रविवार, 23 सितंबर 2012

बाड़मेर एक सौ पचीस बसंत देख चूका का हमला खान राजस्थान में सबसे बुजुर्ग व्‍यक्ति

बाड़मेर एक सौ पचीस बसंत देख चूका का हमला खान 
 
बाड़मेर: पश्चिम राजस्थान का सीमावर्ती जिला बाड़मेर अपनी लोक कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है। पाकिस्‍तान की सीमा से लगा यह जिला अपने खास खान-पान, रहन-सहन और जिंदादिली लिए भी खास तौर से जाना जाता है। इस जिले के लोग अपनी शारीरिक बनावट, कद-काठी के लिये मशहूर हैं।

इस सीमावर्ती जिले के रामसर तहसील के अजबानी गांव के निवासी हमला ने 125 बसंत पूरे कर लिए। सम्भवतः हमला राजस्थान में सबसे अधिक आयु के जिंदा व्यक्ति हैं। लगभग 253 सदस्यों के परिवार का मुखिया हमला इस उम्र में भी बहुत जिंदादिल हैं।

बाड़मेर में हैं कई शतकवीर

इसी क्षेत्र में दो महिलाओं सहित चार शतकवीर हैं। इनमें से एक क्षेत्रीय विधायक की माता फातमा (106 साल) का इंतकाल कुछ माह पूर्व हुआ हें और लाखेटाली निवासी चनेसर खान (113 साल) हैं। वहीं 108 साल की सियाई निवासी श्रीमती वलिया तो आज भी घर के कामकाज निपटा रही हैं।

जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर रामसर तहसील के गांव अजबानी से एक किमी दूर एक झोंपडे के बाहर हाथ में लाठी लिए खाट पर बैठे बकरियों को चरा रहे 123 वर्षीय हमला की सबसे बडी पुत्री अमरी 85 साल की हैं। अमरी का निकाह पीरे का पार निवासी चिनेसर से 1926 में हुआ था। यह गांव भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत में चला गया। आजादी के बाद से हमला अपनी बेटी से नहीं मिले। हमला की तीन बेटियां- अमरी, एहनु और सईदा और तीन पुत्र- हैजम, जूमा और आदम हैं। सबसे बडे पुत्र हैजम की उम्र भी इस वक्त 82 साल है। हमला का पड़पोता अरबाब 23 साल का है। उसका भी निकाह हो गया है।

हमला ने अपनी लंबी उम्र का राज बताते हुए कहा कि बाड़मेर विभाजन से पहले अरब जाने का एक मात्र व्यापारिक रास्ता था। खाने की खूब सामग्री आती थी। खाना शुद्ध होता था। दूध, दही, छाछ, बाजरे की रोटी या राब खाते नशा नहीं था। उन्‍होंने बताया कि वह किसी के घर पानी भी नहीं पीते थे। 40 की उम्र में निकाह हुआ था। हमला की शरीक-ए-हयात (पत्‍नी) की 22 साल पहले मृत्यु हो चुकी है। हमला ने बताया कि अब उम्र के इस पडाव में वे काफी कमजोर महसूस कर रहे हैं। हमला का लम्बा-चौड़ा परिवार है। इस परिवार में लगभग 253 सदस्य हैं। मजे कि बात हैं कि हमला को वृद्धावस्था पेंशन तक नहीं मिलती। सरकारी सुविधा का तनिक लाभ हमला या उनके परिवार को नहीं मिला।

हमला पूरे क्षेत्र में अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। हमला अपना रोजमर्रा का काम-काज खुद निपटाते हैं। उनकी इच्छा है कि 125वीं सालगिरह पर ख्वाजा साहब की दरगाह की जियारत करें, इसके बाद उन्‍हें जीने की इच्छा नहीं है। क्षेत्रीय विधायक और पंचायत राज्य मंत्री अमीन खान की माता फातिमा 106 साल की उम्र में भी दुरूस्त हैं। जिला प्रशासन द्वारा क्षेत्र के इन शतकवीर बुजुर्गो की उपेक्षा की जा रही है। जिला कलेक्टर  ने बताया, ‘मुझे इन बुजुर्गो के बारे में जानकारी आपसे मिली है। प्रशासन की ओर से इन्हें पूरा मान-सम्मान दिया जाएगा। अगर सरकारी सुविधा योग्य हैं, तो नियमानुसार लाभ दिलाया जाएगा।

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