मंगलवार, 21 अगस्त 2012

पीएम से इस्तीफे की मांग,संसद स्थगित

पीएम से इस्तीफे की मांग,संसद स्थगित

नई दिल्ली। कोयला खंड आवंटन पर आई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर विपक्ष ने मंगलवार को संसद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस्तीफा मांगा और सदन की कार्यवाही बाधित की। इसके परिणामस्वरूप संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।

दोनों सदनों की बैठक सुबह 11 बजे जैसे ही शुरू हुई, भाजपा के नेतृत्व में विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाना चाहा। जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई।

संक्षिप्त स्थगन के बाद लोकसभा की बैठक जब दोबारा शुरू हुई, तो भी इस मुद्दे पर संकट जस का तस बना हुआ था। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के आसन की ओर बढ़ गए।

सरकार ने कहा कि विपक्ष को चाहिए कि सदन की कार्यवाही चलने दे और इस मुद्दे पर बहस होने दे। सरकार ने इस मुद्दे पर सदन में बहस की पेशकश की। सदन के नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा, ""हम मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं। हमें कोई आपत्ति नहीं है।""

लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष से पूछा कि क्या वे बहस के लिए राजी हैं, लेकिन नारेबाजी और शोरशराबा जारी रहा। उसके बाद मीरा कुमार ने मजबूरन सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

राज्य सभा में भी हंगामा -
राज्यसभा में भी यही स्थिति रही। जिसके कारण सभापति हामिद अंसारी को सदन की कार्यवाही शुरू में दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

राज्यसभा की बैठक जब दोबारा शुरू हुई तो कुछ क्षण के लिए स्थिति शांतिपूर्ण थी। इस दौरान कांग्रेस सदस्य पी.जे. कुरियन को सर्वसम्मति से उपसभापति चुना गया। सभी दलों के सदस्यों ने इस पद पर कुरियन के चुनाव के लिए उन्हें बधाई दी।

लेकिन कुरियन को अपनी नई भूमिका के तहत सदन की कार्यवाही संचालित करने के लिए आसन पर जैसे ही आमंत्रित किया गया, विपक्षी सदस्यों ने कोयला खण्ड आवंटन पर सीएजी रपट का मुद्दा दोबारा उठाया।

विपक्ष के हंगामे के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि सरकार बहस के लिए तैयार है। शुक्ला ने कहा कि भाजपा बहस से भाग रही है, क्योंकि उनके मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।

चूंकि सदस्यों की नारेबाजी जारी रही, लिहाजा कुरियन ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ""यह राष्ट्र की मांग है, क्योंकि जिस तरह से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार देश को लूट रही है, उसे देखकर लोग चकित हैं।""

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया।

बंसल ने कहा, ""यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने सदन की कार्यवाही बाधित की और किसी को भी बोलने नहीं दिया। हम विस्तृत बहस के लिए तैयार हैं और तब हम हम देखेंगे कि क्या होता है। वे (भाजपा) संकटपूर्ण स्थिति पैदा करना चाहते हैं, लेकिन लोगों को सच जान लेना चाहिए कि कोयला आवंटन घोटाले में उनकी क्या भूमिका है।"" बंसल ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग निराधार है।

ज्ञात हो कि पिछले सप्ताह संसद में पेश की गई सीएजी की रपट में कहा गया है कि निजी कम्पनियों को कोयला खण्ड आवंटन में पारदर्शिता के अभाव के कारण सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है।

सीएजी की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री को या उनके कार्यालय को प्रत्यक्ष तौर पर तो दोषी नहीं ठहराया गया है। लेकिन ये कोयला खण्ड उस दौरान (जुलाई 2004 से मई 2009) आवंटित किए गए थे, जब केंद्रीय कोयला मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास था।

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