स्मैक की लत ने छीनी खुशियां
बालोतरा। शहर के एक निजी विद्यालय की कक्षा ग्यारहवी में पढ़ने वाला रवि (परिवर्तित नाम) बीते कुछ माह तक परिवार व पड़ौस की नजर में काफी सभ्य व संजीदा लड़का गिना जाता था। पिता सरकारी नौकर, इकलौता पुत्र और घर परिवार में हर बात की फजल।
पिता ने अपने इकलौते पुत्र के रहन-सहन, पढ़ाई व सुविधाओं को हर लिहाज से तवज्जों दी। सपना यही था कि रवि अपना कॅरियर बना ले, घर का नाम रोशन करें और उनके बुढ़ापे की लाठी बनें। चंद महीनों पहले माता-पिता सहित परिजनों के पांवों तले की जमीन उस समय खिसक गई जब यह असलियत सामने आई कि उनका लाडला स्मैक के नशे का आदी बन चुका है। सारे सपने चंद ही पलों मे चूर-चूर हो गए। जो उम्मीदें उन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े से पाल रखी थी, उन पर जैसे घड़ों पानी फिर गया।
लगातार स्मैक के नशे के चलते लाल सुर्ख रहने वाला रवि का चेहरा अब पीला पड़ चुका है। शरीर में कम्पन व मलीनता के साथ ही उसकी याददाश्त कमजोर हो गई है। जानलेवा लत उसे धीरे-धीरे अपने आगोश में निगल रही है। यह हालत देख गम के मारे अंदर ही अंदर घुल रहे माता-पिता अब सदमे में है। रवि की फिक्र के साथ ही उन्हे इज्जत का भी डर है। आस पड़ौस व समाज बिरादरी में अगर यह हकीकत सामने आ गई तो दिक्कत हो जाएगी। परिवार की खुशियों को जैसे ग्रहण लग गया है। यह दास्तां सिर्फ एक परिवार की ही नहीं है, जो इस स्थिति से रूबरू है। शहर में ऎसे युवाओं की संख्या लगभग सौ से ज्यादा है जो स्मैक की लत के शिकार है।
महंगा शौक-मौत को बुलावा
स्मैक का महंगा शौक मौत को बुलावे से कम नहीं है। जानकारों की माने तो इस लत के शिकार युवा को अपनी तलब मिटाने के लिए हर दिन 600-1200 रूपए खर्च करने पड़ते हंै। यह खर्च डोज के लिहाज से है। आधा ग्राम स्मैक की पुडिया की कीमत 600 रूपए तथा एक ग्राम की कीमत इससे दुगुनी है। जेब खर्ची से तलब का चुकता नहीं होने पर युवा अपराध की राह बढ़ रहे हैं।
जानलेवा है लत
यह जानलेवा नशा है। इस लत का शिकार नशेड़ी दिनभर मदहोश सा रहता है। शारीरिक दुर्बलता के साथ ही उसका स्नायु तंत्र भी धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है। याददाश्त भी धीरे-धीरे कम हो जाती है। एक स्थिति ऎसी आती है जब नशेड़ी बिल्कुल पंगु सा हो जाता है।-डॉ. आर.आर. सुथार, खण्ड मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बालोतरा
करेंगे पड़ताल
स्मैक का नशा युवा पीढ़ी के लिए घातक है। फिलवक्त ऎसा कोई मामला जानकारी में नहीं आया है। पुलिस की ओर से संसाधनों के साथ पूरी निगरानी रखी जा रही है। पड़ताल की जाएगी। अगर ऎसा कोई मामला पकड़ा गया तो एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्यवाही करेंगे।
-रामेश्वरलाल मेघवाल, पुलिस उप अधीक्षक
बालोतरा। शहर के एक निजी विद्यालय की कक्षा ग्यारहवी में पढ़ने वाला रवि (परिवर्तित नाम) बीते कुछ माह तक परिवार व पड़ौस की नजर में काफी सभ्य व संजीदा लड़का गिना जाता था। पिता सरकारी नौकर, इकलौता पुत्र और घर परिवार में हर बात की फजल।
पिता ने अपने इकलौते पुत्र के रहन-सहन, पढ़ाई व सुविधाओं को हर लिहाज से तवज्जों दी। सपना यही था कि रवि अपना कॅरियर बना ले, घर का नाम रोशन करें और उनके बुढ़ापे की लाठी बनें। चंद महीनों पहले माता-पिता सहित परिजनों के पांवों तले की जमीन उस समय खिसक गई जब यह असलियत सामने आई कि उनका लाडला स्मैक के नशे का आदी बन चुका है। सारे सपने चंद ही पलों मे चूर-चूर हो गए। जो उम्मीदें उन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े से पाल रखी थी, उन पर जैसे घड़ों पानी फिर गया।
लगातार स्मैक के नशे के चलते लाल सुर्ख रहने वाला रवि का चेहरा अब पीला पड़ चुका है। शरीर में कम्पन व मलीनता के साथ ही उसकी याददाश्त कमजोर हो गई है। जानलेवा लत उसे धीरे-धीरे अपने आगोश में निगल रही है। यह हालत देख गम के मारे अंदर ही अंदर घुल रहे माता-पिता अब सदमे में है। रवि की फिक्र के साथ ही उन्हे इज्जत का भी डर है। आस पड़ौस व समाज बिरादरी में अगर यह हकीकत सामने आ गई तो दिक्कत हो जाएगी। परिवार की खुशियों को जैसे ग्रहण लग गया है। यह दास्तां सिर्फ एक परिवार की ही नहीं है, जो इस स्थिति से रूबरू है। शहर में ऎसे युवाओं की संख्या लगभग सौ से ज्यादा है जो स्मैक की लत के शिकार है।
महंगा शौक-मौत को बुलावा
स्मैक का महंगा शौक मौत को बुलावे से कम नहीं है। जानकारों की माने तो इस लत के शिकार युवा को अपनी तलब मिटाने के लिए हर दिन 600-1200 रूपए खर्च करने पड़ते हंै। यह खर्च डोज के लिहाज से है। आधा ग्राम स्मैक की पुडिया की कीमत 600 रूपए तथा एक ग्राम की कीमत इससे दुगुनी है। जेब खर्ची से तलब का चुकता नहीं होने पर युवा अपराध की राह बढ़ रहे हैं।
जानलेवा है लत
यह जानलेवा नशा है। इस लत का शिकार नशेड़ी दिनभर मदहोश सा रहता है। शारीरिक दुर्बलता के साथ ही उसका स्नायु तंत्र भी धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है। याददाश्त भी धीरे-धीरे कम हो जाती है। एक स्थिति ऎसी आती है जब नशेड़ी बिल्कुल पंगु सा हो जाता है।-डॉ. आर.आर. सुथार, खण्ड मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बालोतरा
करेंगे पड़ताल
स्मैक का नशा युवा पीढ़ी के लिए घातक है। फिलवक्त ऎसा कोई मामला जानकारी में नहीं आया है। पुलिस की ओर से संसाधनों के साथ पूरी निगरानी रखी जा रही है। पड़ताल की जाएगी। अगर ऎसा कोई मामला पकड़ा गया तो एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्यवाही करेंगे।
-रामेश्वरलाल मेघवाल, पुलिस उप अधीक्षक
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