जिन्दगी के मोर्चे पर डाले हथियार सेना के जवानो ने
खुदकुशी के मामले : 4 साल में करीब 400 ने दी जान
बाड़मेर देश भर में राष्ट्री सुरक्षा के लिए तैनात सेना के जवानो के ख़ुदकुशी करने के मामलो में लगातार बढ़ोतरी हो रही हें ,गत चार सालो में चार सौ जवान आत्महत्या कर चुके हें ,अपने घरो से हज़ारो मील दूर रह कर देश की सरहदों की हिफाज़त में जुटे कई सैनिक अपनी जिंदगी के मोर्चे पर हार जाते हें ,घरेलु अवसादों से जवान अपने आप को बाहर नहीं निकाल पाते ,ख़ुदकुशी का रास्ता अपना लेते हें ,
इसे बढ़ते तनाव का परिणाम मानें या कुछ और, लेकिन सेना के मोर्चे पर दुश्मन के दांत खट्टे करने वाले जवान जिंदगी के मोर्चे पर हथियार डाल रहे हैं। भारतीय सेना में आत्महत्या करने वाले जवानों और अधिकारियों की संख्या तो ऎसा ही संकेत देती है। रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक विगत चार साल में भारतीय सेना के 394 अधिकारी व जवान मौत को गले लगा चुके हैं। इसमें से 81 सैन्यकर्मियों ने तो इसी साल (वर्ष 2012 में) 20 नवम्बर तक जान दी है। इसके अलावा वर्ष 2009 में 96, 2010 में 115 तथा 2011 में 102 फौजियों ने खुदकुशी की है। सैन्यकर्मियों की आत्महत्या के कारण जुदा-जुदा हैं, लेकिन सभी में तनाव प्रमुख रूप से उभर कर आया है।
खुदकुशी के मामले : 4 साल में करीब 400 ने दी जान
बाड़मेर देश भर में राष्ट्री सुरक्षा के लिए तैनात सेना के जवानो के ख़ुदकुशी करने के मामलो में लगातार बढ़ोतरी हो रही हें ,गत चार सालो में चार सौ जवान आत्महत्या कर चुके हें ,अपने घरो से हज़ारो मील दूर रह कर देश की सरहदों की हिफाज़त में जुटे कई सैनिक अपनी जिंदगी के मोर्चे पर हार जाते हें ,घरेलु अवसादों से जवान अपने आप को बाहर नहीं निकाल पाते ,ख़ुदकुशी का रास्ता अपना लेते हें ,
इसे बढ़ते तनाव का परिणाम मानें या कुछ और, लेकिन सेना के मोर्चे पर दुश्मन के दांत खट्टे करने वाले जवान जिंदगी के मोर्चे पर हथियार डाल रहे हैं। भारतीय सेना में आत्महत्या करने वाले जवानों और अधिकारियों की संख्या तो ऎसा ही संकेत देती है। रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक विगत चार साल में भारतीय सेना के 394 अधिकारी व जवान मौत को गले लगा चुके हैं। इसमें से 81 सैन्यकर्मियों ने तो इसी साल (वर्ष 2012 में) 20 नवम्बर तक जान दी है। इसके अलावा वर्ष 2009 में 96, 2010 में 115 तथा 2011 में 102 फौजियों ने खुदकुशी की है। सैन्यकर्मियों की आत्महत्या के कारण जुदा-जुदा हैं, लेकिन सभी में तनाव प्रमुख रूप से उभर कर आया है।
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