मंगलवार, 6 नवंबर 2012

पुलिस के चंद आला अधिकारीगण अपराधियों के गुलाम की तरह कार्य करते हैं

एकलव्य सिंह  का खुलासा ...
पुलिस के चंद आला अधिकारीगण अपराधियों के गुलाम की तरह कार्य करते हैं 


राज्य के वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी अजीत कुमार सिंह के पुत्र एकलव्य सिंह ने आज एक प्रेस कॉन्फे्रन्स कर नितीश कटारा हत्याकांड की याद ताजा करते हुए यह उजागर किया कि कुछ अपराधियों से उसकी जान एवं स्वतंत्रता के ऊपर घोर खतरा उमड़ रहा है। अपराधीगण अत्यन्त ही प्रभावशाली व्यक्ति हैं। इनका राज्य एवं राष्ट्र स्तरीय राजनेताओं के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। पुलिस के चंद आला अधिकारीगण अपराधियों के गुलाम की तरह कार्य करते हैं, जिससे पूरे पुलिस विभाग की बदनामी होती है। एकलव्य सिंह द्वारा अपराधियों के विरूद्ध दायर एफ.आई.आर. के प्रकरण में पुलिस अधिकारियों ने सारे कानून को दरकिनार करते हुए, राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री के निर्देश पर एफ.आर. लगा दी।   एकलव्य सिंह के अनुसार पुलिस द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत दस्तावेजों से स्पष्ट है कि राज्य के इस वरिष्ठ मंत्री के ऊपर कांग्रेस पार्टी के एक राष्ट्रस्तरीय प्रभावशाली राजनेता, जो पूर्व में केन्द्र सरकार में मंत्री रहे हैं, द्वारा दबाव बनाया गया था। राज्य के एक  विधायक के द्वारा भी आई.ए.एस. अधिकारी के ऊपर दबाव डाला गया था, एवं विधान सभा में प्रश्न उठाकर बदनाम करने की धमकी दी गई थी। इसके अतिरिक्त कई वर्तमान एवं पूर्व मंत्रियों द्वारा भी अपराधियों के साथ समझौता करने का दबाव डाला गया। 


पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारी ने प्रकरण में गृह विभाग के आदेश की अवहेलना कर एस.ओ.जी. शाखा से अनुसंधान नहीं होने दिया, एवं यह झूठी दलील दी कि उसके ऊपर माननीय मुख्य मंत्री का दबाव था। इस आला अधिकारी ने माननीय मुख्य मंत्री के नाम को बदनाम करने में कोई भी हिचकिचाहट नहीं की। एकलव्य सिंह ने उल्लेख किया कि समस्या की जड़ अपराधियों द्वारा फर्जी दस्तावेज की कूट रचना कर उसे भागीदारी फर्म से बाहर करने और उसके हिस्से को अपराधी देवेन्द्र कुमार द्वारा हड़प लेने के कारण पुलिस थाना गॉधीनगर (जयपुर) में दायर की गई एफ.आई.आर. सं. 183/2009 है।

अपराधियों के आला प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भी घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। इनकी सांठगांठ के कारण जैसलमेर में सारे नियमकानूनों को दरकिनार करते हुए, शहर की कीमती भूमि का भूपरिवर्तन कर उसी दिन ही अपराधियों को आवंटित कर दी गयी। इसी प्रकार सारे नियमों का उल्लघंन कर, जैसलमेर नगरपालिका के कमिश्नर ने अपराधियों द्वारा बनाये जा रहे होटल की ऊॅचाई की 40’ फीट करने की अनुमति दे दी, जबकि नगर नियोजन विभाग ने एवं स्वयं नगरपालिका मंडल ने मात्र 25’ फीट की ऊॅचाई स्वीकृत की थी। अपराधी देवेन्द्र कुमार के भाई पृथ्वीराज ने एक वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी का नाम लेकर, जैसलमेर में पर्यटन के क्षेत्र में कार्यरत एक विदेशी कम्पनी के मालिक को उसी के देश में जाकर कम्पनी में भागीदारी मांगी एवं धमकी दी कि ऐसा नहीं होने पर कई तकलीफें भुगतनी पड़ेगी। विदेशी मालिक के मना करने पर अपराधियों ने कम्पनी को काफी परेशान किया। अन्ततः प्रकरण में मालिक को मुख्य सचिव की शरण लेनी पड़ी।

एकलव्य सिंह ने यह भी बताया कि आरोपियों की विधि अधिकारियों के साथ भी सांठगांठ है। एकलव्य सिंह और अपराधियों के मध्य विचाराधीन दिवानी प्रकरण में एक महत्वपूर्ण फैसले की तारीख के कुछ दिन पूर्व, राज्य के एक अतिरिक्त महाधिवक्ता (॥ळ) ने यह धमकी दी कि राजीनामा किया जावे, वरना वह अपने प्रभाव का उपयोग कर माननीय उच्च न्यायालय में स्टे करा देगा एवं फाईल को ’कोल्ड स्टोरेज॔ में बंद करा देगा। इस संदर्भ में एकलव्य सिंह ने यह भी बताया कि विधि विभाग ने अपने आदेश दि. 23.11.2010 द्वारा नोटरी श्री दान सिंह मेहता एवं नोटरी श्रीमती बसन्ती माथुर का लाईसेन्स रद्द कर दिया है एवं नोटरी पेशा से आजीवन विवर्जित कर दिया है। दोनो नोटरी के खिलाफ यह कार्यवाही इसलिए की गई थी, क्योंकि इन्होंने अवैधिक रूप से दस्तावेजों का सत्यापन उन दिवसों को किया था, जिन तिथियों को एकलव्य सिंह विदेश में था। इन दस्तावेजों में से एक के द्वारा एकलव्य सिंह को अपराधियों ने भागीदारी फर्म से रिटायर दिखाकर उसके हिस्से को हड़प लिया था। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि नोटरी अधिनियम के अनुसार विधि विभाग का सक्षम अधिकारी ही नोटरी के विरूद्ध एफ.आई.आर. प्रेषित कर सकता है। परन्तु कई आवेदनों उपरान्त करीब दो वर्ष का समय व्यतीत होने के पश्चात भी अपराधियों के प्रभाव के कारण विधि विभाग के अधिकारियों द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज नहीं कराई गई है।

एकलव्य सिंह ने यह भी बताया कि अपराधियों ने उसे और उसके पिता को ब्लैकमेल करने के लिए न्यायालय में एक इस्तगासा कर एफ.आई.आर. दर्ज करायी। प्रकरण में अनुसंधान उपरान्त न्यायालय में एफ.आर. प्रस्तुत करने के उपरान्त, अपराधियों के घनिष्ठ पुलिस आयुक्त, जयपुर ने न्यायालय से पत्रावली को पुनः अनुसंधान हेतु मंगा ली। पुनः अनुसंधान पश्चात अन्वेषण अधिकारी द्वारा पुनः एफ.आर. प्रस्तावित की गई, परन्तु पुलिस आयुक्त ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए कनिष्ठ अधिकारियों को एफ.आर. स्वीकृत नहीं करने का निर्देश दिया एवं यह झूठी दलील दी कि माननीय मुख्य मंत्री की ऐसी ही इच्छा है। इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि पुलिस आयुक्त की अपराधियों से दोस्ती तब से है जब वह जैसलमेर में पुलिस अधीक्षक थे। कुछ अपराधियों को पुलिस हिरासत में लेने के दिन वह सी.बी.आई., चण्डीग़ में पदस्थापित थे। इन्होंने उस समय भी अपराधियों के पक्ष में राज्य के आला पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाया था। प्रकरण में पुलिस आयुक्त ने कई बार मुख्य मंत्री कार्यालय एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह को झूठी सूचनाऐं भी दी है। दूसरी तरफ अपराधियों द्वारा एकलव्य सिंह का गाड़ी में पीछा करने के सम्बन्ध में दर्ज कराई गयी शिकायत पर पुलिस कमिश्नर के दबाव के कारण आदिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

अपराधीगण विचाराधीन दिवानी वाद के महत्वपूर्ण पहलु पर जिला न्यायाधीश न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय में हार चुके हैं। विचाराधीन आपराधिक प्रकरण में भी जल्द ही सजा होने की पूर्णतः उम्मीद है। अतः अपराधीगण बौखला गये हैं। दूसरी तरफ पुलिस, प्रशासन एवं विधि के आला अधिकारियों एवं राज्य तथा राष्ट्र स्तरीय राजनेताओं के साथ सांठगांठ के कारण इनके हौसले बुलन्द है। तीन अपराधी भाईयों में से एक मानसिक रूप से अस्थाई प्रकृति का है। अतः अपराधियों द्वारा मेरे जीवन पर अत्यन्त खतरा मंडरा रहा है। पुलिस आयुक्त भी ऐन केन प्रकरेण मुझे हिरासत में लेना चाहते हैं। उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में एकलव्य सिंह ने माननीय मुख्य मंत्री से आग्रह किया है कि अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही की जावे। उन आला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की जावे जिन्होंने झूठ बोलकर माननीय मुख्य मंत्री के तथाकथित निर्देश पर अवैधानिक कृत्य किया है, एवं माननीय मुख्य मंत्री को बदनाम किया है। इसके अतिरिक्त नियम विरूद्ध अपराधियों को किए भूमि आवंटन एवं होटल भवन की ऊॅचाई ब़ाने की स्वीकृति निरस्त की जावे। एकलव्य सिंह ने सम्बन्धित अतिरिक्त महाधिवक्ता (॥ळ) के विरूद्ध भी कार्यवाही करने की प्रार्थना की, ताकि अपराधियों का मनोबल कमजोर हो और उसके जीवन एवं स्वतंत्रता की सुरक्षा हो सके।

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