शनिवार, 2 जून 2012

असल 'बबली और बंटी'!



नागपुर. शहर के प्रताप नगर इलाके से निवेशकों के करोड़ों रुपए की हेराफेरी कर फरार हुए एक दंपति की तलाश कर रही अपराध पुलिस शाखा की आर्थिक विंग के हाथ शुक्रवार को बड़ी सफलता हाथ लगी। यह दंपति नागपुर से फरार होने के बाद से बंटी और बबली के नाम से मशहूर हो गए हैं। आर्थिक विंग के निरीक्षक पालव ने कथित बबली (वर्षा झामरे) को नासिक स्थित इंदिरा नगर इलाके से किसी बढिये नामक व्यक्ति के घर से गिरफ्तार किया। उसे वहां से नागपुर शनिवार को लाया जाएगा। दोनों दंपति पर 5 करोड़ 36 लाख से अधिक का गबन कर फरार होने का आरोप लगा है। गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई यह गिरफ्तारी पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर की। आरोपी वर्षा, नासिक निवासी बढिये के घर पर थी। वह वर्षा का करीबी रिश्तेदार बताया जा रहा है। उसकी गिरफ्तारी के समय वहां उसकी सास और देवर नीतिन भी मौजूद थे। पुलिस इन दोनों से भी पूछताछ कर सकती है। वर्षा के फरार पति जयंत झामरे (बंटी) की तलाश पुलिस कर रही है। पुलिस को पूरी उम्मीद है कि नागपुर से फरार हुई बबली जब उनके हाथ लग गई है तो बंटी खुद-बखुद उनके शिकंजे में खिंचा चला आएगा। झामरे दंपति के खिलाफ अब तक करीब 100 निवेशक शिकायत कर चुके हैं। गांव के लोग भी हैं निवेशक सूत्रों की मानें तो अकेले नागपुर में इन दोनों की जे. एस. फाइनेंशियल और जे. एस. कैपिटल कंपनी में लगभग 1700 लोगों ने निवेश किया है। निवेशकों में ब्लैक मनी वालों के अलावा, व्यवसायियों व नेताओं के भी निवेश करने की खबर है। इन दोनों ने अपनी कंपनी का नेटवर्क पूरे राज्य में फैला रखा था। सूत्रों की सच मानें तो बंटी और बबली की एक करीबी रिश्तेदार ने तो अपने गांव के कई लोगों का पैसा निवेश कराया था। इन दोनों ने लोगों को लूटने का अनोखा तरीका अपना रखा था। यह निवेश के नाम पर तीन साल तक का निवेश कराते थे। निवेशक को 4 से 6 प्रतिशत तक का ब्याज देने का वादा करते थे। वे उस वादे के मुताबिक उन्हें 7-8 माह तक बकायदा ब्याज की रकम भी देते थे, ताकि निवेशक को उन पर कोई शक न हो। भरोसे के लिए देता था चेक दोनों निवेशक को तीन वर्ष की अवधि पूरे होने के बाद वाली तारीख का चेक पहले ही दे देते थे, जिससे निवेशक को उन पर और भी कोई शक नहीं होता था। दोनों ने शहर की चार बैंकों में खाते खोल रखे थे। इन खातों में पैसे नहीं रहने के बाद तीन वर्ष वाले निवेशक को इन्हीं बैंकों में से एक बैंक का चेक देते थे, ताकि तीन वर्ष बाद निवेशक उस चेक को भुनाने जाए तो वह बाउंस हो जाए। इन दोनों के कारनामों का उस समय पर्दाफाश हुआ, जब कुछ निवेशक तीन वर्ष का समय पूरा होने के बाद बैंक में चेक भुनाने पहुंचे और इधर कई निवेशकों को कुछ महीने से ब्याज भी नहीं मिला था। उसके बाद निवेशकों में तब हड़कंप मच गया, जब बंटी और बबली बोरिया बिस्तर बांध कर परिवार के साथ फरार हो गए। बंटी और बबली के सभी खातों की जांच भी पुलिस कर रही है। इसके अलावा इन दोनों ने जमीन, शेयर और सोना खरीदी में भी निवेश किया है क्या? इसकी भी जांच पुलिस कर रही है। 5 करोड़ 36 लाख से अधिक का गबन इस दंपति पर आरोप है कि इन्होंने शहर से लगभग 5 करोड़ 36 लाख रुपए से अधिक की चपत लगा कर फरार हुए हैं। यह तो वह रकम है जो निवेशकों के खुल कर सामने आ जाने से उजागर हुई है। प्रकरण की जांच कर रहे पुलिस निरीक्षक पालव ने बताया कि हो सकता यह आंकड़ा जयंत के गिरफ्तार होने पर और बढ़ जाए। पुलिस जयंत के करीब तक पहुंच चुकी है। वह भी जल्द ही पुलिस गिरफ्त में होगा। दोनों दंपति नागपुर से 20 मई 2012 को फरार हुए थे। तीन साल पहले आए थे नागपुर करीब तीन वर्ष पहले पश्चिम महाराष्ट्र से इस दंपति का नागपुर आगमन हुआ। वर्षा और जयंत ने प्रतापनगर के त्रिमूर्ति नगर परिसर में किराए का मकान लिया। नागपुर आने से पहले जयंत की राज्य की एक राजनीतिक पार्टी में अच्छी पैठ थी। उसी के नाम का सहारा लेकर जयंत ने नागपुर में निवेश की दुनिया में पैर जमाना शुरू किया। पहले शुरू की फाइनेंस कंपनी जयंत ने पत्नी वर्षा के साथ मिल कर उक्त दो नामों से कंपनी शुरू की। पहले कंपनी ने फाइनेंस का कारोबार शुरू किया। उसके बाद निवेश कंपनी शुरू की। निवेश में लोगों को निवेश करने पर 4 से 6 प्रतिशत ब्याज मिलने की लालच में कई लोगों ने निवेश किया। वह जिन लोगों से निवेश करता था, उनसे यह कहकर दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराता था कि वह उनसे कर्ज ले रहा है, जो तीन वर्ष बाद ब्याज समेत लौटा देगा। लोग लालच में आकर निवेश करने लगे। प्रसिद्धि का अनोखा तरीका जयंत ने कंपनी की प्रसिद्धि के लिए ग्राहक टू ग्राहक और रिश्तेदार टू रिश्तेदार का फंडा अपना रखा था, जिससे उसका नेटवर्क पूरे राज्य में फैल गया। वह इतने शांत और चालक किस्म का इंसान है कि उसकी होशियारी के आगे किसी की नहीं चलती है। वह लोगों से निवेश कराने के बाद गारंटी के तौर पर तीन साल के बाद की तारीख का हस्ताक्षर किया हुआ चेक देता था। उसने कई लोगों को ऐसे चेक दे रखे थे। 6 करोड़ के शेयर! जयंत को शेयर खरीदने का शौक था। उसने लगभग 6 करोड़ के शेयर भी खरीद रखे हैं। शेयर में फायदा होने पर निवेशक को वह पैसा देता था। नागपुर में वह पत्नी वर्षा, मां, बेटे और भाई नीतीन के साथ रहता था। नितीन का भाई एमआईडीसी के महिन्द्रा एण्ड महिंद्रा में काम करता था। उसका एक बच्च भी उसके साथ नागपुर में रहता था। वह सातवीं कक्षा में वर्धा रोड पर एक विद्यालय में पढ़ता है। पुलिस ने वर्षा और जयंत के फरार होने के बाद उनका पता लगाने के लिए सभी स्थानों पर संपर्क कर उन्हें उनके बारे में सूचना मिलने पर जानकारी देने के लिए पत्र व्यवहार किया था। उसके बाद उसके चार बैंकों के खाते सील किए गए। जयंत का जिस राजनीतिक पार्टी से करीबी संबंध बताया जा रहा है, उसी के कारण अब तक उसका परिवार नासिक में सुरक्षित था। रिजर्व बैंक से भी लेगी पुलिस जानकारी पुलिस इस बात का भी पता लगाएगी कि इस दंपति ने रिजर्व बैंक से कोई अनुमति ली थी या बिना अनुमति के ही लाखों रुपए का रोजाना का कारोबार कर रहे थे। सूत्रों की मानें तो कुछ कालेधन वाले निवेशक भी संदेह के घेरे में हैं। उन पर पुलिस किसी भी क्षण शिकंजा कस सकती है। पहले इस दंपति के खिलाफ प्रतापनगर थाने में प्रकरण दर्ज किया गया। उसके बाद प्रकरण की जांच अपराध पुलिस शाखा के आर्थिक विंग को सौंप दी गई। इसकी जांच निरीक्षक पालव कर रहे हैं।

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