नौशाद ने पाक के सेना कार्यालय में ली थी ट्रेनिंग
सुरक्षा की दृष्टि से देश के संवेदनशील क्षेत्रों में शुमार जोधपुर व आस-पास के इलाकों से गुप्त सूचनाएं पाक भेजने वाला नौशाद तीन वर्ष से सेना व सीसुब की महत्वपूर्ण सूचनाएं ई-मेल तथा फेस बुक के जरिए दुश्मनों से साझा करता रहा।
गुजरात की क्राइम ब्रांच की पूछताछ में आरोपित नौशाद ने कई सूचनाएं पाक भेजने का खुलासा किया है। सिराजुद्दीन की ही तरह नौशाद को भी कराची के पाकिस्तान सेना कार्यालय में जासूसी के लिए प्रशिक्षण दिया गया। सेना के चिन्ह, झंडे, अधिकारियों के रैंक पहचानने और उन्हें गुप्त भाषा में संदेश पाकिस्तान भेजने की ट्रेनिंग दी गई। वर्ष 2009 से अब तक वह जोधपुर आर्मी कैंटोनमेंट व आस-पास सेना की तैनातगी से जुड़ी कई सूचनाएं पाकिस्तान भेज चुका है।
क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त ए.के. शर्मा ने बताया कि जासूसी के मामले में गिरफ्तार सिराजुद्दीन ने पूछताछ में बताया था कि राजस्थान की सीमा से जुड़ी सेना व सीसुब की जानकारी जोधपुर को अली नामक युवक पाक में कैप्टन ताहिर को भेजता है। इस आधार पर गत गुरूवार रात यहां पाल लिंक रोड स्थित कम्प्यूटर सेंटर से नौशाद अली पुत्र मकसूद अली को हिरासत में लिया गया। शुक्रवार को उसे गिरफ्तार किया गया। वह अभी बारह नवम्बर तक रिमाण्ड पर है।
74 हजार में बन गया जासूस
बी.कॉम तक पढ़ाई करने वाला नौशाद बच्चों को टयूशन कराने के साथ-साथ कम्प्यूटर सेंटर भी चलाता था। 21 नवम्बर 2009 को अपनी छोटी बहन से मिलने पाक जाने के दौरान आईएसआई के कैप्टन व हैण्डलर ताहिर ने उससे सम्पर्क किया और बहन की सलामती के नाम पर भारत की गुप्त सैन्य सूचनाएं भेजने के लिए जासूस बना लिया। उसके बैंक खाते में 74 हजार रूपए भी जमा हुए। जो वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफार्मर के जरिए पाकिस्तान से आए थे।
फेस बुक से भी जासूसी
शर्मा ने बताया कि नौशाद ई-मेल में ड्राफ्ट बॉक्स में सूचनाएं सेव करके तो संदेश भेजता ही था, साथ ही सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक के जरिए भी आईएसआई के ताहिर से फेस-टु-फेस होता। दोनों ने फर्जी नाम और पते से फेसबुक एकाउन्ट बनाया हुआ है। फेसबुक से जासूसी का पहला मामला प्रकाश में आया है। आरोपित के जब्त लैपटॉप से कई सबूत मिलने की संभावना है।
ताहिर और तैमूर हैं अलग-अलग
सूत्रों के अनुसार नौशाद से यह स्पष्ट हुआ है कि आईएसआई हेन्डलर ताहिर और तैमूर दोनों अलग-अलग व्यक्ति हैं, ना कि एक। नौशाद ने दोनों को एकसाथ देखा है।
आर्मी के लिए मामू, सीसुब के लिए ऊंट वाले मामू
नौशाद अपने संदेशों में आर्मी के लिए मामू और बीएसएफ के लिए ऊंट वाले मामू जैसे गुप्त शब्दों का उपयोग करता था।
"कुमार 1786" एकाउंट से दी सूचना
क्राइम ब्रांच की अब तक की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि नौशाद अली से सूचनाएं आदान-प्रदान करता था। जो पाकिस्तान स्थित ताहिर और तैमूर नामक आईएसआई हेन्डलरों को ई-मेल पर डॉफ्ट में सूचनाएं सेव कर जानकारी देता था।
मिलिट्री व बीएसएफ बेस कैंप तक घुसपैठ!
