फाइलो मे "गुल" हो गया "गूगल"
जैसलमेर। अस्तित्व के लिए जूझ रहे गूगल के पौधे को फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई प्रशासनिक कवायद पौधो व तकनीकी सुविधाओ के अभाव मे अटक गई है। इस यूनानी पौधे को जिले की शान बनाने का सपना अब टूटता दिखाई दे रहा है। मरूप्रदेश मे पांच हजार पौधो को लगाने की योजना थी, लेकिन दुर्लभ माने जाने वाले यूनानी गूगल के पौधो को विकसित करने की योजना फाइलो मे ही खो गई है। करीब पांच वर्ष पहले गूगल प्रोजेक्ट का आगाज तो कर दिया गया था, लेकिन पौधो की अनुपलब्धता और तकनीकी खामियो के कारण यह प्रोजेक्ट फ्लॉप हो गया। हालत यह है कि अब जनप्रतिनिधि भी इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच रहे हंै।
अकाल का दंश, रासायनिक पदार्थो का उपयोग व लगातार हो रहे दोहन से गूगल के अस्तित्व को संकट मे पाकर इन्हे फिर से विकसित करने के लिए यह योजना तैयार की गई थी। यदि जिस सक्रियता से योजना का कार्य शुरू किया गया ,उसी सक्रियता से इसको सतत रूप से जारी रखा जाता तो गजरूपसागर क्षेत्र का नजारा ही बदल जाता। यही नहीं गूगल प्रोजक्ट के कारण यह क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप मे भी विकसित हो सकता था।
अधर मे अटका सपना
योजना के तहत गजरूप सागर क्षेत्र मे गड्ढ़े करवाकर मेड़बंदी करवाई जानी थी। गूगल व्यवसाय को जिले मे फिर से उन्नत करने के लिए रोजगार गारंटी योजना के तहत अमरसागर ग्राम पंचायत की ओर से यह कार्य करवाया जाना था। इसके लिए शहर से दूर गजरूप सागर क्षेत्र मे इसकी उन्नत किस्म के पांच हजार पौधे लगाने थे। यहां एक लाख लीटर पानी की क्षमता वाला टांका भी तैयार कराने की योजना थी। ग्राम पंचायत प्रशासन गजरूप सागर क्षेत्र को गूगल के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से लोकप्रिय बनाना चाहता था।
जैसलमेर। अस्तित्व के लिए जूझ रहे गूगल के पौधे को फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई प्रशासनिक कवायद पौधो व तकनीकी सुविधाओ के अभाव मे अटक गई है। इस यूनानी पौधे को जिले की शान बनाने का सपना अब टूटता दिखाई दे रहा है। मरूप्रदेश मे पांच हजार पौधो को लगाने की योजना थी, लेकिन दुर्लभ माने जाने वाले यूनानी गूगल के पौधो को विकसित करने की योजना फाइलो मे ही खो गई है। करीब पांच वर्ष पहले गूगल प्रोजेक्ट का आगाज तो कर दिया गया था, लेकिन पौधो की अनुपलब्धता और तकनीकी खामियो के कारण यह प्रोजेक्ट फ्लॉप हो गया। हालत यह है कि अब जनप्रतिनिधि भी इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच रहे हंै।
अकाल का दंश, रासायनिक पदार्थो का उपयोग व लगातार हो रहे दोहन से गूगल के अस्तित्व को संकट मे पाकर इन्हे फिर से विकसित करने के लिए यह योजना तैयार की गई थी। यदि जिस सक्रियता से योजना का कार्य शुरू किया गया ,उसी सक्रियता से इसको सतत रूप से जारी रखा जाता तो गजरूपसागर क्षेत्र का नजारा ही बदल जाता। यही नहीं गूगल प्रोजक्ट के कारण यह क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप मे भी विकसित हो सकता था।
अधर मे अटका सपना
योजना के तहत गजरूप सागर क्षेत्र मे गड्ढ़े करवाकर मेड़बंदी करवाई जानी थी। गूगल व्यवसाय को जिले मे फिर से उन्नत करने के लिए रोजगार गारंटी योजना के तहत अमरसागर ग्राम पंचायत की ओर से यह कार्य करवाया जाना था। इसके लिए शहर से दूर गजरूप सागर क्षेत्र मे इसकी उन्नत किस्म के पांच हजार पौधे लगाने थे। यहां एक लाख लीटर पानी की क्षमता वाला टांका भी तैयार कराने की योजना थी। ग्राम पंचायत प्रशासन गजरूप सागर क्षेत्र को गूगल के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से लोकप्रिय बनाना चाहता था।
sayad googal nam ke podhe ko bahut kum log hi jante ho jisme keemti cheej prapt hoti hai
जवाब देंहटाएं