नई दिल्ली। गंगा की धारा को अविरल, निर्मल तथा आचमन लायक बनाने का संतों ने बीड़ा उठाया है। सरकार की बेरुखी पर संतों ने साफ कहा कि महीनों से जो संत गंगा के लिए अनशन पर बैठे हैं शायद सरकार उनका बलिदान चाहती है, लेकिन वे ऐसा नहीं होने देंगे। गंगा को 'गंगा मैया' बनाने के लिए जन आंदोलन होगा। सोमवार को पहली बार स्वयं जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सैकड़ों संतों के साथ सड़क पर उतरे। उन्होंने आह्वान किया कि तब तक शांत नहीं बैठना है, जब तक गंगा अविरल नहीं हो जाती है। उन्होंने देशभर के संतों से कहा है कि वे गंगातट पर बसे लोगों को गंगा की दुर्दशा के बारे में बताएं और उन्हें जागरूक करें।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सोमवार प्रात: 10 बजे संत व पर्यावरणविद् दिल्ली के राजघाट पर एकत्रित हुए। वहां बापू की समाधि का जलाभिषेक किया, सर्वधर्म सभा में हिस्सा लेने के बाद 'अविरल गंगा, निर्मल गंगा हमें चाहिए कल-कल गंगा' का नारा लगाते हुए प्रदर्शन स्थल जंतर मंतर की ओर रवाना हुए। राजघाट से जंतर मंतर तक साढ़े छह किलोमीटर की दूरी तय करने के दौरान संतों को लोगों का भारी समर्थन मिला। पूर्वाह्न 11 बजे सभी जंतर मंतर पहुंचे फिर गंगा की दुर्दशा तथा सरकार की संवेदनहीनता को संतों ने अपने अंदाज में बयां किया। गंगा मुक्ति संग्राम में शिरकत करने के लिए संत समाज ने सभी राजनीतिक दलों को भी न्यौता भेजा था। कांग्रेस, भाजपा, समाजवादी पार्टी, भारतीय किसान यूनियन के नेता भी गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए संतों के साथ मंच पर आए। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का संदेश लेकर साध्वी उमा भारती व दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार मल्होत्रा आए। शाम चार बजे के करीब कांग्रेसी महासचिव दिग्विजय सिंह भी पहुंचे। गंगा के लिए दिल्ली में संतों का ऐसा समागम देख कुछ प्रमुख हस्तियां भी उनसे आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचीं और गंगा के प्रति अपनी श्रद्धा बयां की। इसमें क्रिकेटर चेतन चौहान, संगीतकार लखविंदर सिंह लक्खा, महाभारत में गंगा पुत्र का किरदार निभाने वाले अभिनेता मुकेश खन्ना, वेद प्रताप वैदिक आदि प्रमुख शामिल थे।
इस मौके पर ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष चिदानंद सरस्वती मुनि, आचार्य प्रमोद कृष्णम व अन्य संतों ने कहा कि विकास के नाम पर गंगा की जो दुर्दशा सरकार ने की है, वह संवेदनहीनता का परिचय देने वाली है। विकास भी जरूरी है लेकिन बिना गंगा के साथ छेड़छाड़ किए हुए। बिजली के लिए जिस तरह अभी गंगा पर सात बांध बने हैं, उससे गंगा की अविरलता छिन गई है। आने वाले वर्षो में जिस तरह 39 बांध बनाने की योजना है इससे गंगा विलुप्त हो जाएगी। उन्होंने इसके लिए समाज को जागरुक करने फिर सीवर तथा औद्योगिक कचरे का गंगा में प्रवाह रोके जाने की मांग की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें