हमारी लाडली, हमारा भविश्य’’
छात्राओं ने कहा हम फैलाएंगी जनजागृति, स्वास्थ्य विभाग का महाअभियान शुरू
बाडमेर। हमारे दो की यह परम्परा रही है कि हमोा नारी को बहुत ऊंचा दर्जा दिया गया लेकिन आज यह दुर्दा पैदा हो गई है कि उसी नारी को कोख में ही दफन किया जा रहा है। हालात दिनब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं और परिस्थितियां विकट होती जा रही है। यदि हम अभी नहीं संभले तो हालात और अधिक खस्ता हो जाएंगे। हमें बेटियों की महत्ता समझा होगा कि हमारी लाडली ही हमारा भविश्य है। ये विचार मंगलवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन ने हमारी लाडली महाअभियान की पहली कड़ी में आयोजित विचार गोश्ठी में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। जयनारायण व्यास िक्षण प्रिक्षण महाविद्यायल में आयोजित विचार गोश्ठी में जिला परिवहन अधिकारी अनिल पांड्या, महाविद्यायल प्रबंधक अनिल सुखानी, प्रिंसिपल किन परमार, जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई, आा समन्वयक राको भाटी बतौर अतिथि मौजूद थे। वहीं व्याख्याता प्रेमाराम सोनी, मदनननाथ, श्रीमति पिंकी व मांगीदान आदि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम की विधिवत भाुरूआत मां सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित कर की गई। मुख्य अतिथि जिला परिवहन अधिकारी अनिल पांड्या ने कहा कि यह ऐसी गंभीर और संवेदनाील मुद्दा है जिस पर सभी को एक साथ मिलकर गंभीरता से कार्य करना होगा। कन्या भू्रण हत्या पर हम तभी अंकुा लगा सकते हैं जब जनजागृति पैदा करें और अधिकाधिक लोगों को इस मुद्दे को लेकर जागरूक करें। डीटीओ पांड्या ने एक मार्मिक कवीता के जरिए बेटी का मर्म बताते हुए कहा कि बेटी समाज व दो की जरूरत है और हमें उनकी महत्ता को समझा होगा। प्रिंसिपल किन परमार ने कन्या भू्रण हत्या को लेकर निरंतर जागरूकता अभियान चलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आमजन, सरकारीगैर सरकारी संस्थानों और अन्य लोगों को साथ लेकर जागरूकता पैदा करनी चाहिए। विचार गोश्ठी में छात्रा सरोजदेवी ने कहा कि बेटियों के प्रति समाज को नजरिया बदलने की जरूरत है। बिना किसी सही तर्क के आज लड़कों को हर कार्य में प्राथमिकता दी जाती है और बेटियों का तिरस्कार किया जाता है। जबकि कोई भी यह तर्क नहीं दे सकता कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि बेटियों से बेटे अव्वल है। इसलिए हमें हर स्थिति को समझना होगा, हमें हर तर्क पर विचार करना होगा तभी पता चलेगा कि आखिर बेटियां क्यों खास है। इसी तरह छात्रा धोली बिनोई ने कहा कि हम आखिर क्यों बेटियों की तवज्जो नहीं देते हैं, आखिर कब तक बेटियों को कोख में ही मारा जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि हम बेटियों, महिलाओं को ही आगे आकर हमारी भावी पी़ी यानी बहनों को बचाना होगा। इस मौके पर रसिला, नि चौधरी, रेखा व्यास आदि छात्राओं ने सरस्वती वंदना व स्वागत गान प्रस्तुत किए। मंच संचालन व्याख्याता मांगीदान ने किया और कार्यक्रम के अंत में जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
फोटो मुख्यमंत्री के नाम पोस्टकार्ड लिखती छात्राएं
छात्राओं ने की मुख्यमंत्री से गुहार, बनाओ फास्ट टैक कोर्ट
कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय छात्राओं ने मुख्यमंत्री आोक गहलोत के नाम पोस्टकार्ड भी लिखे। उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा कि राजस्थान के विभिन्न जिलों में कन्या भू्रण हत्या से संबंधित मामलों को लेकर जल्द से जल्द फास्ट टैक कोर्ट का गठन किया जाए। साथ ही सभी तरह के मामलों को एक कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए ताकि ऐसे मामलों को दोशियों के खिलाफ भाीघ्रातिीघ्र कार्रवाई हो सके और दंड मिल सके। इस दौरान सीएमएचओ डॉ. अजमल हुसैन, डीटीओ अनिल पांड्या, आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई सहित अन्य व्याख्याताओं ने भी पोस्टकार्ड लिखे।
स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के निर्दो
