जयपुर. सायबर ठगों ने अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को ठगी करने का जरिया बना लिया है। ठगों ने आरबीआई के नाम से लोगों को फांसने के लिए 3 फर्जी वेबसाइट बना डाली हैं, जिनका पहला पेज हू-ब-हू आरबीआई की असली साइट जैसा लगता है। सायबर एक्सपर्ट राजशेखर राजहरिया के मुताबिक ऐसी और भी वेबसाइट्स हो सकती हैं। फिलहाल, जिन फर्जी वेबसाइट्स का पता चला है वे हैं-
www.serverbi.co.in, www.rbionline.co.in और www.rbimediaclippings.org, जबकि आरबीआई की असली वेबसाइट www.rbi.org.in है। ठगों ने लोगों में विश्वास बनाने के लिए और फर्जी वेबसाइट को असली दिखाने के लिए आरबीआई के फर्जी आई कार्ड बना रखे हैं और वेबसाइट के पेज पर आरबीआई गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव का फोटो भी लगाते हैं।
इसके अलावा साइट उसी कलर-कॉम्बिनेशन व आइटम्स वाली है, जैसी आरबीआई की असली वेबसाइट है। कोई भी व्यक्ति इनके असली साइट होने का धोखा खा सकता है। ऐसा होने के बावजूद आरबीआई ने अभी तक इन्हें ब्लॉक नहीं करवाया है। जयपुर में आरबीआई के बैंकिंग ऑम्बड्जमैन विभाग के मैनेजर एनके शर्मा के मुताबिक उन्हें ऐसी किन्हीं फर्जी वेबसाइट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस समस्या का समाधान आरबीआई में केंद्रीय स्तर पर ही हो सकता है।
आईबीए की भी नहीं मानी बैंकों ने
आरबीआई के नाम से हो रहे फ्रॉड पर इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने बैंकों को कई बार चेताया था कि वे लोगों को जागरूक करने के लिए उपाय करें। बैंको और एटीएम कियोस्क में पोस्टर लगवाएं वहीं एटीएम की स्क्रीन पर भी यह डिस्प्ले हो जब मशीन काम में न ली जा रही हो। ..लेकिन बैंकों ने आईबीए के सुझाव नजरअंदाज ही किए।
ठग भेजते हैं फर्जी इनामी मेल
वेब फ्रॉड करने वाले ठग आम लोगों को आरबीआई के नाम से ई-मेल भेजकर इनाम व लोन पाने के मैसेज भेज रहे हैं। ई-मेल में 5 लाख ब्रिटिश पाउंड जीतने का दावा किया जाता है तो कभी 85 लाख रुपए का। इसे प्रमाणित मेल दिखाने के लिए ठग इसमें आरबीआई के गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव की फोटो भी लगाते हैं।
मैसेज की भाषा होती है- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के फॉरेन एक्सचेंज ट्रांसफर डिपार्टमेंट आपको सूचित करता है कि ब्रिटिश सरकार और स्विस वल्र्ड बैंक में 2000 से 2012 के बीच लंबित मामलों के निस्तारण की प्रक्रिया के दौरान आपको एक लाभार्थी के तौर पर चुना गया है। यह आपके ईमेल एड्रेस के फाइल रिकॉर्ड के आधार पर किया गया है। हाल ही जयपुर के एक व्यक्ति को ईमेल मिला, इसमें लिखा था- आपको सूचित किया जाता है कि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान आपको अनपेड गवर्नमेंट कॉन्ट्रेक्ट के तहत आरबीआई ने लाभार्थी चुना है। आपको 85 लाख रुपए की राशि दी जा रही है। इस फर्जीवाड़े में बाकायदा पेमेंट फाइल का मनगढ़ंत नंबर भी लिखा होता है।
लाभांश के लिए मांगते हैं क्रेडिटिंग फीस
सायबर एक्सपर्ट राजशेखर बताते हैं- सायबर ठग ईमेल में ऐसी भूमिका बनाते हैं कि लोग उनके झांसे में आ जाते हैं। एक ईमेल में लिखा था- हाल ही आरबीआई के गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव सीनेट टैक्स कमेटी ऑन फाइनेंस से अनक्लेम्ड फंड के सिलसिले में मिले थे। यह काफी समय से पेंडिंग पड़ा है।
राव के मुताबिक लाभार्थियों का धन रोके रखना अच्छी बात नहीं है, इसे जल्द से जल्द बांटा जाए। इसलिए यह धन हम आपको केवल क्रेडिटिंग फीस के बदले दे रहे हैं। यह फीस 12,500 रुपये है। आप हमें अपने अकाउंट नंबर, उसका प्रकार और बैंक का नाम मेल कर दें। आपको एक सप्ताह में धन मिल जाएगा।
सावधान!
