बाड़मेर मिनरल वाटर के नाम पर ठगे जा रहे हें लोग
तय मानकों का याल रखे बिना ही जगह-जगह आर ओ प्लांट लगा कर पानी ठंडा कर बड़े-बड़े जग में भरकर सप्लाई किया जाता है। ब्रांडेड कंपनियों की खाली बोतलों में सामान्य पानी भर कर धड़ल्ले से बेचा जाता है। आरओ प्लांट के पानी की गुणवत्ता तो फिर भी थोड़ी बहुत बेहतर होती है लेकिन बोतलों के पानी पर भरोसा नहीं किया जा सकता। एक तो बोतलों का यह पानी बस अड्डों पर ही ज्यादा बेचा जाता है। उन्हें खरीदने वाले भी अमूमन यात्री ही होते हैं। बोतल खरीद कर अपने सफर पर चल देते हैं। कोई परेशानी आती है तो बाद में। तब तक यह पता लगाना भी मुश्किल हो जाता है कि वह बोतल खरीदी किससे थी और अब पकड़ा किसे जाए!
पानी माफिया ब्रांडेड कंपनियों की खाली बोतलों में पहले नल से पानी भर लेता है। तत्पश्चात उनके ढक्कन पर सील के रूप में छोटी सी टेप लगा देता है। बाद में इन बोतलों को ठंडा कर 10 रुपये की दर से लोगों को खूब बेचा जाता है। अगर कोई 10 की जगह पर सात या आठ रुपये में देने को कहे तो भी यह बोतल उसे दे दी जाती है। पानी बेचने वाला तो बोतल बेचकर चला जाता है, मगर जब कोई प्यास बोतल खोलकर पानी पीता है तो उसमें बदबू भी आती है और बहुत बार पानी गंदा या फंगल वाला भी होता है।सबसे बड़ी बात अधिकाँश प्लांट में कुए का पानी भरा जा रहा हें .
इस बाबत स्वास्थ्य विभाग एवं खाद्य एवं दवा अपमिश्रण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समय समय पर खाद्य पदार्थो के साथ साथ बोतलबंद पानी के भी सैंपल लिए जाते हैं और जांच के लिए भेजे जाते हैं। कमी पाए जाने पर कसूरवार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है। अधिकारियों के अनुसार यदि किसी को कहीं कोई खामी नजर आए या मिलावट का संदेह हो तो शिकायत भी की जा सकती है।
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