हांगकांग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक रोबोटिक हाथ तैयार किया है जो हाथ की अंगुलियों में हरकत पैदा करता है। इस रोबोटिक हाथ से लकवे के शिकार रोगियों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस रोबोटिक हाथ का आविष्कार डॉ. रेमंड टोंग ने किया है।
रोबोटिक हाथ : यह रोबोटिक हाथ एल्यूमीनियम का बना है और व्यक्ति के हाथ के ऊपर बंधा रहता है। जब हाथ की मांसपेशियों से विद्युतीय तरंगें पैदा होती हैं तो यह उन्हें पहचान लेता है और हरकत में आ जाता है। इसके बाद अंगुलियों को हिलने का आदेश देता है।
कैसे करता है काम : डॉ. टोंग के मुताबिक, जब हमारा मस्तिष्क संकेत भेजता है तो वे नर्वस सिस्टम से गुजरते हुए मांसपेशियों तक पहुंचते हैं। इससे मांसपेशियों में हरकत होती है, जिसे इलैक्ट्रोमायोग्राम या ईएमजी कहते हैं। यह रोबोटिक डिवाइस उस ईएमजी की पहचान कर हाथ को उसके अनुरूप नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल करता है।
सफल रहा है प्रयोग : अभी तक लकवे के शिकार 12 रोगियों पर इस रोबोटिक हाथ का प्रयोग किया जा चुका है। संबंधित लोगों को इस हाथ के साथ 20 दिनों तक एक-एक घंटे का प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे इसका इस्तेमाल करना सीख सकें। इस प्रशिक्षण के बलबूते लकवे के शिकार लोगोंं ने अपने मस्तिष्क को फिर से प्रशिक्षित करके हाथ का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
आगे क्या : हांगकांग विश्वविद्यालय अब एक कंपनी के साथ मिलकर इस रोबोटिक हाथ को बनाने और बेचने की योजना पर काम कर रहा है। लेकिन इससे पहले डॉ. टोंग इसका पेटेंट करवा रहे हैं, ताकि दुनिया भर के साथ इस रोबोटिक हाथ की तकनीक को साझा किया जा सके।
रोबोटिक हाथ : यह रोबोटिक हाथ एल्यूमीनियम का बना है और व्यक्ति के हाथ के ऊपर बंधा रहता है। जब हाथ की मांसपेशियों से विद्युतीय तरंगें पैदा होती हैं तो यह उन्हें पहचान लेता है और हरकत में आ जाता है। इसके बाद अंगुलियों को हिलने का आदेश देता है।
कैसे करता है काम : डॉ. टोंग के मुताबिक, जब हमारा मस्तिष्क संकेत भेजता है तो वे नर्वस सिस्टम से गुजरते हुए मांसपेशियों तक पहुंचते हैं। इससे मांसपेशियों में हरकत होती है, जिसे इलैक्ट्रोमायोग्राम या ईएमजी कहते हैं। यह रोबोटिक डिवाइस उस ईएमजी की पहचान कर हाथ को उसके अनुरूप नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल करता है।
सफल रहा है प्रयोग : अभी तक लकवे के शिकार 12 रोगियों पर इस रोबोटिक हाथ का प्रयोग किया जा चुका है। संबंधित लोगों को इस हाथ के साथ 20 दिनों तक एक-एक घंटे का प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे इसका इस्तेमाल करना सीख सकें। इस प्रशिक्षण के बलबूते लकवे के शिकार लोगोंं ने अपने मस्तिष्क को फिर से प्रशिक्षित करके हाथ का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
आगे क्या : हांगकांग विश्वविद्यालय अब एक कंपनी के साथ मिलकर इस रोबोटिक हाथ को बनाने और बेचने की योजना पर काम कर रहा है। लेकिन इससे पहले डॉ. टोंग इसका पेटेंट करवा रहे हैं, ताकि दुनिया भर के साथ इस रोबोटिक हाथ की तकनीक को साझा किया जा सके।
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