बाड़मेर. श्रीराम ने इसे पुरुषोत्तम मास का नाम दिया था। ऐसे में इस माह में श्रीराम कथा का विशेष महत्व है। इस माह में घरों में मांगलिक कार्य वर्जित ही रहते हैं। इस मास के दौरान मंदिरों में राम कथा एवं अन्य धार्मिक कार्य होंगे। दान और पुण्यार्जन करना अच्छा रहता है। इस माह में रामकथा सुनने से श्रद्धालुओं को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
पु रुषोत्तम मास में पुण्य का लाभ कमाने के लिए भक्तों का जन सैलाब उमड़ा।अलसुबह ही शहर की परिक्रमा के लिए महिलाएं, बच्चे, युवा व बुजुर्ग घरों से निकल पड़े। इस दौरान धार्मिक उल्लास का माहौल नजर आया। समूचे शहर के हजारों भक्तों ने परिक्रमा में भाग लिया। चौहटन चौराहे से रवाना होकर खागल मोहल्ला, लीलडिय़ा धोरा, इंद्रा नगर, इंदिरा कॉलोनी से होते हुए जसदेर धाम तक परिक्रमा लगाई। भजन कीर्तन करती महिलाएं समूहों के रूप में निकली तो सेवाभावी लोग भी शीतय पेय, चाय, नाश्ता लिए सड़कों पर दौड़ते नजर आए।
बाड़मेर. नगर परिक्रमा में शामिल श्रद्धालु गेहूं रोड से गुजरते हुए।
नगर परिक्रमा के दौरान पूरा शहर भक्तों की सेवा में जुट गया। जहां देखो वहां पर लोग शर्बत, चाय, नाश्ता हाथों में लिए खड़े थे। परिक्रमा के रास्ते विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों से जुड़े लोग स्वागत में पलक पावड़े बिछाने को आतुर नजर आए। राष्ट्रीय राजमार्ग न. 15 पर वार्ड न. 31 के पार्षद बलवीर माली के नेतृत्व में कार्यकर्ता रूपसिंह, जसराज, मूलसिंह व डॉ. घेवर लखारा ने भक्तों को चाय, शर्बत पिलाया। इसी तरह इन्द्रा कॉलोनी, इन्द्रा नगर, चौहटन चौराहा, गडरा चौराहा, जसदेर धाम पर भक्तों की सेवा की गई।
अधिकमास हर तीसरे साल बाद आता है। यानि तीन साल बाद एक बाद एक माह बढ़ता है। इस साल भादवा दो है। अलग अलग साल में अलग अलग माह बढ़ते है। ज्योतिषविद बताते हैं की विक्रमी संवत में माह बढऩे पर परिक्रमा के माध्यम से पुण्य कमाने की मान्यता है।
भारत जब आर्यावर्त था तब से ही हमारे यहां 'सौर वर्ष' तथा 'चंद्र वर्ष' प्रचलित हैं। इनमें एक का ऋग्वेद तथा दूसरे का अथर्ववेद में वर्णन आता है। सौर वर्ष से ऋतुओं का ज्ञान होता है। चंद्र वर्ष के महीनों और तिथियों से हमारे अधिकतर त्योहार मनाए जाते हैं। इस कारण भारतीय मनीषियों ने इन दोनों का समन्वय कर एक वर्ष बनाया,जिसे चंद्र-सौर वर्ष कहते हैं। इसमें हर दो या तीन वर्षों में एक मास बढ़ा दिया जाता है, जिसे 'मलमास', 'पुरुषोत्तम मास' या 'अधिक मास' कहते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें