सोमवार, 24 सितंबर 2012

आम आदमी को भी मिलेगा बीमा, बीपीएल परि‍वार आएंगे इसकी सीमा में


नई दिल्ली। देश में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले तमाम परिवार पांच साल के भीतर बीमा कवर पाने की उम्मीद कर सकते हैं। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) द्वारा पेश किए गए एक खास प्रस्ताव के मसौदे से यह आस बंधी है। इसमें बीमा कवर का दायरा बढ़ाकर सभी बीपीएल परिवारों को इसमें शामिल करने का जिक्र किया गया है।

इरडा ने मसौदे में कहा है, 'टार्गेट ग्रुप कोई और नहीं, बल्कि बीपीएल परिवारों का विशाल समूह होगा। हर बीमा कंपनी बाजार हिस्सेदारी के अनुपात में बीमा कवर मुहैया कराने कालक्ष्य रखेगी। इरडा की ओर से सालाना लक्ष्य तय किया जाएगा ताकि अगले पांचवर्षों में समूची बीपीएल आबादी इसके दायरे में आ सके।'

इरडा का कहना है कि इसके लिए अग्रणी जीवन बीमा कंपनियों और गैर जीवन बीमा कंपनियोंको आपस में गठबंधन करना चाहिए। इरडा के मुताबिक इन स्टैंडर्ड अथवा मानक बीमा उत्पादों में जीवन बीमा कवर के लिए बीमित राशि न्यूनतम 40,000 और अधिकतम2 लाख रुपए होनी चाहिए। इसमें बीमा कवर की अवधि 5 साल से 25 साल तक होगी। इन मानक बीमाउ त्पादों की पेशकश बीपीएल परिवारों के सदस्यों को भी की जा सकती है।ये स्टैंडर्ड बीमा उत्पाद असल में उन सरकारी स्कीमों के अलावा होंगे जो रियायती प्रीमियम पर बीमा कवर मुहैया कराती हैं।

इरडा का कहना है कि यह स्टैंडर्ड बीमा उत्पाद दरअसल मौजूदा समय में मिल रही सामाजिक सुरक्षा के पूरक अथवा टॉप-अप के तौर पर होगा, अत: इसमें एक ही समय पर एक जैसी दो सुविधाएं देने जैसी कोई बात नहीं होगी। इरडा का कहना है कि उसने स्टैंडर्ड बीमा उत्पाद को और भी ज्यादा लचीला एवंसु गम बना दिया है। इरडा ने सबंधित पक्षों से अगले 30 दिनों में 'कंपोजिट पैकेज ऑफ स्टैंडर्ड इंश्योरेंस प्रोडक्ट फॉर रूरल एंडसोशल सेक्टर' पर अपनी राय देने को कहा है।

अब खाद्य बिल होगा सरकार का ट्रम्प कार्ड : खुर्शीद

मल्टी ब्रांड खुदरा बाजार में एफडीआई और डीजल के मूल्य में बढ़ोतरी के हाल के फैसले को लेकर विपक्षी दलों की आलोचनाओं का शिकार बन रही केंद्र सरकार आम आदमी को रिझाने के लिए खाद्य सुरक्षा बिल को ट्रम्प कार्ड की तरह इस्तेमाल करने को तैयार है। विधि व न्याय मंत्री सलमान खुर्शीद ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि केंद्रीय कैबिनेट खाद्य सुरक्षा बिल को अंतिम रूप देने में जुटा है। इस कानून के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि देश में कोई भी भूखा न रहे, कोई भूखा न सोए और लोगों को कम कीमत पर अच्छा खाद्यान्न मिले। देश की 70 प्रतिशत आबादी इस कानून के दायरे में आएगी। तब हम देखना चाहेंगे कि कौन-सी पार्टी इस बिल का विरोध करती है।

मनरेगा जैसा राजनीतिक दांव

यह पूछने पर कि क्या खाद्य सुरक्षा बिल यूपीए के पहले कार्यकाल में लाए गए महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) की तरह ही विपक्षी दलों को 2014 के आम चुनावों में चारों खाने चित करने के लिए राजनीतिक दांव की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। खुर्शीद ने कहा कि लोकतंत्र में हर राजनीतिक दल को चुनाव से पहले अपनी उपलब्धियां गिनाने का अधिकार है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें