दिल्ली. केंद्रीय कानून और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सलमान खुर्शीद मुश्किल में फंसते नज़र आ रहे हैं। निजी टीवी चैनल आज तक के स्टिंग 'ऑपरेशन दुर्योधन' में यह बात सामने आई है कि डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट, फर्रूखाबाद ने विकलांग कल्याण के नाम पर अफसरों के जाली दस्तखत और मोहर लगाकर करीब 71 लाख रुपयों का घोटाला किया है। यह फंड 2010 में दिया गया था।
सलमान खुर्शीद इस ट्रस्ट के अध्यक्ष और उनकी पत्नी लुइस खुर्शीद इसकी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। निजी टीवी चैनल आज तक ने इस स्टिंग ऑपरेशन में खुर्शीद को कठघरे में खड़ा किया है। एनजीओ के फंड केंद्र सरकार की ओर से दिए गए थे। चैनल ने दावा किया है कि डॉ. जाकिर हुसैन ट्रस्ट, फर्रूखाबाद का कामकाज उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में फैला हुआ है। इस एनजीओ का पता सलमान खुर्शीद दिल्ली में मौजूद स्थायी घर 4, गुलमोहर एवेन्यू, जामिया नगर, नई दिल्ली है। डॉ. जाकिर हुसैन सलमान खुर्शीद के नाना और देश के पूर्व राष्ट्रपति हैं। इस ट्रस्ट की स्थापना 1986 में हुई थी।
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने चुप्पी साध ली है। पार्टी के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। स्टिंग करने वाले टीवी चैनल के रिपोर्टर ने जब अल्वी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया गया है कि डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट ने बिना किसी अधिकारी को जानकारी दिए जाली कागजात तैयार करवा कर फंड हड़प लिए। संबंधित अधिकारियों ने कहा है कि उनके जाली दस्तखत कर फंड हड़पे गए। टीवी चैनल ने कुछ विकलांगों के हवाले से कहा है कि उन्हें इस ट्रस्ट से कोई मदद नहीं मिली जबकि हकीकत यह है कि उन्हीं लोगों के नाम पर फंड का खर्च कागजों पर दिखाया गया है। विकलांगों को गाड़ी वगैरह दिए जाने के लिए जिलाधिकारी, जिला कल्याण अधिकारी, तहसीलदार को बाकायदा जानकारी दी जाती है और जिले के सीएमओ की मौजूदगी में उनकी अनुशंसा पर विकलांगों को गाड़ी वगैरह दिए जाने का प्रावधान है। यह कागजों पर विकलांगों को उपकरण बांटने का मामला तब सामने आया जब राष्ट्रीय विकलांग पार्टी के नेता केके दीक्षित ने एक आरटीआई के जरिए डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट से आरटीआई के जरिए यह जानकारी मांगी थी कि ट्रस्ट ने किन लोगों की मदद की। जवाब में ट्रस्ट ने वह सूची उपलब्ध कराई। स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सूची में जिन लाभार्थियों के नामों का जिक्र था, उनका पता लगाया गया तो मामला साफ हो गया कि जिन लोगों के नाम पर फंड लिए गए, उनमें से ज़्यादातर को कोई मदद नहीं की गई। जब इस बारे में ट्रस्ट से पूछा तो सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद ने जवाब के रूप में 2009-10 के दौरान मैनपुरी के सीडीओ रहे जेबी सिंह की ओर से एक हलफनामा भेजा। लेकिन जब टीवी चैनल के रिपोर्टर ने जेबी सिंह से हलफनामे के बाबत पूछा तो जेबी सिंह ने कहा कि जिस हलफनामे की बात हो रही है, उस पर उनके दस्तखत नहीं हैं। जेबी सिंह ने यह भी कहा, 'ऐसे मामले में मैं हलफनामा क्यों दूंगा? अगर जरूरत हुई तो जिला प्रशासन की ओर से रिपोर्ट दी जाएगी।' स्टिंग ऑपरेशन करने वाले टीवी चैनल ने दावा किया है कि जब इस बारे में सलमान खुर्शीद से मुलाकात की गई तो वे कैमरे पर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हुए। समाजवादी पार्टी की ओर से सांसद शैलेंद्र कुमार ने इस मामले में जांच का आश्वासन दिया है। वहीं, बीजेपी के नेता लालजी टंडन ने कहा है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज हो जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि इसके लिए एफआईआर की जरूरत नहीं है। जबकि इंडिया अगेंस्ट करप्शन के गोपाल राय ने कहा है कि वे लोग इस मुद्दे को भी जोरशोर से उठाएंगे।
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