हालांकि आरबीआई वक्त-वक्त पर बैंकों को चेताता रहता है कि वे इस बारे में सावधान रहें। चेतावनी के मुताबिक आरबीआई किसी व्यक्ति का खाता नहीं खोलता। आरबीआई के अधिकारियों के नाम के दुरुपयोग की जांच करें। आरबीआई कोई लॉटरी या विदेशों से आया फंड किसी को उपलब्ध नहीं कराता और न ही ऐसे मेल किसी व्यक्ति को भेजता है। आरबीआई की सिर्फ एक ही आधिकारिक वेबसाइट है। यदि ईमेल में किसी लिंक को क्लिक करने की बात लिखी हो तो उसमें अपने अकाउंट संबंधी कोई जानकारी न डालें। ऐसा मेल आने पर पुलिस से संपर्क करें।
www.serverbi.co.in, www.rbionline.co.in और www.rbimediaclippings.org, जबकि आरबीआई की असली वेबसाइट www.rbi.org.in है। ठगों ने लोगों में विश्वास बनाने के लिए और फर्जी वेबसाइट को असली दिखाने के लिए आरबीआई के फर्जी आई कार्ड बना रखे हैं और वेबसाइट के पेज पर आरबीआई गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव का फोटो भी लगाते हैं।
इसके अलावा साइट उसी कलर-कॉम्बिनेशन व आइटम्स वाली है, जैसी आरबीआई की असली वेबसाइट है। कोई भी व्यक्ति इनके असली साइट होने का धोखा खा सकता है। ऐसा होने के बावजूद आरबीआई ने अभी तक इन्हें ब्लॉक नहीं करवाया है। जयपुर में आरबीआई के बैंकिंग ऑम्बड्जमैन विभाग के मैनेजर एनके शर्मा के मुताबिक उन्हें ऐसी किन्हीं फर्जी वेबसाइट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस समस्या का समाधान आरबीआई में केंद्रीय स्तर पर ही हो सकता है।
आईबीए की भी नहीं मानी बैंकों ने
आरबीआई के नाम से हो रहे फ्रॉड पर इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने बैंकों को कई बार चेताया था कि वे लोगों को जागरूक करने के लिए उपाय करें। बैंको और एटीएम कियोस्क में पोस्टर लगवाएं वहीं एटीएम की स्क्रीन पर भी यह डिस्प्ले हो जब मशीन काम में न ली जा रही हो। ..लेकिन बैंकों ने आईबीए के सुझाव नजरअंदाज ही किए।
ठग भेजते हैं फर्जी इनामी मेल
वेब फ्रॉड करने वाले ठग आम लोगों को आरबीआई के नाम से ई-मेल भेजकर इनाम व लोन पाने के मैसेज भेज रहे हैं। ई-मेल में 5 लाख ब्रिटिश पाउंड जीतने का दावा किया जाता है तो कभी 85 लाख रुपए का। इसे प्रमाणित मेल दिखाने के लिए ठग इसमें आरबीआई के गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव की फोटो भी लगाते हैं।
मैसेज की भाषा होती है- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के फॉरेन एक्सचेंज ट्रांसफर डिपार्टमेंट आपको सूचित करता है कि ब्रिटिश सरकार और स्विस वल्र्ड बैंक में 2000 से 2012 के बीच लंबित मामलों के निस्तारण की प्रक्रिया के दौरान आपको एक लाभार्थी के तौर पर चुना गया है। यह आपके ईमेल एड्रेस के फाइल रिकॉर्ड के आधार पर किया गया है। हाल ही जयपुर के एक व्यक्ति को ईमेल मिला, इसमें लिखा था- आपको सूचित किया जाता है कि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान आपको अनपेड गवर्नमेंट कॉन्ट्रेक्ट के तहत आरबीआई ने लाभार्थी चुना है। आपको 85 लाख रुपए की राशि दी जा रही है। इस फर्जीवाड़े में बाकायदा पेमेंट फाइल का मनगढ़ंत नंबर भी लिखा होता है।
लाभांश के लिए मांगते हैं क्रेडिटिंग फीस
सायबर एक्सपर्ट राजशेखर बताते हैं- सायबर ठग ईमेल में ऐसी भूमिका बनाते हैं कि लोग उनके झांसे में आ जाते हैं। एक ईमेल में लिखा था- हाल ही आरबीआई के गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव सीनेट टैक्स कमेटी ऑन फाइनेंस से अनक्लेम्ड फंड के सिलसिले में मिले थे। यह काफी समय से पेंडिंग पड़ा है।
राव के मुताबिक लाभार्थियों का धन रोके रखना अच्छी बात नहीं है, इसे जल्द से जल्द बांटा जाए। इसलिए यह धन हम आपको केवल क्रेडिटिंग फीस के बदले दे रहे हैं। यह फीस 12,500 रुपये है। आप हमें अपने अकाउंट नंबर, उसका प्रकार और बैंक का नाम मेल कर दें। आपको एक सप्ताह में धन मिल जाएगा।
सावधान!
हालांकि आरबीआई वक्त-वक्त पर बैंकों को चेताता रहता है कि वे इस बारे में सावधान रहें। चेतावनी के मुताबिक आरबीआई किसी व्यक्ति का खाता नहीं खोलता। आरबीआई के अधिकारियों के नाम के दुरुपयोग की जांच करें। आरबीआई कोई लॉटरी या विदेशों से आया फंड किसी को उपलब्ध नहीं कराता और न ही ऐसे मेल किसी व्यक्ति को भेजता है। आरबीआई की सिर्फ एक ही आधिकारिक वेबसाइट है। यदि ईमेल में किसी लिंक को क्लिक करने की बात लिखी हो तो उसमें अपने अकाउंट संबंधी कोई जानकारी न डालें। ऐसा मेल आने पर पुलिस से संपर्क करें।
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