रविवार, 22 जुलाई 2012

खास रिपोर्ट शिक्षा की यह नीति तो विनाश की ओर बढाऐगी


अथःरक्षम्......चन्दनसिंह भाटी 


खास रिपोर्ट शिक्षा की यह नीति तो विनाश  की ओर बढाऐगी 

वर्तमान सरकार की शिक्षा नीति पर भायद कोई बोल रहा हैं,केन्द्र सरकार के शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल ने दो के कर्णधारों को गर्त में धकेलने में कोई कसर नहीं छोडी।गत सत्र में उनके द्घारा उच्च प्राथमिक कक्षाओं तक के छात्रों को फेल नहीं करने के निर्णय को भायद सभी ने चाहे अनमने से स्वीकार कर लिया हो मगर मुझे इसमें किसी साजि की बू आती हैं।सिब्बल साहब ने तो परीक्षा के मायने बदल परीक्षा को इतिहास बनानें की ठान ली ।कल आपको और हमें बच्चे जब यह पूछेंगे कि परीक्षा क्या होती हैं तब क्या जवाब देंगे।ायद उस वक्त आपके पास कोई जचाब नहीं होगा।आप और हम किस तरह परीक्षओं से पहले रात भर जाग के पा करते थे।परीक्षा के नाम से धडकने तेज हो जाती थी।कडी मेहनत के बाद भी किसी बच्चें को प्रथम श्रेणी नही आती थी तो अभिभावक बच्चों से खफा होते थे।बच्चों को परीक्षओं की तैयारी में अभिभावक किस कदर जुटते थे ।यह आपकी और हमारी उम्र के अभिभावक अच्छी तरह जानते हैं।सरहद पर बसे इस जिले की बात करें तो आ शिक्षा के कारण उच्च सेवाओं में जाने वाले अंगुलियों पर गिनती के लायक लोग थे।िक्षा की नींव को मजबूत करने में सदियॉ लग गई।अब जाकर शिक्षा का स्तर कुछ सुधरा तो सिब्बल साहब नें फिर लोचा डाल दिया।उच्च प्राथमिक स्तर के छात्रों के लिऐ परीक्षा का प्रावधान ही समाप्त कर दिया।आखिर एक छात्र की योगयता का आंकलन कैसे होगा।बिना नींव के इमारत की कल्पना बेमानी हैं।आखिर भारतीय बच्चाके को कमजोर करने की साजि का हिस्सा तो नही बन रही केन्द्र सरकार ।बिना पै लिखे पास होने वाले छात्रों का भविश्य साफ साफ दिखाई दे रहा हैं।प्रतियोगिता के जमानें में बिना परीक्षा दिऐ पास होने का कानून नेताओं की दिवालिया हो चुकी सोच का परिणाम हैं।कहीं यह भारतीय नींव को कमजोर करने की साजि तो नही।अभिभावकों को इस व्यवस्था का विरोध करना चाहीऐ। 



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