बचपन कुपोषित और आईसीडिएस खस्ताहाल खण्डेलवाल
जिला प्रशासन और उरमूल ट्रस्ट, जैसलमेर द्वारा आयोजित भोजन का अधिकार पर जनसंवाद को संबोधित करते हुये सुप्रिम कोर्ट आयुक्त के राजस्थान राज्य सलाहाकार श्री अशोक खण्डेलवाल ने सरकारी आकडों के अनुसार जिलें में 5 मे से 3 बच्चे कुपोषण का शिकार है और आईसीडिएस रिक्त पदों से बीमार है।जिलें में इस विभाग के मुख्या के पद समेतअधिकाश पद रिक्त है। उन्होने इस आक्रोश जताते हुये कहा कि यदि राज्य प्रशासन आईसीड्रीएस कार्यक्रम को सुचारू रूप चलाने में अक्षम है तो जिला प्रासन को इसे बन्द कर देने की राज्य सरकार से सिफारि कर देनी चाहियें। रसद विभाग द्वारा प्रस्तुत रिर्पोट पर चर्चा करते हुये उन्होने कहा कि विभाग 4 मे से 3 परिवारों को प्रतिमाह औसतन मात्र 5 किलो आटा दिया जारहा है। जबकि जिला प्रासन स्वयं यह मानता है कि जिलें प्राय अकाल की स्थिती बनी रहती है और यहां अनाज की पैदावार लगभग नाम मात्र की होती है।जिला प्रासन को तुरन्त प्रभाव से यह सुनिचित करना चाहये कि हर परिवार का कम से कम प्रतिमाह आवयक अनाज प्राप्त हो।ताकि लोगो की न्युनतम भोजन सुरक्षा सुनिचित की जा सकती है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुये जिला कलेक्टर श्रीमति शुचि त्यागी ने कहा कि पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में सरकारी सेवाओं की उपलब्धता में काफी सकारात्मक बदलाव आया है साथ ही इन सेवाओं की गुणवत्ता में और सुधार हेतु विभागवार समिक्षा की जायेगी। श्री खण्डेलवाल के आग्रह पर त्यागी ने बताया कि इस तरह के भोजन के अधिकार पर निरंतर संवाद आयोजित करने के लिये प्रयास करेंगे।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के राजस्थान प्रतिनिधि व उरमूल ट्रस्ट के सचिव श्रीअरविंद ओझा द्वारा उपस्थित संभागियों का स्वागत करते हुये कहा कि आयोग के सदस्य होने के नाते बच्चों से संबंधित बाल स्वास्थ्य, बाल शिक्षा, बाल शोषण और कुपोषण आदि अनेक मुद्दो पर जिम्मेदारी का निर्वहन किया जाता है। यह संवाद भी इस कडी में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें प्रयास किया जायेगा कि जो व्यक्ति पेंशन, राशन और आईसीडीएस विभाग की विभिन्न सेवाओं से संबंधित समस्याऐं है, उनसे प्रशासन को अवगत करवाकर, हल निकाला जाए।
रसद विभाग की ओर से प्रस्तुतीकरण करते हुये श्रीविनोद श्रीवास्तव ने बताया कि जैसलमेर जिले एक विषम भोगोलिक परिस्थितीयों वाला जिला है। यहॉ पर अनाज की उत्पादकता नही ंके बराबर है, इसलिये राशन पर निर्भरता अधिक ब़ जाती है। विस्तृत क्षैत्र होने के कारण आपूर्ति में भी कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ता है। वर्तमान में जिलें में एपीएल योजना, बीपीएल व स्टेट बीपीएल, अन्त्योदय अन्न योजना, अन्नपूर्ण योजना, आस्था योजना के तहत 1,69,709 परिवार लाभांवित हो रहे है। जिन्हे नियमानुसार फोर्टिफाईड आटा,गेहॅू, शक्कर व करोसीन का वितरण किया जा रहा है।
इसी के दौरान ग्रामीण आम्बसिंह किता, सीताराम भोजक आदि ने राशन की दूकानों से मिल रहे आटें की थेलीयों में कीड़े मिलने का मुद्दा उठाया।कार्यशाला में एनजीओं प्रतिनिधी श्रीचतुर्भुज पालीवाल ने आटे की घटिया क्वालीटी का मुद्दा उठाते हुये कहा कि आटे की थैली पर किसी भी अधिकारी के हस्ताक्षर नही है।
रसद विभाग के श्रीउम्मेदाराम ने इस पर बताया कि विभाग द्वारा सेवाओं में गुणवत्ता में सुधार हेतु कडे प्रयास किये जा रहे हैं साथ ही आमजन भी समय समय पर राशन की दुकानों पर जा कर उनकी जांच करे, यदि कमी मिलें तो सरपंच या विभाग से सम्पर्क करें। जनता चाहती है कि राशन की दूकान पूरे माह खुली रहे लेकिन एक युवा के लिये पूरे माह का समय देना मुश्किल हो रहा है।
पेंशन विभाग के अधिकारी हिम्मतसिंह कविया ने बताया कि जिले में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय पेंशन योजना व राज्य पेशन योजना के तहत विधवा,विकलांग और वृद्वावस्था पेंशन योजनाओं से 3415 जरूरतमंदों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
संवाद में उपस्थित ग्रामीण इन्द्रादेवी ने अपनी समस्या बताई कि वह पिछले छः माह से विधवा पेंशन चालू करवाने हेतु चक्कर काट रही है और तीन बार कागजी कार्यवाही कर चुकी है। लेकिन पेंशन अभी तक चालू नहीं हुई। इसी प्रकार ग्रामीण पताशी देवी ने बताया कि उनकी पेंशन चालू थी परन्तु सालभर से मिलने के बाद पिछले आठ माह से बंद है। विभाग के कई चक्कर लगाने के बाद भी अभी तक पुनः चालू नही हो पाई।
इस पर श्रीखण्डेलवाल ने आक्रोश जताते हुये कहा कि लाभार्थीयों को पेंशन हर माह की 7 तारिख को मिल जानी चाहिये, अगर पेंशन नहीं मिलती है तो सम्बधित अधिकारी का उस माह का वेतन रोक दिया जाना चाहिये।इस मुद्दे पर उन्होने ऊपरी स्तर पर कार्यवाही करने की बात कही।
महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यवाहक उपनिदेशक श्रीउम्मेदसिंह भाटी ने बताया कि जिलें में 655 स्वीकृत मुख्य आंगनबाडीयों में 92 और 169 मिनी आंगनवाडीयों में से 77 अक्रियाशील है । जिलें के जैसलमेर, पोकरण और सम उपखण्डों में 84 आंगनबाडी केन्द्रो पर सक्षम स्वय सहायता समुह उपलब्ध नहीं होने के कारण गर्म पूरक पोषाहार का वितरण नहीं हो पा रहा है। आंगनबाडी कार्मिको के रिक्त पदो को भरने में कठिनाई का मुख्य कारण गांवो में पॄी लिखी महिलाओं का कम होना है।
जनसंवाद में ग्रामीण आम्बसिंह ने पोषाहार के भुगतान न मिलने का मुद्दा उठाया, एनजीओं प्रतिनिधि श्रीसीताराम ने कहा कि विभाग पॄी लिखी महिलाओं को रोना रोता है परन्तु हमने हमने विभिन्न गांवो से 12वी पास के फार्म भेजे लेकिन कार्यवाही नहीे हो रही हैं और कई जगह 10 फैल महिला को लगाया गया है
न्होने विभाग की सेवाओं की गुणवत्ता में कमी के बारे में कहा कि विभाग में स्वीकृत पदो में से आधे से अधिक पद रिक्त है जिससे एक कार्मिक को कई कार्मिको का कार्य करना पड रहा है। उन्होने उदाहरण देते हुये कहा कि जिलें में 38 महिला पर्यवेक्षकों के पद है परन्तु उसमे से 28 पद रिक्त है।
इस जनसंवाद में जिलें के विभिन्न गांवो से आये ग्रामीणों, एनजीओं के प्रतिनिधीयों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यशाला के अन्त में उरमूल के सचिव श्री अरविंद ओझा ने सभी संभागियों का आभार व्यक्त किया।
