सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

यश चोपड़ा को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई



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मुंबई।। जाने-माने फिल्म प्रड्यूसर और डायरेक्टर यश राज चोपड़ा का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। जुहू के चंदनबाड़ी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। शोक में डूबी फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी। उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए बॉलिवुड के सभी लोग पहुंचे।

रविवार शाम मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया था। सांस में तकलीफ और बेचैनी के चलते 13 अक्टूबर को उन्हें लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया था। फिर खबर आई कि उन्हें डेंगू हो गया। उनके निधन का समाचार सुनते ही फिल्म जगत में शोक की लहर छा गई। लीलावती अस्पताल में सबसे पहुंचने वाले सितारों में दिलीप कुमार और सलमान खान शामिल थे।




रविवार की रात यश चोपड़ा का पार्थिव शरीर उनके जुहू स्थित निवास 'आदित्योदय' पर ले जाया गया। सोमवार सुबह 9 बजे उनका शव अंतिम दर्शन के लिए अंधेरी के वीरा देसाई रोड स्थित यशराज स्टूडियो में रखा गया। बॉलिवुड के दिग्गजों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। यहां से उनके पार्थिव शरीर को जुहू के चंदनबाड़ी शवदाह गृह ले जाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। डेंगू की शिकायत के चलते यश चोपड़ा को 13 अक्टूबर को मुम्बई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। वह गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती थे।उनके परिवार में पत्नी पामेला चोपड़ा एवं दो लड़के आदित्य एवं उदय हैं। जैसे ही महान फिल्मकार के निधन की खबर फैली हर तरफ शोक की लहर दौड़ पड़ी।



फिल्म के क्षेत्र में अपने अविस्मरणीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2001 में दादा साहब फाल्के एवं 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। यशराज को अपने 50 साल के फिल्मी करियर में छह राष्ट्रीय पुरस्कार एवं 11 फिल्म फेयर पुरस्कारों से नवाजा गया था। यशराज चोपड़ा का जन्म 21 सितम्बर 1932 को अविभाजित भारत के लाहौर शहर में हुआ था। यशराज ने अपना फिल्मी करियर अपने बड़े भाई बी.आर. चोपड़ा (बल राज चोपड़ा) के सहायक के तौर पर किया।


यशराज ने बीआर फिल्म्स के तले बनी फिल्म "धूल का फूल" के जरिए निर्देशन के क्षेत्र में सफलतापूर्वक कदम रखा। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यश ने बीआर फिल्म्स की जबरदस्त सफल फिल्म "वक्त" के अलावा अमिताभ बच्चन अभिनीत "दीवार" का भी निर्देशन किया। इस फिल्म ने अमिताभ को एंग्री यंग मैन के खिताब से नवाजा।


यशराज ने 1973 में यशराज फिल्म्स से खुद का बैनर स्थापित किया और एक से बढ़कर एक फिल्में दी। प्रेम कहानी को पिरोने के जादूगर यशराज ने "दाग", "त्रिशूल", "कभी-कभी", "चांदनी", "डर", "दिल तो पागल है", "मोहब्बतें" एवं "वीर जारा" जैसी फिल्मों का निर्माण एवं निर्देशन किया। यशराज की फिल्में अपने संगीत के जरिए दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रहीं।

इस दिनों यश चोपड़ा "जब तक है जान" की शूटिंग में व्यस्त थे। स्वास्थ्य खराब होने के कारण फिल्म की शूटिंग के कुछ हिस्सों की शूटिंग को रोक दिया गया था। उन्होंने इस फिल्म के साथ ही फिल्म निर्माण से संन्यास की घोषणा कर दी थी।

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