प्रदेश में रोज गायब हो रहे हैं दो दर्जन बच्चे
भोपाल । प्रदेश में रोज 24 बच्चे लापता हो रहे हैं। 10 साल में 40 हजार से अधिक लड़कियां और 35 हजार लड़के गायब हुए हैं। अधिकतर बच्चे नौकरी और अन्य प्रलोभन के चलते गायब हुए हैं। ऎसे बच्चों की तलाश के मामले में निकायों, बाल कल्याण के लिए काम करने वाली समितियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
विकास संवाद समिति की सदस्य रोली ने पत्रकारों को यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में बीते दस साल में 75,521 बच्चों की गुमशुदगी के प्रकरण दर्ज हुए हैं। गुमशुदा बच्चों में से 32,585 बच्चे तो बरामद हो गए। लेकिन 12,936 बच्चों का अभी तक कोई जानकारी नहीं है। ये आंकड़े विकास संवाद संस्था ने स्टेट क्राइम रिकॉर्ड और सूचना के अधिकार से एकत्र किए हैं। प्रशांत जैन ने बताया कि सर्वे 18 वष्ाोü से कम आयु के गुम बच्चों पर किया है। इसमें कई गुम बच्चों की शिकायतें पुलिस में दर्ज नहीं है।
पिछले 9 वष्ाü में गुम हुई 8,108 बालिकाओं का कोई अता-पता नहीं है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अनुसार देश में लगभग 45 हजार बच्चे प्रति वष्ाü गायब होते हैं। इनमें से 11 हजार बच्चों का कोई सुराग नहीं मिला है। सर्वे के मुताबिक आदिवासी क्षेत्रों में नौकरी का झांसा देने वाले एजेंट सक्रिय हैं। 70 फीसदी गुमशुदगी के मामले इसी तरह के लालच से जुड़ हैं। इस काम में राजनीतिक लोग भी शामिल हैं। जो इस तरह की शिकायातों को दबाने की कोशिश करते हैं।
भोपाल । प्रदेश में रोज 24 बच्चे लापता हो रहे हैं। 10 साल में 40 हजार से अधिक लड़कियां और 35 हजार लड़के गायब हुए हैं। अधिकतर बच्चे नौकरी और अन्य प्रलोभन के चलते गायब हुए हैं। ऎसे बच्चों की तलाश के मामले में निकायों, बाल कल्याण के लिए काम करने वाली समितियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
विकास संवाद समिति की सदस्य रोली ने पत्रकारों को यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में बीते दस साल में 75,521 बच्चों की गुमशुदगी के प्रकरण दर्ज हुए हैं। गुमशुदा बच्चों में से 32,585 बच्चे तो बरामद हो गए। लेकिन 12,936 बच्चों का अभी तक कोई जानकारी नहीं है। ये आंकड़े विकास संवाद संस्था ने स्टेट क्राइम रिकॉर्ड और सूचना के अधिकार से एकत्र किए हैं। प्रशांत जैन ने बताया कि सर्वे 18 वष्ाोü से कम आयु के गुम बच्चों पर किया है। इसमें कई गुम बच्चों की शिकायतें पुलिस में दर्ज नहीं है।
पिछले 9 वष्ाü में गुम हुई 8,108 बालिकाओं का कोई अता-पता नहीं है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अनुसार देश में लगभग 45 हजार बच्चे प्रति वष्ाü गायब होते हैं। इनमें से 11 हजार बच्चों का कोई सुराग नहीं मिला है। सर्वे के मुताबिक आदिवासी क्षेत्रों में नौकरी का झांसा देने वाले एजेंट सक्रिय हैं। 70 फीसदी गुमशुदगी के मामले इसी तरह के लालच से जुड़ हैं। इस काम में राजनीतिक लोग भी शामिल हैं। जो इस तरह की शिकायातों को दबाने की कोशिश करते हैं।
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