मंगलवार, 27 मार्च 2012

बेटा होने की बधाई और हाथ में यह क्या थमा दिया!


 
संभाग के सबसे बड़े उम्मेद महिला एवं शिशु अस्पताल के लेबररूम में स्टाफ की लापरवाही से रविवार देर रात दो प्रसूताओं के बच्चे बदल गए। इनमें एक लड़का व एक लड़की है। इस घटना के बाद पूरी रात लेबररूम के डॉक्टर व नर्सेज दोनों पक्षों को समझाने में लगे रहे, लेकिन बात नहीं बनी। सुबह अस्पताल प्रबंधन को जानकारी मिलने पर अधीक्षक ने गायनी विभागाध्यक्ष से मामले की जांच करवाई। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि लेबररूम में कार्यरत दो सहायक कर्मचारियों के कारण यह घटना हुई। इनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही लेबररूम में कार्यरत सभी कर्मचारियों को नोटिस देने की भी तैयारी की जा रही है। मामले की जांच खांडा फलसा पुलिस कर रही है।बाड़मेर जिले के कुसिप गांव (तहसील सिवाना) निवासी पूनम कंवर पत्नी चैन सिंह व बायतू क्षेत्र की निवासी रेशमी देवी का रविवार देर रात उम्मेद अस्पताल के लेबररूम में प्रसव हुआ। पूनम कंवर के परिजनों का कहना है कि उनसे बेटा होने की बधाई मांगी गई थी। साथ ही पूनम कंवर को जब लेबररूम से वार्ड में शिफ्ट किया गया तो उसे बेटा दिया गया। करीब दो घंटे बाद कर्मचारी वापस आकर बेटा ले गए और कहने लगे कि उसने बेटी को जन्म दिया है। इसको लेकर रात करीब दो बजे से ही विवाद शुरू हो गया।इधर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि पूनमकंवर को बेटी व रेशमी देवी को बेटा होने की सूचना देकर फार्म पर हस्ताक्षर करवाए थे। इसके बाद पूनम कंवर को कॉटेज में शिफ्ट करने के दौरान उसके साथ गलती से रेशमी देवी का बेटा भेज दिया गया। इस गलती का पता लगने के बाद जब पूनमकंवर को लड़का लेकर लड़की दी गई तो उसने लेने से इनकार कर दिया। पुलिस ने दोनों के बयान भी लिए हैं। ‘लक्ष्मी’ से दूरी अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि रात को प्रसव के बाद लेबररूम के कर्मचारियों ने पूनम कंवर को बेटी होने की जानकारी देकर व रेशमी देवी को बेटा होने की जानकारी देकर फार्म पर हस्ताक्षर करवाए थे, लेकिन अब पूनम कंवर बेटी लेने से इनकार कर रही हैं। रविवार रात दो बजे बाद से नवजात बच्ची को नर्सरी में रखा गया है। जहां उसे ऊपर का दूध दिया जा रहा है। डीएनए जांच की मांग पूनम कंवर के पति चैनसिंह ने अस्पताल प्रबंधन को दिए प्रार्थना पत्र में इस मामले में डीएनए जांच कराने की मांग की है। चैनसिंह ने इस बात का भी हवाला दिया कि सुबह जब परिजनों ने जांच की मांग की तो लेबररूम में डॉक्टरों ने कहा कि इसका खर्च एक लाख रुपए आएगा। दोपहर बाद अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में रक्त के नमूने जांच के लिए हैं। फुट प्रिंट जांचेंगे अस्पताल में जन्म लेने वाले सभी बच्चों के उनके टिकट पर ही पांव के निशान लिए जाते हैं। इनकी जांच से भी असलियत सामने आ सकती है। अस्पताल प्रबंधन ने खांडा पुलिस को दस्तावेज उपलब्ध करवा दिए हैं। इसकी जांच फोरेंसिक लैब में होगी। बेटा हुआ तो यह नाटक हो गया 'मेरी पत्नी का यह आठवां प्रसव है। अभी दो बेटियां ही जीवित हैं। मेरी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया है, लेकिन इसमें अब नाटक हो रहा है।' सागरराम, रेशमी देवी का पति बेटा सौंपने के बाद बेटी क्यों दी? 'मेरी पत्नी ने लड़के को ही जन्म दिया था। दो तीन घंटे बाद अस्पताल के कर्मचारी उसे वापस ले गए। मैने प्रार्थना पत्र देकर जांच कराने को कहा है।' चैनसिंह, पूनम कंवर का पति दस्तखत करवाए, तब होश नहीं था 'लेबररूम से मुझे लड़का ही दिया था। दो घंटे बाद अस्पताल के कर्मचारी उसे वापस ले गए। जब हस्ताक्षर करवाए थे उस समय मैं पूरी तरह होश में नहीं थी।'
