नाग पंचमी पर को रविवार को जगह-जगह नागदेव की मनुहार की गई। कालसर्प दोष निवारण के लिए भक्तों ने नागपाश स्रोत, महामृत्युंजय स्रोत और सर्प शुक्त के पाठ किए और चांदी,तांबे व लोहे के नाग-नागिन बनाकर व अभिषेक कर नदी के किनारे भगवान शिव को अर्पित किया।
भक्तों ने सर्पों की बांबी की पूजा के साथ ही मंदिरों में विभिन्न झांकियां सजाई गई।
कई भक्तों ने शिव मंदिरों में नाग-नागिन के स्वरूप को अर्पित कर नाग देवता को मनाया। दूसरी ओर परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना के लिए महिलाओं ने व्रत रखा। भक्तों ने नाग देव की बांबी पर रोली, मोली, चावल व दूध अर्पित कर विशेष पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर आमेर घाटी, नाग तलाई और गलता घाटी में सपेरों से सर्प के जोड़ों को छुड़वाकर पुण्य प्राप्त किया।
शहर के विभिन्न मंदिरों में भगवान भोलेनाथ व सर्प की विशेष पूजा-अर्चना की गई। शहर के जोबनेर बाग में पारंपरिक मेला भरा। इसके साथ ही जगह-जगह विशेष झांकी सजाई गई। पुरानी बस्ती के गोपीनाथ जी स्थित शेषनाग मंदिर में शेषनाग का अभिषेक कर विशेष फूल बंगला झांकी सजाई गई।
भक्तों ने सर्पों की बांबी की पूजा के साथ ही मंदिरों में विभिन्न झांकियां सजाई गई।
कई भक्तों ने शिव मंदिरों में नाग-नागिन के स्वरूप को अर्पित कर नाग देवता को मनाया। दूसरी ओर परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना के लिए महिलाओं ने व्रत रखा। भक्तों ने नाग देव की बांबी पर रोली, मोली, चावल व दूध अर्पित कर विशेष पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर आमेर घाटी, नाग तलाई और गलता घाटी में सपेरों से सर्प के जोड़ों को छुड़वाकर पुण्य प्राप्त किया।
शहर के विभिन्न मंदिरों में भगवान भोलेनाथ व सर्प की विशेष पूजा-अर्चना की गई। शहर के जोबनेर बाग में पारंपरिक मेला भरा। इसके साथ ही जगह-जगह विशेष झांकी सजाई गई। पुरानी बस्ती के गोपीनाथ जी स्थित शेषनाग मंदिर में शेषनाग का अभिषेक कर विशेष फूल बंगला झांकी सजाई गई।
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