मुंबई.बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि किसी अन्य पुरुष से नाजायज संबंध रखने वाली विवाहित महिला अगर दूसरे आदमी के साथ रहना छोड़ देती है और अगर वह गरीब है और उसकी आमदनी का कोई जरिया नहीं है तो इन हालात में वह अपने पति से भरण पोषण के लिए भत्ते की मांग कर सकती है।
हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच में जस्टिस ए वी निर्गुणे ने 1993 के एक मामले में यह फैसला दिया है। उन्होंने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए पति द्वारा दायर अपील को खारिज कर दी। पति ने कहा था कि उसकी पत्नी एक दूसरे आदमी के साथ रह रही थी इसलिए उस पर भत्ता देने की जिम्मेदारी नहीं है।
मामले के अनुसार अहमदनगर के निवासी मयंक काम्बले (51) का विवाह 1987 में हुआ था। काम्बले की पत्नी ने 1991 में अपनी एकमात्र बेटी के साथ उसका घर छोड़ दिया और गुजारा भत्ते की मांग करने वाली याचिका पारिवारिक अदालत में दायर की। अदालत ने 1993 में उसके पक्ष में फैसला दिया।
काम्बले ने इस फैसले का पालन करते हुए 1997 तक भत्ता दिया, लेकिन एक दिन चुपके से तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। एक साल बाद काम्बले को अदालत ने मामला एक्स पार्टी ( एक पक्षीय फैसला) घोषित कर दिया। इन सब बातों से अंजान उसकी पत्नी को यह पता नहीं चल पाया कि उसकी इच्छा के विपरीत उसका तलाक हो गया है। सितम्बर 2006 में यानी तलाक के नौ साल बाद उसने तलाक के फैसले को चुनौती दी और गुजारा भत्ते की मांग की। अदालत ने तलाक के निर्णय संबंधी याचिका देरी के आधार पर खारिज कर दी पर गुजारा भत्ता मिलने पर सहमति जताई।
साल 2007 में काम्बले ने परिवार अदालत में अर्जी दी कि भत्ता देने का आदेश रद्द किया जाए क्योंकि साल 1997-98 से उसकी पत्नी किसी दूसरे आदमी के साथ रह रही थी। यह व्यक्ति विधुर था और उसके दो बच्चे भी थे। हालांकि इस आदमी की बाद में मौत हो गई।काम्बले ने अदालत में तर्क दिया कि उसकी पूर्व पत्नी की दोबारा शादी हो गई इसलिए भत्ता देने का दायित्व उसका नहीं बनता। पर अदालत ने यह कह कर उसकी अपील खारिज कर दी कि वह यह साबित नहीं कर सका कि उसकी पत्नी का विवाह दोबारा हुआ था। किसी के साथ रहना विवाह का प्रमाण नहीं हो सकता, इसलिए उसे अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा। काम्बले ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जस्टिस निगुर्णे ने मामले की सुनवाई के बाद निर्णय में कहा कि पत्नी जिसके साथ रह रही थी, उसकी मौत के बाद यह स्थिति खत्म हो गई । आशय यह कि व्यभिचार नहीं रहा और अगर वह निर्धन है एवं उसकी आमदनी का कोई जरिया नहीं है तो वह अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने की अधिकार रखती है।
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