राजधानी में थानाध्यक्ष की शह पर बाल वेश्यावृत्ति का धंधा चलाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। खाकी वर्दी को दागदार करने वाली इस सच्चाई का खुलासा 12 वर्षीय मासूम ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के तीन सदस्यीय पीठ समक्ष किया। यह बच्ची देह व्यापार का धंधा करने वाली महिला की बेटी है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के ज्योति नगर इलाके की इस घटना में सीडब्ल्यूसी के आदेश पर किशोरी की मा, बहन, मामी व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मामले की गंभीरता को देख आला अधिकारियों ने ज्योति नगर थानाध्यक्ष राकेश कुमार को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है और मामले में उसकी भूमिका की जाच अपराध शाखा को सौंपी है।
दरअसल, यह मामला उस समय प्रकाश में आया, जब 12 वर्षीय किशोरी को एसआइ पंकज तोमर ने सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया। बच्ची ताहिरपुर टी प्वाइंट पर मिली थी, लेकिन उसकी मा ने उसे साथ रखने से इंकार कर दिया था। उसने दलील दी कि बच्ची मानसिक रूप से बीमार है। सीडब्ल्यूसी की महिला सदस्यों ने बंद कमरे में बच्ची से बातचीत की तो वह सामान्य थी। उसकी भी अन्य बच्चे की तरह ही खूब पढ़ने, स्कूल जाने और बड़ी होकर अधिकारी बनने की इच्छा थी। उसका आरोप है कि उसकी सगी मा, बहन और मामी अन्य लोगों के साथ मिलकर वेश्यावृत्ति के लिए बच्चियों को बेचते हैं, बल्कि उसे भी इस धंधे में डाल दिया था।
इसका वह विरोध करती थी तो ज्योति नगर थानाध्यक्ष उसे धमकी देते थे। उसने आरोप लगाया कि थानाध्यक्ष ने रिवाल्वर की नोंक पर उससे यह नोट लिखवाया कि वह मानसिक रूप से बीमार है। बच्ची का कहना है कि थानाध्यक्ष और उसकी मा के बीच संबंध हैं। सीडब्ल्यूसी ने थानाध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों की विशेष रूप से जाच करने के आदेश दिए हैं। पूरे मामले की सुनवाई के बाद सीडब्ल्यूसी सदस्य सुदर्शना चक्रवर्ती, एसपी शर्मा और डॉ. बी. रामास्वामी ने किशोरी की मा, बहन व मामी के अलावा धंधे में शामिल उमेश, राहिल, अंकित, मनीष शर्मा, पवन नागर व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया। आदेश के बाद आला पुलिस अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आला अधिकारियों ने इस मसले को लेकर कई बार बैठक की। फिर अधिकारियों के आदेश के बाद ज्योति नगर थानाध्यक्ष को अपने खिलाफ अपने ही थाने में मामला दर्ज करना पड़ा। इस मामले की जाच जिले के दूसरे थाने सीमापुरी थाने की उपनिरीक्षक इना कुमारी को सौंपी गई। अब इस की जाच अपराध शाखा को सौंप दी गई है। उत्तर जिला के अतिरिक्त आयुक्त वीवी चौधरी से बातचीत करने का प्रयास किया गया, लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पाए।
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