राज्य की अशोक गहलोत सरकार कल चार साल पुरे कर रही हें ,कहने को गहलोत ने राज्य में कई योजनाओ का सूत्रपात किया ,मगर जीतनी भी योजनाए लागु की उसे प्रशासनिक अधिकारियो की इच्छाशक्ति के आभाव में दम तोड़ दिया .पत्ते देने का बेहतरीन काम था मगर आम आदमी को पट्टा मिलाने की बजाय भू माफियो के वर्षो से लंबित पट्टा प्रकरणों का निस्तारण कर अधिकारियो और कराम्चारियो ने बहती गंगा में हाथ धो कर करोडो के वारे न्यारे कर लिए ,मुख्यमंत्री बी पी एल आवास योजना कागजों से बाहर नहीं आई ,निह्शुल दवा योजना का बुरा हश्र हुआ ,दुकानों पर चार सौ में से चालीस पचास किस्म की दवाइयों से ज्यादा कभी उपलब्ध नहीं हुई ,निशुल्क पशु दवा योजना तो पशु अस्पतालों के अभावो में दम तोड़ दिया ,बाड़मेर में मोहनगढ़ लिफ्ट योजना को जनता में वाह वाही के लिए अधूरी योजना का उदघाटन सोनिया गाँधी से करा दिया जबकि यह योजना आगम चार साल से पहले पूर्ण नहीं होनी ,मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना में नेताओ के रिश्तेदारों के बीच जबरदस्त बंदरबांट हुई ,नए रसन कार्डो का काम लटका हें ,आधार योजना को भी पंख नहीं लगे ,अध्यापक ,नर्सिंग कर्मी ,प्रबोधक ,कर्मचारी ,अपने अधिकारों के लिए धरने प्रदशानो का सहारा ले रहे हें ,राजीव गाँधी विद्युत् योजना अधर झूल में अटकी हें ,बिजली की ने कौध में खाज का कम किया ,अध्यापको की भारती का मामला भी अधरझूल में हें ,गहलोत सरकार ने बाड़मेर को चार मंत्री दिए राजस्व मंत्री हेमाराम ,चौधरी अल्पसंख्यक मामलात मंत्री अमीन खान ,अनुसूचित आयोग के ,गोपाराम श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष अब्दुल गफूर इन लोगो ने अपने कार्यकाल में अपने विधान सभा क्षेत्रो के आलावा किसी की सुध नहीं की इन चारो मंत्रियो में हेमाराम चौधरी के खाते में नई तहसीलों के गठन ,पटवारियों की भारती ,नए राजस्व गाँवो का सृजन जरुर हें मगर अपने विधान सभा या बाड़मेर जिले को विशेष लाभ नहीं दे पाए खुद के विधानसभा क्षेत्र में नायब तहसीलदार नहीं लगा पाए ,अमीन खान के खाते में सिर्फ विवाद आये ,गोपाराम को रामदेवरा से फुर्सत नहीं मिली गफूर ने अपने आप को अमीन खान के प्रतिद्वंदी के रूप में शिव विधानसभा में मजबूत किया ,विधायक द्वेषभाव से स्थानान्तरण की राजनीति में उलझे रहे ,सोनाराम का समय गहलोत सरकार की खिलाफत में बीता ,मदन प्रजापत ने अपने प्रोपर्टी डीलर के काम को अधिक मजबूत कर अपने आप को स्थापित किया ,पदमाराम का विधायक के रूप में जिले में कोई वजूद नहीं रहा .सांसद के खाते में एक भी काम खास तौर पर नज़र नहीं आया ,कुल मिलाकर चार सालो में बाड़मेर जिले के चुने जन प्रतिनिधियों ने अपनी निजी सम्पतियो को बढ़ने में जीतनी दिचास्पी दिखाई उतनी विकास में नहीं भाई भतीजावाद खुलकर सामने आये ,नेता जन सेवक के बजे अपने आप को ठेकेदारों के रूप में ज्यादा स्थापित करते नज़र आये ,सोनिया गाँधी के दौरे ने जाटो को कोंग्रेस से अलग कर दिया ,बहरहाल अशोक गहलोत के चार साल में उपलब्धिया कम विवाद ज्यादा नज़र आये ,--
बुधवार, 12 दिसंबर 2012
गहलोत के चार साल खरी खरी ..पढ़िए बेबाक सच बाड़मेर के सन्दर्भ में
राज्य की अशोक गहलोत सरकार कल चार साल पुरे कर रही हें ,कहने को गहलोत ने राज्य में कई योजनाओ का सूत्रपात किया ,मगर जीतनी भी योजनाए लागु की उसे प्रशासनिक अधिकारियो की इच्छाशक्ति के आभाव में दम तोड़ दिया .पत्ते देने का बेहतरीन काम था मगर आम आदमी को पट्टा मिलाने की बजाय भू माफियो के वर्षो से लंबित पट्टा प्रकरणों का निस्तारण कर अधिकारियो और कराम्चारियो ने बहती गंगा में हाथ धो कर करोडो के वारे न्यारे कर लिए ,मुख्यमंत्री बी पी एल आवास योजना कागजों से बाहर नहीं आई ,निह्शुल दवा योजना का बुरा हश्र हुआ ,दुकानों पर चार सौ में से चालीस पचास किस्म की दवाइयों से ज्यादा कभी उपलब्ध नहीं हुई ,निशुल्क पशु दवा योजना तो पशु अस्पतालों के अभावो में दम तोड़ दिया ,बाड़मेर में मोहनगढ़ लिफ्ट योजना को जनता में वाह वाही के लिए अधूरी योजना का उदघाटन सोनिया गाँधी से करा दिया जबकि यह योजना आगम चार साल से पहले पूर्ण नहीं होनी ,मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना में नेताओ के रिश्तेदारों के बीच जबरदस्त बंदरबांट हुई ,नए रसन कार्डो का काम लटका हें ,आधार योजना को भी पंख नहीं लगे ,अध्यापक ,नर्सिंग कर्मी ,प्रबोधक ,कर्मचारी ,अपने अधिकारों के लिए धरने प्रदशानो का सहारा ले रहे हें ,राजीव गाँधी विद्युत् योजना अधर झूल में अटकी हें ,बिजली की ने कौध में खाज का कम किया ,अध्यापको की भारती का मामला भी अधरझूल में हें ,गहलोत सरकार ने बाड़मेर को चार मंत्री दिए राजस्व मंत्री हेमाराम ,चौधरी अल्पसंख्यक मामलात मंत्री अमीन खान ,अनुसूचित आयोग के ,गोपाराम श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष अब्दुल गफूर इन लोगो ने अपने कार्यकाल में अपने विधान सभा क्षेत्रो के आलावा किसी की सुध नहीं की इन चारो मंत्रियो में हेमाराम चौधरी के खाते में नई तहसीलों के गठन ,पटवारियों की भारती ,नए राजस्व गाँवो का सृजन जरुर हें मगर अपने विधान सभा या बाड़मेर जिले को विशेष लाभ नहीं दे पाए खुद के विधानसभा क्षेत्र में नायब तहसीलदार नहीं लगा पाए ,अमीन खान के खाते में सिर्फ विवाद आये ,गोपाराम को रामदेवरा से फुर्सत नहीं मिली गफूर ने अपने आप को अमीन खान के प्रतिद्वंदी के रूप में शिव विधानसभा में मजबूत किया ,विधायक द्वेषभाव से स्थानान्तरण की राजनीति में उलझे रहे ,सोनाराम का समय गहलोत सरकार की खिलाफत में बीता ,मदन प्रजापत ने अपने प्रोपर्टी डीलर के काम को अधिक मजबूत कर अपने आप को स्थापित किया ,पदमाराम का विधायक के रूप में जिले में कोई वजूद नहीं रहा .सांसद के खाते में एक भी काम खास तौर पर नज़र नहीं आया ,कुल मिलाकर चार सालो में बाड़मेर जिले के चुने जन प्रतिनिधियों ने अपनी निजी सम्पतियो को बढ़ने में जीतनी दिचास्पी दिखाई उतनी विकास में नहीं भाई भतीजावाद खुलकर सामने आये ,नेता जन सेवक के बजे अपने आप को ठेकेदारों के रूप में ज्यादा स्थापित करते नज़र आये ,सोनिया गाँधी के दौरे ने जाटो को कोंग्रेस से अलग कर दिया ,बहरहाल अशोक गहलोत के चार साल में उपलब्धिया कम विवाद ज्यादा नज़र आये ,--
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