गुरुवार, 10 मई 2012

पोखरण-दो परमाणु परीक्षण था सफल

पोखरण-दो परमाणु परीक्षण पर उठे विवाद पर विराम लगाने की कोशिश के तहत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा कि परीक्षण पूरी तरह से सफल थे और इससे वांछित परिणाम मिले। 
कलाम ने कहा कि परीक्षण के बाद दो प्रयोगात्मक परिणामों (मौके और इसके आसपास भूकंपीय मापन तथा परीक्षण स्थल पर परीक्षण के बाद रेडियोधर्मिता के मापन) के आधार पर विस्तृत समीक्षा की गई।

डीआरडीओ के तत्कालीन महानिदेशक रहे कलाम ने कहा कि इन आँकड़ों से परियोजना दल इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि तापीय परमाणु परीक्षण के वांछित डिजाइन लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया है।
 
भारत ने मई 11 और मई 13, 1998 को राजस्थान के पोरखरण परमाणु स्थल पर पाँच परमाणु परीक्षण किए थे, जिनमें 45 किलोटन का एक तापीय परमाणु उपकरण शामिल था, जिसे आमतौर पर हाइड्रोजन बम के नाम से जाना जाता है।

मई 11 को हुए परमाणु परीक्षण में 15 किलोटन का विखंडन उपकरण और 0.2 किलोटन का सहायक उपकरण शामिल था। इसी प्रकार 13 मई 1998 को भी 0.5 किलोटन और 0.3 किलोटन के उपकरण का परीक्षण किया था।

तत्कालीन रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार कलाम के अलावा उस समय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष आर चिदंबरम और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक रहे अनिल काकोड़कर ने पोखरण-दो परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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