बेटियों ने बढ़ाया पिता का गौरव
जैसलमेर। पापा हर कश्ती के पतवार होते हैं, अब्बू दिल से मददगार होते हैं, उनके सानिध्य में ही तो जीवन मे सफलता आई है और जीवन की हर खुशी पाई है...। आज भी ये उद्गार पिता को लेकर बेटियो के दिल से निकलते हैं। उनके हौसलो ने उड़ान भरी और छुआ सफलता की उन बुलंदियो को, जिसने उनके पिता के सीने को गर्व से चौड़ा कर दिया है। जैसाणे की बेटियां जहां अपने मुकाम से उत्साहित हैं, वहीं उनके पिता को भी नाज है। पर्दा-प्रथा की रूढिवादी परम्परा में जी रहे जिले की बिटियाएं प्रशासनिक, बैंक, चिकित्सा और इंजीनियरिंग पेशे में अपनी छाप छोड़ जिले के लोगों को बेटियों के प्रति अपना सोच बदलने का संदेश दे रही हैं।
जिले में बेटियो की शिक्षा को लेकर आया बदलाव समाज की दशा को बदलने का शुभ संके त दे रहा है, लेकिन यह बात भी सही है कि उनके पिता का भरोसा और दी हुई बेहतरीन परवरिश ने उन्हे जीवन मे विशेष करने का मौका दिया। कन्या भू्रण हत्या व कन्या हत्या की कुछ घटनाओं के चलते भले ही जिले की छवि पर असर पड़ा हो, लेकिन इसी जिले के कई परिवार ऎसे भी हैं, जिन्होंने बेटियों को अच्छी तालिम देकर आगे बढ़ाया और उन्हीं बेटियों ने न केवल अपने पिता, बल्कि जिले का भी मान बढ़ाया।
मिला माहौल तो हासिल की सफलता
जैसलमेर के सवाईसिंह भाटी बैंक में नौकरी करते हैं। उनके तीन बच्चे हैं जिसमें से दो बेटियां सुश्री पूर्णिमा और अनामिका भाटी हैं। उन्होंने उनको अच्छी तालिम दी। पूर्णिमा भाटी ने एमबीए किया और वर्तमान में राष्ट्रीकृत बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर पद पर चयनित हुई हैं। अनामिका भाटी भी बैंक में नौकरी कर रही है। जैसलमेर के ही आनंद पुरोहित की बड़ी बेटी कीर्ति पुरोहित का आरपीएमटी में चयन हुआ है। उनसे छोटी बेटी बारहवीं गणित में अध्ययनरत है जबकि छोटी बेटी छठीं में पढ़ रही है। उन्हें फक्र है कि उन्होंने बेटियों को अच्छी तालिम दी। अंकिता माहेश्वरी ने भी आरपीएमटी में जिले का नाम रोशन किया।
इसी तरह रश्मि बिस्सा ने आरएएस बनकर पिता पुरूषोतम बिस्सा के नाम को गौरवान्वित किया है। रश्मि के अलावा पंकज कंवर भी आरएएस बनकर वर्तमान मे उदयपुर मे सेवा मे कार्यरत है। जैसलमेर के व्यवसायी राजन भाटिया को नाज है कि उनकी बेटी गीतिका भाटिया ने सीए व सीएस दोनो परीक्षाओ मे सफलता हासिल की। जलदाय विभाग के सहायक अभियंता आरवी सिंह की बेटी आशिमा सिंह आज डॉक्टर है। जैसलमेर की अन्य बेटियां गार्गी पालीवाल सीए, संगीता हठीला व सरिता हठीला पीएमटी, पिंकी पालीवाल क्लेट मे सफल हो चुकी है। ऎसी ही जैसलमेर की दर्जनो बेटियो ने यह साबित कर दिया है कि सही तालीम व मार्गदशन मिले तो वे सफलता की नई ऊंचाइयां छू सकती है।
गांवों में भी बदल रही सोच
जैसलमेर मे शहरी क्षेत्र की ही तरह ग्रामीण क्षेत्रो मे भी बेटियों की शिक्षा को लेकर सोच बदल रही है। रामगढ़ की बालिका मंजु बांभणिया ने अजा वर्ग में पीएमटी परीक्षा में 397 वां स्थान हासिल कर गौरव बढ़ाया। उनके पिता केशराराम प्रधानाध्यापक है। उनके अनुसार बेटी और बेटे में भेद की जरूरत नहीं है, ना ही उसे बोझ समझने की जरूरत। हमे सोच बदलने की जरूरत है।
महिलाओ ने भी बढ़ाया मान
शिक्षा को लेकर सोच बदलने में यहां की महिलाओ ने भी अहम भूमिका निभाई है। यहां श्रीमती सुनीता सज्जनसिंह (सत्याया) लिटिल हार्ट स्कूल और नर्सरी टीचर्स प्रशिक्षण केन्द्र संचालित कर रही हैं। इन्हे हाल ही में अवार्ड से सम्मानित भी किया गया है। इसी तरह सुनीता भाटी ने भी राजनीति क्षेत्र में महिला जनप्रतिनिधियों को रास्ता दिखाया है। वह वर्तमान में कांग्रेस की प्रदेश महासचिव है। उनकी तरह जैसलमेर की कई महिलाओ ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और विभिन्न क्षेत्रो मे सफलता हासिल की है।
अभावों में अव्वल की चाह
जिले में शिक्षा की स्थिति चिंतनीय है। ऎसे माहौल में बेटियों को शिक्षा के उचित माहौल के अभाव में अव्वल रखने की चाह ने उनके परिजनों को हौसला दिया। उन्होंने अपनी बेटियों को कोटा, जोधपुर और जयपुर जैसे बड़े शहरों में शिक्षा दिलवाई जिससे वे कुछ कर दिखाएं। यहीं कारण है कि यहां की बçज्जयां आगे बढ़ रही हैं। जैसलमेर जिले के लिए यह स्थिति सुखद हो सकती है कि वर्तमान में माध्यमिक व उज्ज माध्यमिक विद्यालयों में 6574 बालिकाएं पढ़ रही हैं।
जैसलमेर। पापा हर कश्ती के पतवार होते हैं, अब्बू दिल से मददगार होते हैं, उनके सानिध्य में ही तो जीवन मे सफलता आई है और जीवन की हर खुशी पाई है...। आज भी ये उद्गार पिता को लेकर बेटियो के दिल से निकलते हैं। उनके हौसलो ने उड़ान भरी और छुआ सफलता की उन बुलंदियो को, जिसने उनके पिता के सीने को गर्व से चौड़ा कर दिया है। जैसाणे की बेटियां जहां अपने मुकाम से उत्साहित हैं, वहीं उनके पिता को भी नाज है। पर्दा-प्रथा की रूढिवादी परम्परा में जी रहे जिले की बिटियाएं प्रशासनिक, बैंक, चिकित्सा और इंजीनियरिंग पेशे में अपनी छाप छोड़ जिले के लोगों को बेटियों के प्रति अपना सोच बदलने का संदेश दे रही हैं।
जिले में बेटियो की शिक्षा को लेकर आया बदलाव समाज की दशा को बदलने का शुभ संके त दे रहा है, लेकिन यह बात भी सही है कि उनके पिता का भरोसा और दी हुई बेहतरीन परवरिश ने उन्हे जीवन मे विशेष करने का मौका दिया। कन्या भू्रण हत्या व कन्या हत्या की कुछ घटनाओं के चलते भले ही जिले की छवि पर असर पड़ा हो, लेकिन इसी जिले के कई परिवार ऎसे भी हैं, जिन्होंने बेटियों को अच्छी तालिम देकर आगे बढ़ाया और उन्हीं बेटियों ने न केवल अपने पिता, बल्कि जिले का भी मान बढ़ाया।
मिला माहौल तो हासिल की सफलता
जैसलमेर के सवाईसिंह भाटी बैंक में नौकरी करते हैं। उनके तीन बच्चे हैं जिसमें से दो बेटियां सुश्री पूर्णिमा और अनामिका भाटी हैं। उन्होंने उनको अच्छी तालिम दी। पूर्णिमा भाटी ने एमबीए किया और वर्तमान में राष्ट्रीकृत बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर पद पर चयनित हुई हैं। अनामिका भाटी भी बैंक में नौकरी कर रही है। जैसलमेर के ही आनंद पुरोहित की बड़ी बेटी कीर्ति पुरोहित का आरपीएमटी में चयन हुआ है। उनसे छोटी बेटी बारहवीं गणित में अध्ययनरत है जबकि छोटी बेटी छठीं में पढ़ रही है। उन्हें फक्र है कि उन्होंने बेटियों को अच्छी तालिम दी। अंकिता माहेश्वरी ने भी आरपीएमटी में जिले का नाम रोशन किया।
इसी तरह रश्मि बिस्सा ने आरएएस बनकर पिता पुरूषोतम बिस्सा के नाम को गौरवान्वित किया है। रश्मि के अलावा पंकज कंवर भी आरएएस बनकर वर्तमान मे उदयपुर मे सेवा मे कार्यरत है। जैसलमेर के व्यवसायी राजन भाटिया को नाज है कि उनकी बेटी गीतिका भाटिया ने सीए व सीएस दोनो परीक्षाओ मे सफलता हासिल की। जलदाय विभाग के सहायक अभियंता आरवी सिंह की बेटी आशिमा सिंह आज डॉक्टर है। जैसलमेर की अन्य बेटियां गार्गी पालीवाल सीए, संगीता हठीला व सरिता हठीला पीएमटी, पिंकी पालीवाल क्लेट मे सफल हो चुकी है। ऎसी ही जैसलमेर की दर्जनो बेटियो ने यह साबित कर दिया है कि सही तालीम व मार्गदशन मिले तो वे सफलता की नई ऊंचाइयां छू सकती है।
गांवों में भी बदल रही सोच
जैसलमेर मे शहरी क्षेत्र की ही तरह ग्रामीण क्षेत्रो मे भी बेटियों की शिक्षा को लेकर सोच बदल रही है। रामगढ़ की बालिका मंजु बांभणिया ने अजा वर्ग में पीएमटी परीक्षा में 397 वां स्थान हासिल कर गौरव बढ़ाया। उनके पिता केशराराम प्रधानाध्यापक है। उनके अनुसार बेटी और बेटे में भेद की जरूरत नहीं है, ना ही उसे बोझ समझने की जरूरत। हमे सोच बदलने की जरूरत है।
महिलाओ ने भी बढ़ाया मान
शिक्षा को लेकर सोच बदलने में यहां की महिलाओ ने भी अहम भूमिका निभाई है। यहां श्रीमती सुनीता सज्जनसिंह (सत्याया) लिटिल हार्ट स्कूल और नर्सरी टीचर्स प्रशिक्षण केन्द्र संचालित कर रही हैं। इन्हे हाल ही में अवार्ड से सम्मानित भी किया गया है। इसी तरह सुनीता भाटी ने भी राजनीति क्षेत्र में महिला जनप्रतिनिधियों को रास्ता दिखाया है। वह वर्तमान में कांग्रेस की प्रदेश महासचिव है। उनकी तरह जैसलमेर की कई महिलाओ ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और विभिन्न क्षेत्रो मे सफलता हासिल की है।
अभावों में अव्वल की चाह
जिले में शिक्षा की स्थिति चिंतनीय है। ऎसे माहौल में बेटियों को शिक्षा के उचित माहौल के अभाव में अव्वल रखने की चाह ने उनके परिजनों को हौसला दिया। उन्होंने अपनी बेटियों को कोटा, जोधपुर और जयपुर जैसे बड़े शहरों में शिक्षा दिलवाई जिससे वे कुछ कर दिखाएं। यहीं कारण है कि यहां की बçज्जयां आगे बढ़ रही हैं। जैसलमेर जिले के लिए यह स्थिति सुखद हो सकती है कि वर्तमान में माध्यमिक व उज्ज माध्यमिक विद्यालयों में 6574 बालिकाएं पढ़ रही हैं।
Dr Babita Singh is the only female officer at district level in Jaisalmer, She is In Charge of District Surveillance Unit under Integrated Disease Surveillance Program of Jaisalmer.
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