पूनम कंवर, प्रसूता दोनों पक्ष के बयान लिए हैं 'जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही तय होगा कि इस मामले की असलियत जानने के लिए क्या किया जा सकता है। हमने दोनों पक्षों के बयान लिए हैं।' ढगलाराम थाना अधिकारी, खांडा फलसा मामला पुलिस में 'बच्चे बदलने की घटना की रिपोर्ट आ गई है। पूनमकंवर को शिफ्ट करते समय अस्पताल की नियमित स्वीपर व बाई द्वारा बिना किसी को बताए रेशमी देवी का बच्चा देने की बात सामने आई है। इनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। रिकॉर्ड के मुताबिक रेशमी देवी ने बेटे को जन्म दिया है, इसलिए उसे उसके पास ही रखा गया है। जबकि बच्ची को नर्सरी में रखा गया है। पुलिस इसकी जांच कर रही है। हमने बच्चों के फुट इंप्रेशन पुलिस को दे दिए हैं।' डॉ. नरेंद्र छंगाणीअधीक्षक, उम्मेद अस्पताल
नवजात का क्या कसूर? उम्मेद अस्पताल में सात वर्ष बाद एक बार फिर मार्च में बच्चे बदलने की घटना ने अस्पताल प्रबंधन को चिंता में डाल दिया है। रविवार रात हुई इस घटना के बाद लड़के पर दोनों पक्ष दावा कर रहे है, लेकिन दूसरी ओर एक मासूम जन्म के कुछ घंटे बाद ही अपनी मां से बिछुड़ गईं। इस बच्ची का दुर्भाग्य है कि मां होते हुए भी उसे पहले दिन से ही ऊपर का दूध देना पड़ रहा है। अस्पताल की नर्सरी के कर्मचारी उसका पूरा ध्यान रख रहे हैं। मासूम इस बात से अनजान है कि उसकी मां कौन है? कमोबेश यही हालत पूनम कंवर व रेशमी देवी की है। दोनों का दावा है कि उन्होंने बेटे को जन्म दिया है। लेबररूम के रिकॉर्ड के मुताबिक लड़के को अभी रेशमी देवी के पास रखा गया है। दोनों अभी लेबररूम में ही है। इधर पूनम कंवर के परिजन बेटी लेने को तैयार नहीं हैं। प्रतिबंध के बावजूद बधाई वसूली प्रबंधन के तमाम प्रयासों के बावजूद लेबररूम के सहायक कर्मचारियों द्वारा संतान पैदा होने पर बधाई वसूल जा रही है। पूनम कंवर के साथ आई कैलाश कंवर ने बताया कि रविवार को उनसे बेटा होने की बधाई मांगी गई, जबकि अस्पताल में बधाई लेने पर प्रतिबंध है। 2005 में हुई थी घटना सात वर्ष पहले मार्च 2005 में भी बधाई लेने के चक्कर में ऐसा ही विवाद हुआ था। जोधपुर शहर के दो परिवारों के बीच भी लड़के के जन्म को लेकर दावा किया गया। बाद में पुलिस के मार्फत मामला फोरेंसिक विभाग में पहुंचा। जहां से डीएनए के लिए नमूने जांच के लिए हैदराबाद भेजे गए। रिपोर्ट आने के बाद ही मामला शांत हुआ। स्टाफ बढ़ाने की जरूरत उम्मेद अस्पताल के लेबररूम में सर्वाधिक दबाव रहता है,लेकिन इसके अनुरूप यहां स्टाफ नहीं है। इस तरह के मामले व व्यवस्थाओं को संचालित करने के लिए नर्सिग कर्मियों की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है। यहां शाम व रात की पारी में चार -चार नर्सिगकर्मी लगाए जाते हैं, जो पर्याप्त नहीं हैं। अस्पताल में वर्तमान में नर्सिग कर्मियों के करीब सौ पद खाली पड़े हैं।

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