मंगलवार, 18 सितंबर 2012

राणी रूपादे के विचारों को आत्मसात करें: जैन


राणी रूपादे के विचारों को आत्मसात करें: जैन

बाड़मेर राणी रुपादे ने पांच शताब्दी पहले सामाजिक समरसता व छुआछूत को दूर करने की अलख जगाई थी। वह हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। आज राजपूत समाज को रुपादे से प्रेरणा लेकर बालिका शिक्षा व महिलाओं के विकास की ओर अग्रसर होना चाहिए। यह बात बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने राणी रुपादे संस्थान में रविवार को राजपूत समाज के संयुक्त तत्वावधान में राणी रुपादे पुण्य तिथि पर आयोजित सभा में कही।

जैन ने कहा कि रुपादे ओजस्वी क्षत्राणी थी, जिसने छत्तीस कौम को नई दिशा दी। साथ ही सामाजिक जागरूकता का संदेश दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष सिवाना विधायक कानसिंह कोटड़ी ने कहा कि राजपूत समाज को राणी रुपादे एवं रावत मल्लीनाथ जी के भक्तिमय जीवन से प्रेरणा लेकर नई पीढ़ी को राष्ट्र मार्ग पर लाने के प्रयास करने चाहिए। इस मौके स्वामी प्रतापपुरी महाराज ने कहा कि रुपादे का संपूर्ण जीवन सनातन धर्म के सिद्धांतों से ओतप्रोत था। समाज में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शिक्षाविद् कमल सिंह महेचा ने राणी रूपादे के जीवन एवं उनके भक्तिमय जीवन का विस्तार से वर्णन किया। इस मौके नगरपरिषद सभापति उषा जैन ने कहा कि मातृ शक्ति को राणी रुपादे के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। आयोजन समिति के संयोजक पार्षद पपसिंह महेचा ने बताया कि इस अवसर पर ओंकार दान चारण ने छंद का वाचन किया। वहीं मंगलाचरण प्रकाश सिंह भूरटिया ने किया। साथ ही संस्थान संरक्षक कर्नल मानवेंद्रसिंह का संदेश पाठ मांगूसिंह बिशाला ने किया। रावत त्रिभुवन सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। दीपसिंह रणधा ने रुपादे के भजनों की प्रस्तुति दी। संस्थान अध्यक्ष एडवोकेट स्वरूपसिंह चाडी ने स्वागत भाषण व प्रकाश सिंह भूरटिया ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन मांगूसिंह बिशाला ने किया।

अतिथियों ने की सहायता की घोषणा: बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन, सिवाना विधायक कानसिंह कोटड़ी व नगरपरिषद सभापति उषा जैन ने रुपादे संस्थान के पदाधिकारियों को सुविधाओं के विस्तार के लिए सहायता देने की घोषणा की।

भामाशाह का किया सम्मान: रुपादे संस्थान के लिए भूमिदान करने वाले भामाशाह निम्बसिंह लूणू कला का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। समाज की ओर से उनका आभार जताया।

ये थे मौजूद. पूर्व विधायक हरिसिंह सोढ़ा, समाजसेवी तन सिंह चौहान, कैप्टन हीरसिंह भाटी, लक्ष्मण सिंह जसोल, रेवंतसिंह, नीम्बसिंह, स्वरूपसिंह खारा, लूण सिंह महाबार, दौलतसिंह जालीपा, बख्तावरसिंह कपूरड़ी, गणपतसिंह ताणू, तनसिंह महाबार, कमल सिंह गेहूं, नारायणसिंह आगोर, राण सिंह तारातरा, पृथ्वी सिंह, कानसिंह मारूड़ी, उगम सिंह सेतराऊ, सांग सिंह लूणू, किशोर सिंह चूली, पहाड़ सिंह, मोहन सिंह गडरारोड, अचलसिंह, महावीरसिंह, भाखर सिंह बिशाला, वीरमसिंह, रतनसिंह, नीम्बसिंह, रिड़मलसिंह, मुकनसिंह, नारायणसिंह जान सिंह की बेरी, छगन सिंह, रेवंतसिंह राणासर, उम्मेदसिंह, मलसिंह, किशोर सिंह, रघुवीरसिंह तामलोर, सुरतानसिंह, शेरसिंह भूरटिया, दलपतसिंह कोटड़ा, नारायणसिंह, कमल सिंह, डूंगरसिंह समेत समाज के सैकड़ों लोग मौजूद थे।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें