ओजोन परत बचाने को समन्वित प्रयास जरूरी : डॉ. नामा
बाड़मेर। ओजोन हमारा सुरक्षा कवच है। यह कवच धीरेधीरे खोखला हो रहा है। समय रहते इसे बचाया नहीं गया तो आने वाले समय में विनाश हो जाएगा। ओजोन परत बचाने के लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। यह बात सोसायटी फॉर प्लांनेट अर्थ की ओर से भास्त्रीनगर में ओजोन दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ.एस.एल. नामा ने कही।
नामा ने कहा कि ओजोन परत को बचाने के लिए हमें अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे तथा पर्यावरण को दूषित होने से बचाना होगा। तभी हम और हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह पाएगा। इस अवसर पर संस्था के कार्यकर्ता रमो पन्नू ने कहा कि ओजोन परत लगातार पतली होती जा रही है, जो धरती पर रहने वाले सभी जीवों के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि हमें उन सभी वस्तुओं का कम से कम उपयोग करना होगा जो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है। इस अवसर पर रमेष बृजवाल ने कहा कि हमने तरक्की और सांसरिक सुविधाएं हासिल करने के चक्कर में कब उस नीली छतरी में छेद कर डाला कि पता ही नहीं चला। अभी भी समय है सबको जागरूक होकर इस नीली छतरी रूपी ओजोन परत के संरक्षण के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। इस अवसर पर मोहनलाल, रविन्द्र कुमार नामा, पवन कुमार नामा, आोक बृजवाल, सुरेश पन्नू, श्रवण कुमार समेत कई लोगों ने विचार व्यक्त करते हुए ओजोन परत को बचाने का संकल्प लिया। संगोष्ठी के अंत में प्रेम कुमार पूनड़ ने आभार जताया। --
बाड़मेर। ओजोन हमारा सुरक्षा कवच है। यह कवच धीरेधीरे खोखला हो रहा है। समय रहते इसे बचाया नहीं गया तो आने वाले समय में विनाश हो जाएगा। ओजोन परत बचाने के लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। यह बात सोसायटी फॉर प्लांनेट अर्थ की ओर से भास्त्रीनगर में ओजोन दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ.एस.एल. नामा ने कही।
नामा ने कहा कि ओजोन परत को बचाने के लिए हमें अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे तथा पर्यावरण को दूषित होने से बचाना होगा। तभी हम और हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह पाएगा। इस अवसर पर संस्था के कार्यकर्ता रमो पन्नू ने कहा कि ओजोन परत लगातार पतली होती जा रही है, जो धरती पर रहने वाले सभी जीवों के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि हमें उन सभी वस्तुओं का कम से कम उपयोग करना होगा जो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है। इस अवसर पर रमेष बृजवाल ने कहा कि हमने तरक्की और सांसरिक सुविधाएं हासिल करने के चक्कर में कब उस नीली छतरी में छेद कर डाला कि पता ही नहीं चला। अभी भी समय है सबको जागरूक होकर इस नीली छतरी रूपी ओजोन परत के संरक्षण के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। इस अवसर पर मोहनलाल, रविन्द्र कुमार नामा, पवन कुमार नामा, आोक बृजवाल, सुरेश पन्नू, श्रवण कुमार समेत कई लोगों ने विचार व्यक्त करते हुए ओजोन परत को बचाने का संकल्प लिया। संगोष्ठी के अंत में प्रेम कुमार पूनड़ ने आभार जताया। --
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें