रविवार, 17 जून 2012

थार एक्सप्रेस बनी मैरीज एक्सप्रेस


थार एक्सप्रेस बनी मैरीज एक्सप्रेस 

रोटी-बेटी का दोनों मुल्को का पुराना रिश्ता फिर हुआ कायम 


बाड़मेर कई मायनों में देश के लिए और देश की सुरक्षा के लिहाज से परेशानी बनी थार एक्सप्रेस हकीकत में दिल से दिल का सफर तय कर रही है। थार एक्सप्रेस ने भारत और पाकिस्तान की हदों को बेमानी साबित करते हुए दर्जनों जोड़ियों का मिलन कराया है। दरअसल बाड़मेर-जैसलमेर के रेगिस्तान में हजारो परिवारों का रोटी-बेटी का रिश्ता पाकिस्तान के सिंध इलाके के मिट्ठी , खोखरापार , छाछरो, मीरपुर ख़ास ईलाको में हैं इनका इन ईलाको में लम्बे समय से नाता रहा हैं लेकिन करीब चालीस साल पहले इन ईलाको के मध्य ट्रेन का सफ़र बंद हुआ तो ये रिश्ते दो देशो की सीमाओ में दम तोड़ने लगे ! ऐसे में 18 फरवरी 2006 को थार एक्सप्रेस की शुरुआत हुई उसके बाद यह दोस्ती की रेल मुहब्बत की रेल साबित हुई ! इन ईलाको में राजपूत ,मेघवाल , भील , सिन्धी , खत्री जातियों के लोगो की रिश्तेदारिया बहुतायत में हैं ! पिछले कुछ ही सालो में बड़ी संख्या में शादिय थार एक्सप्रेस के मार्फत हुई हैं ! पाकिस्तान से भारत आकर लोग दुल्हने लेकर गये या फिर पाकिस्तान में शादी का सेहरा बांध कर पाकिस्तान की बेटी को भारत की बहु बनाकर लाया गया ! कई सालो से भारत आकर बसे तेजदान देथा के मुताबिक़ थार एक्सप्रेस ने दो देशो के बीच पुरानी रिश्तेदारी को वापस कायम किया हैं !

यही नहीं भारत के मुनाबाव और पाकिस्तान के खोखरापार के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस की बदौलत इन दिनों शहनाइयां गूंज रही हैं। शादी या मंगनी के बावजूद बरसों से विरह का दंश झेल रहे दोनों तरफ के युवाओं के लिए यह रेल खुदा की इनायत से कम नहीं है। दरअसल सदियों से भारत के मारवाड़ और पाकिस्तान के सिंध इलाकों के लोगों में वैवाहिक रिश्ते रहे हैं। 1965 और 1971 की लड़ाइयों के बावजूद प्रीत का यह रिश्ता कायम रहा लेकिन सीमा रेखा पर कंटीली बाड़ ने रास्ता बंद कर दिया। पाकिस्तान के उमरकोट, खोखरापार, हैदराबाद, कराची, मीरपुर, बहावलपुर और भारत के समूचे मारवाड़ इलाके में सैकडों युवक-युवतियां विवाह या मंगनी के बावजूद बरसों तक अपने जीवनसाथी से मिलने के लिए तरस गए।
इस से पहले बाड़मेर से सैकड़ों किलोमीटर वाघा सीमा के जरिए लंबे व खर्चीले रास्ते से कुछ ही लोग पाकिस्तान जा सकते थे।लेकिन इतना लम्बा सफ़र और उसके बाद वीजा अवधि के खत्म होने का दुःख उनको काफी परेशानी में डालता था लेकिन अब यह सफ़र काफी कम रह गया हैं ! गरीब तबके के लोग बंद रास्ता खुलने का इंतज़ार ही कर रहे थे और उनके लिए यह खुशियों की सौगात आ गई । थार एक्सप्रेस चलने के बाद अब तक दर्जनों पाकिस्तानी लड़कियां भारत में अपनी ससुराल आ चुकी हैं और दर्जनों भारतीय लड़कियां अपने शौहर के घर पाकिस्तान जा चुकी हैं।
नागरिकता के लिए परेशानिया
भारत और पाकिस्तान के ऐसे कई दम्पति हैं जिनके लिए नागरिकता और गुप्तचर एजेंसियों की पूछताछ परेशानी का कारण बनी हुई हैं , दरअसल बाड़मेर से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या पन्द्रह को पार कर कोई विदेशी नागरिक बाड़मेर की तरफ नहीं आ सकता ऐसे में नागरिकता के अभाव में लड़की को आसपास के ईलाको में रहना पड़ता हैं और वो बाड़मेर बिना इजाजत नहीं आ सकती ! ऐसे में कई जोड़े जोधपुर या जालोर में मजबूरन अस्थाई निवास वीजा पर रह रहे हैं !
केस स्टडी
शादी तो हुई पर पिया के घर से अब तक दूर --
बाड़मेर निवासी अर्जुन शारदा की शादी करीब चार साल पहले कराची की डॉ .अनीला महेश्वरी से हुई थी ! लेकिन शादी के बाद विदेशी नागरिकता का दंश इनके रिश्ते में बीच में आ गया ! दरअसल राष्ट्रीय राजमार्ग पन्द्रह को पार करके अनीला गर अपने पिया के घर पहुंचती तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो सकती थी इसलिए अब भी करीब चार साल बीतने के बाद भी अनीला जोधपुर में रहती हैं और अर्जुन को बार बार उस से मिलने के लिए जोधपुर - बाड़मेर के बीच सफ़र करना पड़ रहा हैं ! ये कहानी मनीष राठी के साथ भी चल रही हैं , मनीष की शादी सिंध इलाके की बबली के साथ हुई और उसको अपनी बीवी को बाड़मेर लाने की इजाजत नहीं हैं क्यूंकि वो पाकिस्तान की हैं और अब तक भारत सरकार ने उसको भारतीय होने की पहचान नहीं दी हैं ! अब इन सभी को वीजा ख़त्म होने से पहले पकिस्तान जाना पड़ता हैं और वापस वीजा अवधि बढ़ा कर भारत अपने ससुराल आना पड़ता हैं ! इनका कहना हैं कि शादी के बाद इतनी तकलीफे आएगी ये उन्होंने कभी सोचा तक नहीं था !

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