नई दिल्ली. जिस्म बेंच कर कमाई करने वाली महिलाओं की हकीकत बहुत कड़वी है। उन्हें कुल कमाई का मात्र चौथाई हिस्सा ही मिल पाता है। बाकी हिस्सा बिचौलिए खा जाते हैं। यही कारण है कि मोटी कमाई के बाद भी उनकी यथा स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाता। मजबूरन धंधा करना पड़ता है। इसका खुलासा भारतीय पतिता उद्धार सभा ने किया है।
वेश्याओं के लिए काम करने वाले इस एनजीओ ने उनके अधिकार के लिए मुहिम शुरू की है। इसके अध्यक्ष खैराती लाल भोला ने बताया कि सरकार को इस समस्या की तरफ ध्यान देना चाहिए। इससे इस समाजिक अभिशाप को मिटाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि कोई भी औरत इस धंधे में शौक के लिए नहीं आती। मजबूरी उसे इस धंधे में खींच लाती है या फिर उसे जबरन इसमें धकेल दिया जाता है। उसके शरीर का सौदा बिचौलिए करते हैं। वे कमाई का बड़ा हिस्सा खुद रख लेते हैं। वेश्याओं को कमाई का चौथाई हिस्सा ही मिल पाता है।
उन्होंने बताया कि देश में 11 सौ रेड लाइट एरिया हैं। इसमें साढ़े पच्चीस लाख वेश्यायें काम करती हैं। यदि कोई महिला इसके खिलाफ आवाज उठाती है तो उसे मारपीट व शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। उनके के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आगे आना चाहिए।
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