जिला प्रशासन और उरमूल ट्रस्ट, जैसलमेर द्वारा आयोजित भोजन का अधिकार पर जनसंवाद को संबोधित करते हुये सुप्रिम कोर्ट आयुक्त के राजस्थान राज्य सलाहाकार श्री अशोक खण्डेलवाल ने सरकारी आकडों के अनुसार जिलें में 5 मे से 3 बच्चे कुपोषण का शिकार है और आईसीडिएस रिक्त पदों से बीमार है।जिलें में इस विभाग के मुख्या के पद समेतअधिकाश पद रिक्त है। उन्होने इस आक्रोश जताते हुये कहा कि यदि राज्य प्रशासन आईसीड्रीएस कार्यक्रम को सुचारू रूप चलाने में अक्षम है तो जिला प्रासन को इसे बन्द कर देने की राज्य सरकार से सिफारि कर देनी चाहियें। रसद विभाग द्वारा प्रस्तुत रिर्पोट पर चर्चा करते हुये उन्होने कहा कि विभाग 4 मे से 3 परिवारों को प्रतिमाह औसतन मात्र 5 किलो आटा दिया जारहा है। जबकि जिला प्रासन स्वयं यह मानता है कि जिलें प्राय अकाल की स्थिती बनी रहती है और यहां अनाज की पैदावार लगभग नाम मात्र की होती है।जिला प्रासन को तुरन्त प्रभाव से यह सुनिचित करना चाहये कि हर परिवार का कम से कम प्रतिमाह आवयक अनाज प्राप्त हो।ताकि लोगो की न्युनतम भोजन सुरक्षा सुनिचित की जा सकती है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुये जिला कलेक्टर श्रीमति शुचि त्यागी ने कहा कि पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में सरकारी सेवाओं की उपलब्धता में काफी सकारात्मक बदलाव आया है साथ ही इन सेवाओं की गुणवत्ता में और सुधार हेतु विभागवार समिक्षा की जायेगी। श्री खण्डेलवाल के आग्रह पर त्यागी ने बताया कि इस तरह के भोजन के अधिकार पर निरंतर संवाद आयोजित करने के लिये प्रयास करेंगे।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के राजस्थान प्रतिनिधि व उरमूल ट्रस्ट के सचिव श्रीअरविंद ओझा द्वारा उपस्थित संभागियों का स्वागत करते हुये कहा कि आयोग के सदस्य होने के नाते बच्चों से संबंधित बाल स्वास्थ्य, बाल शिक्षा, बाल शोषण और कुपोषण आदि अनेक मुद्दो पर जिम्मेदारी का निर्वहन किया जाता है। यह संवाद भी इस कडी में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें प्रयास किया जायेगा कि जो व्यक्ति पेंशन, राशन और आईसीडीएस विभाग की विभिन्न सेवाओं से संबंधित समस्याऐं है, उनसे प्रशासन को अवगत करवाकर, हल निकाला जाए।
रसद विभाग की ओर से प्रस्तुतीकरण करते हुये श्रीविनोद श्रीवास्तव ने बताया कि जैसलमेर जिले एक विषम भोगोलिक परिस्थितीयों वाला जिला है। यहॉ पर अनाज की उत्पादकता नही ंके बराबर है, इसलिये राशन पर निर्भरता अधिक ब़ जाती है। विस्तृत क्षैत्र होने के कारण आपूर्ति में भी कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ता है। वर्तमान में जिलें में एपीएल योजना, बीपीएल व स्टेट बीपीएल, अन्त्योदय अन्न योजना, अन्नपूर्ण योजना, आस्था योजना के तहत 1,69,709 परिवार लाभांवित हो रहे है। जिन्हे नियमानुसार फोर्टिफाईड आटा,गेहॅू, शक्कर व करोसीन का वितरण किया जा रहा है।
इसी के दौरान ग्रामीण आम्बसिंह किता, सीताराम भोजक आदि ने राशन की दूकानों से मिल रहे आटें की थेलीयों में कीड़े मिलने का मुद्दा उठाया।कार्यशाला में एनजीओं प्रतिनिधी श्रीचतुर्भुज पालीवाल ने आटे की घटिया क्वालीटी का मुद्दा उठाते हुये कहा कि आटे की थैली पर किसी भी अधिकारी के हस्ताक्षर नही है।
