शनिवार, 1 सितंबर 2012

गहलोत की सियासती चाल से मारवाड़ की जाट राजनीती में आया भूचाल


गहलोत की सियासती चाल  से मारवाड़ की जाट राजनीती में आया भूचाल

बाड़मेर कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गाँधी के बाड़मेर दौरे ने कांग्रेस में असंतुष्टो की खाई को और छोड़ा कर दिया .सोनिया के दौरे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा संसद हरीश चौधरी को प्रमुख जात नेता के रूप में सोनिया के समक्ष प्रस्तुत कर नए विवाद को जन्म दे दिया .गहलोत की यह चल वरिष्ठ जाट नेताओ राजस्व मंत्री हेमा राम चौधरी ,कर्नल सोनाराम चौधरी ,अल्प्संखयक मामलात मंत्री अमीन खान को तथा उनके समर्थको को फूटी आँख नहीं सुहाया .गहलोत जात विरोधी मने जाते रहे हें ,जिस प्रकार विधान सभा चुनावो में उन्होंने जात उम्मीदवारों का सफाया किया बाद में परसराम मदेरण परिवार को कांग्रेस की राजनीति से दरकिनार किया ,अब वैसी हालत बाड़मेर के जात नेताओ की लग रही हें ,गहलोत ने हेमाराम चौधरी और कर्नल सोनाराम को दरकिनार कर संकेत दिया की उनके समर्थक जात नेताओ की ही उनके राज में चंडी होगी ,सोनिया के दौरे में जात नेताओ के साथ हुए रूखे व्यवहार से समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता खासे नाराज़ हें ,कार्यकर्ताओ का विरोध समाचार पत्रों की दहलीज़ तक पहुँच गया .गहलोत हरीश चौधरी को मारवाड़ की राजनीती में जातो का कद्दावर नेता बनाने में जुटे हें ,ऐसे में कांग्रेस के पुराने वफादार जात नेताओ में अपने राजनितिक भविष्य को लेकर खलबली मच गई हें ,गहलोत का ,मेवाराम जैन को तवज्जो देना नए समीकरणों का आगाज़ हें ,


कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के बाड़मेर और जयपुर दौरे में पार्टी के अंदरूनी सियासत के तनाव और बदले हुए समीकरण खुलकर सतह पर आए। प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान को जहां मंच पर बिठाने के बावजूद बोलने का मौका नहीं दिया गया, वहीं सरकार में वरिष्ठ मंत्री हेमाराम चौधरी और विधायक कर्नल सोनाराम जैसे नेता नीचे से निहारते रहे।

मंच पर पार्टी के सांसद हरीश चौधरी का सियासी सिक्का चला। इसे हैरानीजनक इसलिए माना गया कि पिछले दिनों सीडी कांड में चर्चित हुए विधायक मेवाराम जैन ने सोनिया का आभार जताया और केंद्रीय मंत्री तथा प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक के बार-बार कुर्ता खींचने के बावजूद सरकार की तारीफों के जमकर पुल बांधे।  कांग्रेस के नए-पुराने प्रमुख नेताओं से बात कर इन समीकरणों को समझने की कोशिश की तो सोनिया के दौरे में कांग्रेस का नया सियासी चेहरा सामने आया। पूरे संसाधन झोंककर भीड़ जुटाने की कोशिश की गई, ताकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पांव और ज्यादा मजबूती से जमाए रख सकें। अलबत्ता, वे जहां बाड़मेर में बेहतर पॉलिटिकल मैनेजर होने का संदेश दे गए, वहीं जयपुर में उनका सफल शो उस समय दरक गया, जब अफसरों की लीपापोती से नाराज लोग सामने आए। पहले गहलोत के न चाहते हुए विरोधी जयपुर में सोनिया का कार्यक्रम बनवाने में सफल रहे। इससे उनके सियासी प्रबंधन को धक्का लगा। अब कांग्रेस के सियासी समीकरण आने वाले दिनों में करवट बदलते नजर आ रहे हैं।

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