औद्योगिक नगरी में आए 'तेरापंथ के राम'
:आचार्य महाश्रमण के स्वागत में हर समाज ने बिछाए पलक पावड़े
:जगह-जगह हुआ अभिवादन, तोरण द्वार सजे, उमड़े हजारों श्रद्धालु
अहिंसा की हो साधना
आचार्य महाश्रमण ने इंसानियत धर्म जीने की प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति वर्तमान जीवन को ही न देखे, वह परम गति पर भी ध्यान दे। व्यक्ति अगर आत्मा का कल्याण करना चाहता है तो वह जीवन में अहिंसा की साधना करे। व्यक्ति में अनुकंपा की चेतना का विकास हो। उन्होंने नैतिकता व ईमानदारी का जीवन में प्रयोग करने का आह्वान करते हुए कहा कि बाजार में नैतिकता की देवी विराजमान रहे। बाजार में दुकानदार ईमानदार रहे और बेईमानी से बचने का प्रयास करे। मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभाजी ने भी उद्बोधन दिया। कार्यक्रम के अंत में पन्यास व्यवस्था समिति संयोजक देवराज खींवसरा ने अपना वक्तव्य दिया।
बालोतराजैन धर्म तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण धवल सेना के साथ रविवार अल सवेरे औद्योगिक नगरी बालोतरा पहुंचे। तेरापंथ समाज के 11 वें आचार्य महाश्रमण ने अपनी धवल सेना के साथ औद्योगिक नगरी बालोतरा में रविवार को सवेरे 8.30 बजे प्रवेश किया।
जैन समाज के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने जसोल फांटा पर गुरुदेव की अगवानी की। भगवान महावीर स्वामी, आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ, आचार्य महाश्रमण के जयकारों के साथ-साथ निज पर शासन फिर अनुशासन व अहिंसा परमो धर्म के जयकारों से औद्योगिक नगरी धर्ममय हो गई। 36 कौम के लोगों ने अपने-अपने समाजों के तोरण द्वार लगा आचार्य का अभिनंदन किया। जसोल फांटा पर स्वागत के बाद आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ बालोतरा की ओर अग्रसर हुए। करीब एक किलोमीटर लंबे जुलूस में सबसे आगे तेरापंथ समाज के युवक जैन ध्वज लिए चल रहे थे। इसके बाद जैन समाज के विभिन्न संगठन तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, कन्या मंडल, किशोर मंडल के सदस्य कतारबद्ध हाथों में तख्तियां लिए चल रहे थे। आचार्य महाश्रमण का जुलूस शहर के छतरियों का मोर्चा, पंचायत समिति, उपखंड अधिकारी कार्यालय, डाक बंगलों, प्रथम रेलवे फाटक, पुराना बस स्टेशन, शास्त्री चौक, गौर का चौक, नयापुरा, हनुमंत भवन होते हुए अग्रवाल कॉलोनी होता हुआ नये तेरापंथ भवन पहुंचा। यहां गुरुवर ने मंत्रोच्चारण किया। लाभार्थी देवराज खींवसर ने भवन का फीता काट उद्घाटन किया। विशाल सभागार में आचार्य महाश्रमण ने नवकार मंत्र का उच्चारण किया। इसके बाद विशाल पंडाल अमृत समवसरण में भगवान महावीर के चरणों में श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए प्रवचन आरंभ किया। कार्यक्रम में साधु-साध्वी वृंद के साथ हजारों महिला-पुरुष उपस्थित थे।
:आचार्य महाश्रमण के स्वागत में हर समाज ने बिछाए पलक पावड़े
:जगह-जगह हुआ अभिवादन, तोरण द्वार सजे, उमड़े हजारों श्रद्धालु
अहिंसा की हो साधना
आचार्य महाश्रमण ने इंसानियत धर्म जीने की प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति वर्तमान जीवन को ही न देखे, वह परम गति पर भी ध्यान दे। व्यक्ति अगर आत्मा का कल्याण करना चाहता है तो वह जीवन में अहिंसा की साधना करे। व्यक्ति में अनुकंपा की चेतना का विकास हो। उन्होंने नैतिकता व ईमानदारी का जीवन में प्रयोग करने का आह्वान करते हुए कहा कि बाजार में नैतिकता की देवी विराजमान रहे। बाजार में दुकानदार ईमानदार रहे और बेईमानी से बचने का प्रयास करे। मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभाजी ने भी उद्बोधन दिया। कार्यक्रम के अंत में पन्यास व्यवस्था समिति संयोजक देवराज खींवसरा ने अपना वक्तव्य दिया।
बालोतराजैन धर्म तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण धवल सेना के साथ रविवार अल सवेरे औद्योगिक नगरी बालोतरा पहुंचे। तेरापंथ समाज के 11 वें आचार्य महाश्रमण ने अपनी धवल सेना के साथ औद्योगिक नगरी बालोतरा में रविवार को सवेरे 8.30 बजे प्रवेश किया।
जैन समाज के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने जसोल फांटा पर गुरुदेव की अगवानी की। भगवान महावीर स्वामी, आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ, आचार्य महाश्रमण के जयकारों के साथ-साथ निज पर शासन फिर अनुशासन व अहिंसा परमो धर्म के जयकारों से औद्योगिक नगरी धर्ममय हो गई। 36 कौम के लोगों ने अपने-अपने समाजों के तोरण द्वार लगा आचार्य का अभिनंदन किया। जसोल फांटा पर स्वागत के बाद आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ बालोतरा की ओर अग्रसर हुए। करीब एक किलोमीटर लंबे जुलूस में सबसे आगे तेरापंथ समाज के युवक जैन ध्वज लिए चल रहे थे। इसके बाद जैन समाज के विभिन्न संगठन तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, कन्या मंडल, किशोर मंडल के सदस्य कतारबद्ध हाथों में तख्तियां लिए चल रहे थे। आचार्य महाश्रमण का जुलूस शहर के छतरियों का मोर्चा, पंचायत समिति, उपखंड अधिकारी कार्यालय, डाक बंगलों, प्रथम रेलवे फाटक, पुराना बस स्टेशन, शास्त्री चौक, गौर का चौक, नयापुरा, हनुमंत भवन होते हुए अग्रवाल कॉलोनी होता हुआ नये तेरापंथ भवन पहुंचा। यहां गुरुवर ने मंत्रोच्चारण किया। लाभार्थी देवराज खींवसर ने भवन का फीता काट उद्घाटन किया। विशाल सभागार में आचार्य महाश्रमण ने नवकार मंत्र का उच्चारण किया। इसके बाद विशाल पंडाल अमृत समवसरण में भगवान महावीर के चरणों में श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए प्रवचन आरंभ किया। कार्यक्रम में साधु-साध्वी वृंद के साथ हजारों महिला-पुरुष उपस्थित थे।
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