सोमवार, 30 अप्रैल 2012

चेतना की बात फेलाएगी चेतना पुस्तके

चेतना  की बात फेलाएगी चेतना पुस्तके 
-जल चेतना की बात होगी मुखर 
-बाड़मेर कलेक्टर ऩे सराहा चेतना पुस्तको को 
        

        
“आज तक की तमाम खोजों के बाद भी हम पृथ्वी के सामान कोई अन्य गृह ढूंढने में असफल ही रहे है अंतरिक्ष में अब तक हम कई ग्रहों का पता लगा चुके हैं लेकिन इनमे से कोई भी दूर दूर तक प्रथ्वी जैसा नहीं है जहाँ जीवन संभव हो.पृथ्वी पर जीवन अनेक कारणों से संभव हो सका है जैसे सूर्य का पृथ्वी से एक ख़ास दूरी पर होना ,जिससे यहाँ पर जीवन की परिस्थितियाँ उत्त्पन्न हुई ! अगर ऐसा नहीं होता और पृथ्वी यदि सूर्य के निकट होती तो बहुत गर्म अगर दूर होती तो बहुत ठंडी होती किन्तु प्रकृति ने हमें सौगात के रूप में ऋतु,वनस्पति,मिटटी,जल,जैसे संसाधन, वरदान के रूप में दिए! विकास के नाम पर अगर इंसान यूं ही प्रकृति का विनाश करता रहा तो इंसानों के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो जाएगा। अगर हमें अपनी आने वाली पीढि़यों को एक बेहतर कल देना है तो हमें आज से ही प्रयास करने होंगे।'' ये विचार बाड़मेर जिला कलेक्टर  डाक्टर वीणा प्रधान  ऩे सी सी डी यू की चेतना पुस्तको के बारे में रखे . जल एवं स्वछता मिशन राजस्थान सरकार , पेयजल गुणवता मिशन सी सी डी यू के आई ई सी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित  ऩे बताया कि धरती से पानी खत्म होता जा रहा है। नदियां, नाले और झीलें सूख रही हैं। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जमीनी पानी दिनोंदिन नीचे खिसकता जा रहा है। पीने के पानी की विकराल होती समस्या के कारण मारपीट, धरना-प्रदर्शन, तोड़फोड़ की नौबत आने लगी है। दूसरी ओर हर वर्ष काफी बरसाती पानी यों ही बेकार चला जाता है, उसके प्रबंधन की समुचित व्यवस्था नहीं है। पानी के कुप्रबंधन के कारण प्रकृति की पूरी संरचना ही बिगड़ती लग रही है। जल संरक्षण में सामान्य जनमानस का सहयोग जरूरी है। ग्राम पंचायत में विद्युत प्रदाय बंद होने पर जल संकट का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण अंचलों में हैंडपंपों व कुओं के आसपास सफाई रखना चाहिए। ग्रामीण पेयजल स्रोतों के पास ही कपड़े धोते व पशुओं को पानी पिलाते हैं। हालाँकि धरती का 70.87 प्रतिशत भाग पानी से घिरा हुआ है, बावजूद इसके धरती पर पीने के पानी का जबरदस्‍त संकट विद्यमान है। इसका मुख्‍य कारण यह है कि धरती पर उपलब्‍ध 97.5 प्रतिशत जल लवणीय है और मात्र 2.5 प्रतिशत जल पीने के योग्‍य है। लेकिन उससे भी बड़ी विडम्‍बना यह है कि पीने योग्‍य जल के मात्र एक प्रतिशत हिस्‍से तक ही मानव की पहुँच है। हमारे देश में भी सरकारी स्‍तर पर हालाँकि इसके लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं, किन्‍तु जनमानस में इसके प्रति घोर लापरवाही देखने को मिलती है। यही कारण है कि घरों में न सिर्फ बेतहाशा पानी बर्बाद किया जा रहा है, वरन जाने-अनजाने में उसे प्रदूषित भी बनाया जा रहा है।पानी की इस बर्बादी को रोकने और उसके प्रति सामाजिक चेतना जागृत करने के उद्देश्‍य से सी सी डी यू , जल एवं स्वछता मिशन राजस्थान सरकार , पेयजल गुणवता मिशन   की पुस्‍तक ‘जल संरक्षण और जल चेतना ’ को सोमवार कि रोज बाड़मेर जिला कलेक्टर ऩे  एक सराहनीय प्रयास है। इस पुस्तक में विभीन पोस्टरों के माध्यम से जल चेतना कि बात कही गई है साथ ही इसी आधार से  जल संरक्षण से जुड़े विभिन्‍न मुद्दों पर आसान और सरल शब्‍दावली में प्रामाणिक जानकारी उपलब्‍ध करायी गयी है। इस कारण पुस्‍तक पठनीय एवं संग्रहणीय बन पड़ी है।  

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