सेमिनार में एडिशनल एसपी एसएस चौहान, एसडीओपी आरबी दीक्षित, एसडीओपी भीकनगांव कर्णसिंह रावत, सीएमएचओ डॉ. विराज भालके, खनिज निरीक्षक रश्मि पांडे, आरआई अनिल राय भी उपस्थित थे।

लेकिन भास्कर ने बुधवार की रात को डॉ. अनीता से फिर बात की। पूछा कि पूरा देश जिस मामले को लेकर इतना संवेदनशील है, तब आप ऐसा क्यों कह रही हैं? उन्होंने फिर वही बातें दोहराईं और कहा-देखिए, मेरी उस पीडि़ता के प्रति पूरी संवेदना है लेकिन ऐसी घटनाओं को महिलाएं ही समझदारी दिखाकर रोक सकती हैं।

वे क्या बोलेंगी, इसकी स्क्रीनिंग कैसे करते

हमने सेमिनार में डॉ. शुक्ला को बुलाया था। वे क्या बोलेंगी इसकी कोई स्क्रीनिंग करना संभव भी नहीं था। उन्होंने निजी विचार व्यक्त किए। मैं उनसे सहमत नहीं हूं।
- एस.एस.चौहान, एडिशनल एसपी, खरगोन

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