अंग्रेज बोले,"मन"सोनिया की कठपुतली
लंदन। अभी तक भारतीय नेता ही यह कहते थे कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोनिया गांधी की कठपुतली है लेकिन अब अंगे्रजों का मीडिया भी यह राग अलाप रहा है। ब्रिटेन के एक समाचार पत्र ने मनमोहन सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। समाचार पत्र में "मनमोहन सिंह इज सोनियाज पूडल" शीर्षक से खबर छपी है।
समाचार पत्र ने मनमोहन सिंह को सोनिया का "पपी" और पपेट (कठपुतली) बताया है। इस तरह के शीर्षक से कांग्रेस पार्टी भड़क गई है। द इंडिपेंडेंट समाचार पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास कोई राजनीतिक ताकत नहीं है। वह पूरी तरह सोनिया गांधी पर निर्भर है। इस कारण कई बार वह कैबिनेट पर नियंत्रण नहीं रख पाते।
खुद उनकी पार्टी में ही उनको किनारे कर राहुल गांधी को उत्तराधिकारी बनाने की मांग उठती है। समाचार पत्र लिखता है कि प्रधानमंत्री के सुधारों का जोश और उत्साह खत्म हो चुका है। भारत की तरक्की धीमी हो चुकी है। विपक्षियों के अनुसार उन्होंने ऎसे प्रशासन की अगुवाई की जो पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त साबित हुआ है। जहां तक उदारीकरण की बात है तो प्रधानमंत्री को इसका क्रेडिट दिया जाता है लेकिन इसके सही हकदार पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव थे।
समाचार पत्र का रिपोर्टर एंड्रयू बनकोम्बे लिखता है कि प्रधानमंत्री ऎसे व्यक्ति हैं जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अगर प्रधानमंत्री इतिहास में अपना नाम करना चाहते हैं तो उन्हें कुछ करना होगा। गौरतलब है कि इससे पहले टाइम मैगजीन ने मनमोहन सिंह की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए उन्हें कमजोर प्रधानमंत्री करार दिया था।
लंदन। अभी तक भारतीय नेता ही यह कहते थे कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोनिया गांधी की कठपुतली है लेकिन अब अंगे्रजों का मीडिया भी यह राग अलाप रहा है। ब्रिटेन के एक समाचार पत्र ने मनमोहन सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। समाचार पत्र में "मनमोहन सिंह इज सोनियाज पूडल" शीर्षक से खबर छपी है।
समाचार पत्र ने मनमोहन सिंह को सोनिया का "पपी" और पपेट (कठपुतली) बताया है। इस तरह के शीर्षक से कांग्रेस पार्टी भड़क गई है। द इंडिपेंडेंट समाचार पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास कोई राजनीतिक ताकत नहीं है। वह पूरी तरह सोनिया गांधी पर निर्भर है। इस कारण कई बार वह कैबिनेट पर नियंत्रण नहीं रख पाते।
खुद उनकी पार्टी में ही उनको किनारे कर राहुल गांधी को उत्तराधिकारी बनाने की मांग उठती है। समाचार पत्र लिखता है कि प्रधानमंत्री के सुधारों का जोश और उत्साह खत्म हो चुका है। भारत की तरक्की धीमी हो चुकी है। विपक्षियों के अनुसार उन्होंने ऎसे प्रशासन की अगुवाई की जो पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त साबित हुआ है। जहां तक उदारीकरण की बात है तो प्रधानमंत्री को इसका क्रेडिट दिया जाता है लेकिन इसके सही हकदार पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव थे।
समाचार पत्र का रिपोर्टर एंड्रयू बनकोम्बे लिखता है कि प्रधानमंत्री ऎसे व्यक्ति हैं जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अगर प्रधानमंत्री इतिहास में अपना नाम करना चाहते हैं तो उन्हें कुछ करना होगा। गौरतलब है कि इससे पहले टाइम मैगजीन ने मनमोहन सिंह की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए उन्हें कमजोर प्रधानमंत्री करार दिया था।
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