क्राइम ब्रांच को आशंका है कि नौशाद ने जोधपुर स्थित मिलिट्री और बीएसएफ के बेस कैंप में जाकर सूचनाएं जुटाई हैं। वह कैसे वहां तक पहुंचा तथा इसके अलावा वह किस प्रकार जानकारियां जुटाता था, इस संबंध में उससे पूछताछ की जा रही है। इसके संपर्क सूत्र कौन हैं इसकी जांच करनी है। नौशाद ने सांकेतिक भाषा में गुप्त सूचनाएं पाक भेजी है। रिमाण्ड के दौरान उससे सांकेतिक भाषा को डिकोड कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सुरक्षा की दृष्टि से देश के संवेदनशील क्षेत्रों में शुमार जोधपुर व आस-पास के इलाकों से गुप्त सूचनाएं पाक भेजने वाला नौशाद तीन वर्ष से सेना व सीसुब की महत्वपूर्ण सूचनाएं ई-मेल तथा फेस बुक के जरिए दुश्मनों से साझा करता रहा।
गुजरात की क्राइम ब्रांच की पूछताछ में आरोपित नौशाद ने कई सूचनाएं पाक भेजने का खुलासा किया है। सिराजुद्दीन की ही तरह नौशाद को भी कराची के पाकिस्तान सेना कार्यालय में जासूसी के लिए प्रशिक्षण दिया गया। सेना के चिन्ह, झंडे, अधिकारियों के रैंक पहचानने और उन्हें गुप्त भाषा में संदेश पाकिस्तान भेजने की ट्रेनिंग दी गई। वर्ष 2009 से अब तक वह जोधपुर आर्मी कैंटोनमेंट व आस-पास सेना की तैनातगी से जुड़ी कई सूचनाएं पाकिस्तान भेज चुका है।
क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त ए.के. शर्मा ने बताया कि जासूसी के मामले में गिरफ्तार सिराजुद्दीन ने पूछताछ में बताया था कि राजस्थान की सीमा से जुड़ी सेना व सीसुब की जानकारी जोधपुर को अली नामक युवक पाक में कैप्टन ताहिर को भेजता है। इस आधार पर गत गुरूवार रात यहां पाल लिंक रोड स्थित कम्प्यूटर सेंटर से नौशाद अली पुत्र मकसूद अली को हिरासत में लिया गया। शुक्रवार को उसे गिरफ्तार किया गया। वह अभी बारह नवम्बर तक रिमाण्ड पर है।
74 हजार में बन गया जासूस
बी.कॉम तक पढ़ाई करने वाला नौशाद बच्चों को टयूशन कराने के साथ-साथ कम्प्यूटर सेंटर भी चलाता था। 21 नवम्बर 2009 को अपनी छोटी बहन से मिलने पाक जाने के दौरान आईएसआई के कैप्टन व हैण्डलर ताहिर ने उससे सम्पर्क किया और बहन की सलामती के नाम पर भारत की गुप्त सैन्य सूचनाएं भेजने के लिए जासूस बना लिया। उसके बैंक खाते में 74 हजार रूपए भी जमा हुए। जो वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफार्मर के जरिए पाकिस्तान से आए थे।
फेस बुक से भी जासूसी
शर्मा ने बताया कि नौशाद ई-मेल में ड्राफ्ट बॉक्स में सूचनाएं सेव करके तो संदेश भेजता ही था, साथ ही सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक के जरिए भी आईएसआई के ताहिर से फेस-टु-फेस होता। दोनों ने फर्जी नाम और पते से फेसबुक एकाउन्ट बनाया हुआ है। फेसबुक से जासूसी का पहला मामला प्रकाश में आया है। आरोपित के जब्त लैपटॉप से कई सबूत मिलने की संभावना है।
ताहिर और तैमूर हैं अलग-अलग
सूत्रों के अनुसार नौशाद से यह स्पष्ट हुआ है कि आईएसआई हेन्डलर ताहिर और तैमूर दोनों अलग-अलग व्यक्ति हैं, ना कि एक। नौशाद ने दोनों को एकसाथ देखा है।
आर्मी के लिए मामू, सीसुब के लिए ऊंट वाले मामू
नौशाद अपने संदेशों में आर्मी के लिए मामू और बीएसएफ के लिए ऊंट वाले मामू जैसे गुप्त शब्दों का उपयोग करता था।
"कुमार 1786" एकाउंट से दी सूचना
क्राइम ब्रांच की अब तक की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि नौशाद अली से सूचनाएं आदान-प्रदान करता था। जो पाकिस्तान स्थित ताहिर और तैमूर नामक आईएसआई हेन्डलरों को ई-मेल पर डॉफ्ट में सूचनाएं सेव कर जानकारी देता था।
मिलिट्री व बीएसएफ बेस कैंप तक घुसपैठ!
क्राइम ब्रांच को आशंका है कि नौशाद ने जोधपुर स्थित मिलिट्री और बीएसएफ के बेस कैंप में जाकर सूचनाएं जुटाई हैं। वह कैसे वहां तक पहुंचा तथा इसके अलावा वह किस प्रकार जानकारियां जुटाता था, इस संबंध में उससे पूछताछ की जा रही है। इसके संपर्क सूत्र कौन हैं इसकी जांच करनी है। नौशाद ने सांकेतिक भाषा में गुप्त सूचनाएं पाक भेजी है। रिमाण्ड के दौरान उससे सांकेतिक भाषा को डिकोड कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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