रसद विभाग के श्रीउम्मेदाराम ने इस पर बताया कि विभाग द्वारा सेवाओं में गुणवत्ता में सुधार हेतु कडे प्रयास किये जा रहे हैं साथ ही आमजन भी समय समय पर राशन की दुकानों पर जा कर उनकी जांच करे, यदि कमी मिलें तो सरपंच या विभाग से सम्पर्क करें। जनता चाहती है कि राशन की दूकान पूरे माह खुली रहे लेकिन एक युवा के लिये पूरे माह का समय देना मुश्किल हो रहा है।
पेंशन विभाग के अधिकारी हिम्मतसिंह कविया ने बताया कि जिले में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय पेंशन योजना व राज्य पेशन योजना के तहत विधवा,विकलांग और वृद्वावस्था पेंशन योजनाओं से 3415 जरूरतमंदों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
संवाद में उपस्थित ग्रामीण इन्द्रादेवी ने अपनी समस्या बताई कि वह पिछले छः माह से विधवा पेंशन चालू करवाने हेतु चक्कर काट रही है और तीन बार कागजी कार्यवाही कर चुकी है। लेकिन पेंशन अभी तक चालू नहीं हुई। इसी प्रकार ग्रामीण पताशी देवी ने बताया कि उनकी पेंशन चालू थी परन्तु सालभर से मिलने के बाद पिछले आठ माह से बंद है। विभाग के कई चक्कर लगाने के बाद भी अभी तक पुनः चालू नही हो पाई।
इस पर श्रीखण्डेलवाल ने आक्रोश जताते हुये कहा कि लाभार्थीयों को पेंशन हर माह की 7 तारिख को मिल जानी चाहिये, अगर पेंशन नहीं मिलती है तो सम्बधित अधिकारी का उस माह का वेतन रोक दिया जाना चाहिये।इस मुद्दे पर उन्होने ऊपरी स्तर पर कार्यवाही करने की बात कही।
महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यवाहक उपनिदेशक श्रीउम्मेदसिंह भाटी ने बताया कि जिलें में 655 स्वीकृत मुख्य आंगनबाडीयों में 92 और 169 मिनी आंगनवाडीयों में से 77 अक्रियाशील है । जिलें के जैसलमेर, पोकरण और सम उपखण्डों में 84 आंगनबाडी केन्द्रो पर सक्षम स्वय सहायता समुह उपलब्ध नहीं होने के कारण गर्म पूरक पोषाहार का वितरण नहीं हो पा रहा है। आंगनबाडी कार्मिको के रिक्त पदो को भरने में कठिनाई का मुख्य कारण गांवो में पॄी लिखी महिलाओं का कम होना है।
जनसंवाद में ग्रामीण आम्बसिंह ने पोषाहार के भुगतान न मिलने का मुद्दा उठाया, एनजीओं प्रतिनिधि श्रीसीताराम ने कहा कि विभाग पॄी लिखी महिलाओं को रोना रोता है परन्तु हमने हमने विभिन्न गांवो से 12वी पास के फार्म भेजे लेकिन कार्यवाही नहीे हो रही हैं और कई जगह 10 फैल महिला को लगाया गया है
न्होने विभाग की सेवाओं की गुणवत्ता में कमी के बारे में कहा कि विभाग में स्वीकृत पदो में से आधे से अधिक पद रिक्त है जिससे एक कार्मिक को कई कार्मिको का कार्य करना पड रहा है। उन्होने उदाहरण देते हुये कहा कि जिलें में 38 महिला पर्यवेक्षकों के पद है परन्तु उसमे से 28 पद रिक्त है।
इस जनसंवाद में जिलें के विभिन्न गांवो से आये ग्रामीणों, एनजीओं के प्रतिनिधीयों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यशाला के अन्त में उरमूल के सचिव श्री अरविंद ओझा ने सभी संभागियों का आभार व्यक्त किया।
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