राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए पोस्टकार्ड अभियान का आगाज़
राजस्थानी अपना भाषाई अधिकार लेकर रहेंगे
बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बस्मेर की ओर से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने की मांग को लेकर चलाए जा रहे संघर्ष व 'म्हारी जुबान रो खोलो ताळोÓ पोस्टकार्ड अभियान के द्वितीय चरण में मंगलवार को आनंद विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय में पोस्ट कार्ड अभियान का आगाज़ समिति के संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ,महासचिव प्रकाश माली ,विजय कुमार ,राजस्थानी भाषा छात्र परिषद् अध्यक्ष अशोक सारला ,मोतिओयार परिषद् नगर अध्यक्ष रमेश सिंह इन्दा ,दिग्विजय सिंह चुली ,मनोज विश्नोई की उपस्थिति में हुआ विद्यालय के छात्रो ने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री व स्थानीय सांसद को पत्र लिखकर मांग की है कि करोड़ों राजस्थानियों की मातृभाषा राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूचि में जोड़ा जाये। विद्यालय प्रबंधक गंगा राम विश्नोई ने कहा की विश्व की सभी भाषाओं की कद्र करती है तथा चाहती है कि 6 से 14 वर्ष के बच्चों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार हो। मगर बड़े दुख की बात है कि राजस्थान के करोड़ों लोगों की मातृभाषा को मान्यता ही नहीं है। इस कारण राजस्थानियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगा है तथा जुबान पर ताला लगा हुआ है। यहां के बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने से वंचित हैंं। उन्हों ने कहा कि भारत सरकार को सभी सूबों की मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए। भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। भारत में सूबों का गठन भाषा के आधार पर ही हुआ था और राजस्थान इससे अछूता नहीं है। राजस्थान का गठन यहां की राजस्थानी भाषा के आधार पर हुआ था तो राजस्थानी को मान्यता दे देने में सरकार को क्या अड़चन आ रही है? संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने इस अवसर पर कहा जी देश के लगभग सभी राज्यों की 22 भाषाओं को आठवीं अनुसूचि में शामिल किया गया है और अधिकांश राज्यों के बच्चे अपनी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, मगर राजस्थान के बच्चे कितने अभागे हैं कि वे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते जबकि 'अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा का अधिकारÓ इस पर बल देता है। सरकार को भी त्वरित कदम उठाकर राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल कर राजस्थान के बच्चों को भी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार देना चाहिए। इस अवसर पर महा सचिव प्रकाश माली ने कहा की राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए शीतकालीन सत्र में स्थानीय सांसदों को पुरजोर प्रयास करने चाहिए ,उन्होंने कहा की संसद में राजस्थानी और भोजपुरी भाषा को आठवी अनुसूची में शामिल करने के सकारात्मक प्रयास चल रहे हें ,इस अवसर पर विजय कुमार ने कहा की राजस्थानी भाषा को मान्यता इसी शीतकालीन सत्र में नहीं दी गई तो राजस्थानी अपने भाषाई अधिकार के लिए अपनी शक्ति का इस्तेमाल करेंगे .इस अवसर पर रमेश सिंह इन्दा ने कहा की संसद के शीतकालीन सत्र में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए दबाव बनाया जाएगा ,इस अवसर पर अशोक सारला ने कहा की शीतकालीन सत्र जब तक चलेगा तब तक मान्यता की मांग को लेकर हज़ारो पोस्टकार्ड नियमित रूप से आम जन लिखेंगे ,इस अवसर पर दिग्विजय सिंह चुली ने भी अपनी बात रक्ल्ही ,कार्यक्रम का संचालन मनोज विश्नोई ने किया ,
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