सोमवार, 24 सितंबर 2012

इस बार 17 दिन का होगा पितृपक्ष, होंगे दान-तर्पण



इस बार 17 दिन का होगा पितृपक्ष, होंगे दान-तर्पण

सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या का संयोग, पूर्वजों के प्रति श्रद्धा जताने का पखवाड़ा 
loading... 
बाड़मेर पूर्वजों के श्राद्ध-तर्पण को समर्पित पितृ पक्ष इस बार 17 दिनों का होगा। ज्योतिषियों के मुताबिक श्राद्धपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से होगी। 15 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या होगी। उस दिन सोमवार होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

भाद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा की दोपहर से शुरू होने वाला श्राद्ध पक्ष 16 दिनों का होता है। शास्त्रों में 16 श्राद्ध का वर्णन भी है। पंडित सुनील जोशी  ने बताया इस बार भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्दशी, शनिवार 19 सितंबर की सुबह 8.04 बजे तक ही है। ऐसे में पूर्णिमा को होने वाला श्राद्ध उसी दिन दोपहर में होगा। अगले दिन पूर्णिमा 8.49 बजे तक ही है ऐसे में उस दिन का श्राद्ध भी प्रतिपदा में होगा। प्रतिपदा का श्राद्ध भी अगले दिन द्वितीया तिथि में होगा। अगले दिन द्वितीया को दोपहर तक रहने की वजह से शेष श्राद्ध उनकी तिथियों के अनुसार ही होंगे। 15 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या पर सभी पितरों का तर्पण कर उन्हें विदा किया जाएगा।

क्यों किया जाता है दोपहर के समय तर्पण: पंडितजोशी ने बताया शास्त्रों में देव और पितृ पूजा की अलग-अलग पद्धतियां बताई गई हैं। देवताओं की पूजा के लिए प्रात: और संध्या के समय को उपयुक्त माना गया है। दोपहर को पितरों की पूजा का विधान है। ऐसे में दोपहर के समय जो तिथि है यहां उसे मान्यता दी जाती है।

तिथियों को लेकर पंचांगों में मतभेद: उज्जैन, इंदौर, मुंबई और राजस्थान के बिसाऊ से प्रकाशित कई पंचांगों में श्राद्ध पक्ष की तिथियों को लेकर मतभेद की स्थिति बनी है। कुछ पंचांगों में इसे 16 दिन का बताया गया है तो कुछ ने इसे 17 दिन का माना है। यह स्थिति तिथियों की पारंपरिक स्थिति को लेकर आई है। इस पक्ष का निर्णय सूर्योदय के समय की तिथि के हिसाब से नहीं किया जा सकता।

इन तिथियों पर श्राद्ध महत्वपूर्ण

पंचमी. बच्चों के निमित्त श्राद्ध

नवमी. सौभाग्यवती स्त्रियों को श्राद्ध एकादशी. संन्यासी पूर्वजों का

चतुर्दशी. अकाल मृत्यु वालों का

अमावस्या. मृत्यु की अज्ञात तिथि वालों का

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें