संत कँवर राम पर पाकिस्तान में शोध
सिंध के सुप्रसिद्ध लोकप्रिय संत कँवर राम (1885-1939) पर पाकिस्तान के कई लेखकों द्वारा शोध किया जा रहा है। संत कँवर राम के विशिष्ट योगदान से युवा पीढ़ी को अवगत कराने के लिए भारत की कई राज्य सरकार उनकी प्रेरक-जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर रहीं हैं।लखनाउ में संत कँवर राम की 125वीं जयंती के मौके पर उक्त जानकारी दी गई। 17 व 18 जुलाई को आयोजित इस संगोष्ठी में हिन्दी और सिंधी के लगभग 150 लेखकों ने हिस्सा लिया।
उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष भारत सरकार द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप के इस विलक्षण संत पर डाक टिकट भी जारी किया गया है। विभाजन के पश्चात भारत में बसे सिंधी-हिन्दू लंबे समय से इसकी माँग कर रहे थे। संत कँवर राम जी की 1 नवंबर 1939 को आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। सिंधी कथा गायन शैली 'भगत' को लोकप्रियता प्रदान करने का श्रेय भी संत कँवर राम को जाता है।
PRलखनऊ में संपन्न इस संगोष्ठी का आयोजन हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा किया गया। संगोष्ठी में समाज सुधार के लिए संत कँवर राम द्वारा किए गए प्रयासों का स्मरण किया गया। संत कँवर राम ने तत्कालीन सिंध में सामाजिक समरसता के प्रसार तथा जनजागृति के क्षेत्र में विशेष रूप से कार्य किए।
सबसे महत्वपूर्ण, देश की आजादी के लिए वातावरण निर्मित करने में उनका अहम योगदान रहा। संत कँवर राम के लोकगायक, जनप्रिय नेता, समाज सुधारक और एक संत के रूप में दिए गए अवदान पर संगोष्ठी में लगभग 60 शोध पत्रों का वाचन किया गया। लखनऊ के संत असुदा राम आश्रम के प्रमुख चाँदूरामजी ने लेखकों को प्रशस्ति पत्र दिए।
सिंध के सुप्रसिद्ध लोकप्रिय संत कँवर राम (1885-1939) पर पाकिस्तान के कई लेखकों द्वारा शोध किया जा रहा है। संत कँवर राम के विशिष्ट योगदान से युवा पीढ़ी को अवगत कराने के लिए भारत की कई राज्य सरकार उनकी प्रेरक-जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर रहीं हैं।लखनाउ में संत कँवर राम की 125वीं जयंती के मौके पर उक्त जानकारी दी गई। 17 व 18 जुलाई को आयोजित इस संगोष्ठी में हिन्दी और सिंधी के लगभग 150 लेखकों ने हिस्सा लिया।
उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष भारत सरकार द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप के इस विलक्षण संत पर डाक टिकट भी जारी किया गया है। विभाजन के पश्चात भारत में बसे सिंधी-हिन्दू लंबे समय से इसकी माँग कर रहे थे। संत कँवर राम जी की 1 नवंबर 1939 को आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। सिंधी कथा गायन शैली 'भगत' को लोकप्रियता प्रदान करने का श्रेय भी संत कँवर राम को जाता है।
PRलखनऊ में संपन्न इस संगोष्ठी का आयोजन हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा किया गया। संगोष्ठी में समाज सुधार के लिए संत कँवर राम द्वारा किए गए प्रयासों का स्मरण किया गया। संत कँवर राम ने तत्कालीन सिंध में सामाजिक समरसता के प्रसार तथा जनजागृति के क्षेत्र में विशेष रूप से कार्य किए।
सबसे महत्वपूर्ण, देश की आजादी के लिए वातावरण निर्मित करने में उनका अहम योगदान रहा। संत कँवर राम के लोकगायक, जनप्रिय नेता, समाज सुधारक और एक संत के रूप में दिए गए अवदान पर संगोष्ठी में लगभग 60 शोध पत्रों का वाचन किया गया। लखनऊ के संत असुदा राम आश्रम के प्रमुख चाँदूरामजी ने लेखकों को प्रशस्ति पत्र दिए।
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