बाडमेर। जिला ग्रामीण स्वास्थ्य समिति की मासिक बैठक को संबोधित करते हुए जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने कहा कि जिले में कई चिकित्सा संस्थानों के हालात बहुत खस्ता है, इसलिए जल्द से जल्द ऐसी अव्यवस्थाओं को दुरूस्त करवाएं ताकि आमजन को पर्याप्त राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि अक्सर वार्डों और यहां तक कि आईसीयू में मरीज के साथ अनावयक रूप से भीड़ जुटी रहती है, जिस कारण जहां संक्रमण फैलने का खतरा रहता है वहीं दूसरे मरीज भी परोान होते हैं। वहीं जिला प्रमुख मदन कौर ने कहा कि जिस चिकित्सा संस्थान पर पानी की सुविधा नहीं हैं, वहां भाीघ्रातिीघ्र पानी की व्यवस्था करवाएं। गर्मी के मौसम को देखते हुए उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाएं चुस्तदुरूस्त रखने के निर्दो सभी बीसीएमओ को दिए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन ने विभिन्न राश्ट्रीय कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतने के निर्दो दिए। बैठक में एसीएमएचओ डॉ. जितेंद्रसिंह, डिप्टी सीएमएचओ डॉ. बीएस गहलोत, आरसीएचओ डॉ. एमएल मौर्य, डीटीओ डॉ. महो गौतम, नोडल अधिकारी जयंत चटर्जी, आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई, आा समन्वयक राको भाटी, डॉ. मुको गर्ग, डॉ. अनिल झा, सीताराम परिहार सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।
बैठक में परिवार कल्याण पर समीक्षा करते हुए निर्दो दिए गए कि सभी कर्मियों को व्यक्तिग लक्ष्य आवंटित किए जाएं और उनकी मोनिटरिंग भी की जाए। वहीं गर्मी में लगने वाले िविरों के बारे में कहा गया कि िविर स्थल पर व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए और महिलाओं को कूलर के नीचे सुलाया जाना चाहिए। इसी तरह सभी बीसीएमओ को आदो दिए गए कि वे अपने क्षेत्र से ि एवं मातृ मृत्यु की नियमित रिपोर्ट भिजवाएं। इसके अलावा बैठक में विधायक व सांसद को आमंत्रित करने के लिए भी आदो दिया गया। बैठक में मलेरिया को अभी से ही तैयारी करने, विटामिन ए के तहत सभी बालकों को दवा पिलाने, जननी िु सुरक्षा योजना के तहत सभी को समय पर चैक मिलने और भाहरी आाओं को समय पर भुगतान देने संबंधी विशयों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
आनुवांशिक रोग है थैलेसिमिया डॉ. गांधी
थैलेसिमिया दिवस पर स्वास्थ्य विभाग में विचार गोश्ठी आयोजित
बाडमेर। थैलेसिमिया एक आनुवांशिक रोग है, जो मांबाप से बच्चे में होती है। इस रोग के कारण बच्चों में जिगर, तिल्ली और ह्रद्य की साइज ब़ जाने, शरीर में चमड़ी का रंग काला पड़ जाने जैसी विकट स्थितियां पैदा हो जाती है। इस रोग को लेकर हमें महिला के प्रसव से पूर्व ही ध्यान रखने की जरूरत है। यह बात मंगलवार को विव थैलेसिमिया दिवस पर आयोजित विचार गोश्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में वरिश्ठ चिकित्सक डॉ. विरेंद्र गांधी ने कही। जिला स्वास्थ्य भवन में आईईसी अनुभाग की ओर से आयोजित इस विचार गोश्ठी में सीएमएचओ डॉ. अजमल हुसैन, एसीएमएचओ डॉ. जितेंद्रसिंह, डिप्टी सीएमएचओ डॉ. बीएस गहलोत, आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई, आा समन्वयक राको भाटी, डीटीओ डॉ. महो गौतम, बीसीएमएओ डॉ. एसके बिश्ट, डॉ. आरआर सुथार, डॉ. आदि मौजूद थे।
डॉ. गांधी ने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 8 से 10 थैलेसिमिया रोगी जन्म लेते हैं। वर्तमान में भारत में लगभग 2,25,000 बच्चे थैलेसिमिया रोग से ग्रस्त हैं। उन्होंने बताया कि मेजर थैलेसिमिया जब एक थैलेसिमिया कैरियर पुरूष थैलेसिमिया कैरियर स्त्री से विवाह करता है, तो सामान्य बच्चा 50 प्रतिशत पैदा होने की आशा होती है, 25 प्रतिशत माइनर थैलेसिमिया बच्चा पैदा होने की संभावना होती है तथा 25 प्रतिशत मेजर थैलेसिमिया बच्चा होने की संभावना होती है। लक्षणों के बारे में उन्होंने बताया कि बच्चे में 6 माह, 18 माह के भीतर प्रकट होने लगता है। बच्चा पीला पड़ जाता है, पूरी नींद नहीं लेता, खानापीना अच्छा नहीं लगता है, बच्चे को उल्टियां, दस्त और बुखार जैसे रोग घेर लते हैं। बचाव के उपायों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आनुवांशिक मार्गदर्शन और थैलेसिमिया माइनर का दवाइयों से उपचार संभव है। थैलेसिमिया रोग से बचने हेतु मातापिता का डीएनए टैस्ट कराना अनिवार्य है साथ ही रिश्तेदारों का भी डीएनए टैस्ट करवाकर रोग पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। विवाह से पूर्व जन्मपत्री मिलाने के साथसाथ दूल्हे और दुल्हन का एचबीए 2 का टेस्ट कराना चाहिए।
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