रविवार, 14 अक्तूबर 2012

आरक्षण में छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं:



आरक्षण में छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं:
अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों का प्रदेश स्तरीय महासम्मेलन आयोजित
मंच से हुई प्रदेश में तीसरे राजनीतिक मोर्चे की घोषणा, दिल्ली की रैली ताकत दिखाने का आव्हान  
बाड़मेर।

पिछले 65 सालों से प्रदेश में भाजपा एवं कांग्रेस ने दलितों को सिर्फ ठगा हैं। उन्होंने दलित समाज का उपयोग सिर्फ वोटबैंक के रूप में करके सदैव उनका शोषण किया हैं। दलित समाज द्वारा इन पार्टियों का हर मुद्दे पर समर्थन के बावजुद दोनो ही पार्टिया ने सिर्फ इनका इस्तेमाल किया हैं। लेकिन अब यह यहीं होने दिया जाएगा। दलितों को उनका हक मिलकर रहेगा और इसके लिए प्रदेश में तीसरे मोर्चे का उदय होना जरूरी हैं। यह बात अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने रविवार को आयोजित परिसंघ के संगठनों के प्रदेश स्तरीय महासम्मेलन में मुख्य अतिथी के रूप में कही।

उदित राज ने कहा कि अब वक्त आ गया हैं और दलित समाज को एक जुट होना होगा। इसके लिए अनुसूचित जातिजनजाति एवं आदिवासी समाज के लोगो को एक मंच पर आना होगा। इनकी एकजुटता से प्रदेश में सता परिवर्तन को कोई नहीं रोक सकता। उन्होने कहा कि आरक्षण में छेड़छाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उल्टा संगठन अपनी मुहिम चलाकर आने वाले दिनों में निजी क्षेत्रों एवं न्यायपालिका में भी आरक्षण की मांग को मनवा कर ही रहेगी। कार्यक्रम अध्यक्ष दौसा सांसद किरोणीलाल मीणा ने कहा कि प्रदेश का दलित समाज कांगे्रस एवं भाजपा राज के शोषण से तंग आ चुका हैं। दोनो ही पार्टियों ने दलित समाज को चुसने का काम किया हैं। उन्होंने वसुंधरा राजे पर निशाना साधते हुए कहा कि गुर्जरों को आरक्षण के मामले में जब उन्होंने वसुंधरा को आंख दिखाई तो वसुंधरा राजे ने उनके खिलाफ षड़यंत्र रचकर उन्हें पार्टी से निकलवा दिया। साथ ही भाजपा ने भी उनकी तीस साल की मेहनत का उन्हें कोई महत्व नहीं दिया। लेकिन इसका नतीजा वसुंधरा को गत चुनावों में हमने दिखा दिया। वहीं कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी वसुंधरा से मिले हुए हैं और वसुंधरा पर लगे भ्रष्ट्राचार के आरोपो की सही जांच करने की बजाए गहलोत एवं वसुंधरा में समझोता हो गया हैं। अब गहलोत वसुंधरा के काले कारनामो को उजागर नहीं करेगे और बदले में वसुंधरा गहलोत सरकार की खिलाफत नहीं करेगी। इस खेल को दलित समाज को समझना होगा और उन्हें दोनो ही पार्टियों को प्रदेश से उखाड़ते हुए तीसरे मोर्चे को सता दिलानी होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 65 सालों में हर वर्ग के लोगो ने राज किया तो फिर दलित समाज का कोई मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता। इसलिए संगठन का एक ही लक्ष्य हैं कि अगला मुख्यमंत्री दलित समाज से ही होगा।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथी एवं वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. गंगासहाय मीणा ने आरक्षण के मामले में अदालतो के आ रहे निर्णयों को अदालती निर्णय की बजाए अदालतो में बैठे स्वर्ण जाति के लोगो के व्यक्तिगत निर्णय बताए। उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्णय न्यायपालिका की छवि को धूमिल कर रहे हैं। उन्होंने निजी क्षेत्र में आरक्षण के साथ ही न्यायपालिका में भी आरक्षण की बात कही। उन्होंने कहा कि जब तक इन उच्च पदों पर दलित समाज के लोग नहीं होगे तब तक दलित विरोधी निर्णय यह लोग करते रहेगे। उन्होंने प्रमोशन में आरक्षण के मसले पर बात करते हुए कहा कि अब दलीले दी जा रही हैं कि निम्न तबके का कर्मचारी आज उनका अधिकारी बनकर आदेश देगा। इसका यही मतलब हैं कि आज भी स्वर्ण जाति के लोगो की सोच दकियानुसी हैं और वह दलित समाज के लोगो को आगे आने ही नहीं देना चाहते हैं। यही कारण हैं कि वह लोग पदोन्नति में आरक्षण का विरोध कर रहे हैं।

परिसंघ के सम्मेलन में परिसंघ के राष्ट्रीय सलाहकार विशिष्टि अतिथी जुथिका बैनर्जी, राष्ट्रीय महामंत्री लूणचंद सिनवारिया, बाड़मेर प्रधान धाई देवी, शिक्षा विभाग के पूर्व अतिरिक्त निदेशक सोहनलाल सिंघारिया, सेवानिवृत आरएएस पी.एस.राठौड़, मीणा समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मीणा सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया। इस अवसर पर भोजाराम मंगल, मिश्रीमल जेलिया सहित करीब छः हजार से अधिक विभिन्न क्षेत्रों से आए दलित समाज के लोग मौजुद थे।

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