विधानसभा के इतिहास में 46 साल बाद हंगामे की वजह से इस तरह विधायकों की सदस्यता खत्म करने का फैसला हुआ है। गौरतलब है कि सोमवार को कांग्रेस विधायकों ने भाजपा से जुड़े कारोबारियों दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा के यहां आयकर छापों का मामला उठाते हुए प्रदेश में भ्रष्टाचार पर स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा की मांग की थी।
अध्यक्ष ने मामला केंद्रीय एजेंसी का होने की बात कहते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया था। मंगलवार को भी इसी मामले पर हंगामा हुआ था। अध्यक्ष को सदन में नहीं जाने दिया गया जबकि आसंदी पर बैठे ज्ञान सिंह को आसंदी पर ही पहुंचकर घेर लिया गया था। सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित हो गई थी।
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