मृतक ने की टांके की खुदाई!
बाड़मेर। महानरेगा में एक ऎसे व्यक्ति को टांके की खुदाई में श्रमिक के तौर पर नियोजित बताकर भुगतान बना दिया, जो इस दुनिया में ही नहीं है। यह कारनामा पंचायत समिति सिणधरी की ग्राम पंचायत कमठाई ने कर दिखाया।
ग्राम पंचायत कमठाई के राजस्व गांव टाकूबेरी निवासी बींजाराम पुत्र पूनमाराम के नाम से महानरेगा में टांका स्वीकृत हुआ। टांका निर्माण के लिए पिछले वर्ष 25 से 31 मार्च तक चार जनों को रोजगार दिया गया। रोजगार प्राप्त करने वालों में तीन अन्य श्रमिकों के साथ एक लालाराम पुत्र कानाराम का नाम भी शामिल है। लालाराम को छह दिन का रोजगार दिया जाना दर्शाया गया है। जबकि उस समयावधि में लालाराम जीवित ही नहीं था। उसकी पांच माह पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। ग्राम पंचायत की ओर से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के मुताबिक वह 17 अक्टूबर 2010 को ही फोत (मृत्यु) हो गया।
भुगतान भी बना दिया
मृत्यु के पश्चात लालाराम को रोजगार पर नियोजित बताकर उसकी मजदूरी भी बना दी गई। छह दिन के काम के बदले चार सौ पचास रूपए का भुगतान बनाकर ग्राम सेवा सहकारी समिति कमठाई को भिजवा दिया गया। समिति में लालाराम के खाते में राशि जमा हो गई। समिति अध्यक्ष ने भुगतान पर रोक लगा दी, लेकिन राशि अब भी मृतक के खाते में पड़ी है। हैरत की बात यह है कि ग्राम पंचायत कमठाई के ग्रामसेवक, पंचायत समिति के लेखा सहायक व विकास अधिकारी सिणधरी तक सभी ने मृत व्यक्ति के रोजगार पर नियोजित होने की ताईद की है और किसी भी स्तर पर इस मामले की जांच नहीं हुई है।
जांच कर कार्रवाई करेंगे : यह मामला मेरे ध्यान में नहीं है। ऎसा हुआ है तो जांच कर कार्रवाई करेंगे।
छगनलाल श्रीमाली,
मुख्य कार्यकारी अधिकारीजिला परिषद, बाड़मेर
बाड़मेर। महानरेगा में एक ऎसे व्यक्ति को टांके की खुदाई में श्रमिक के तौर पर नियोजित बताकर भुगतान बना दिया, जो इस दुनिया में ही नहीं है। यह कारनामा पंचायत समिति सिणधरी की ग्राम पंचायत कमठाई ने कर दिखाया।
ग्राम पंचायत कमठाई के राजस्व गांव टाकूबेरी निवासी बींजाराम पुत्र पूनमाराम के नाम से महानरेगा में टांका स्वीकृत हुआ। टांका निर्माण के लिए पिछले वर्ष 25 से 31 मार्च तक चार जनों को रोजगार दिया गया। रोजगार प्राप्त करने वालों में तीन अन्य श्रमिकों के साथ एक लालाराम पुत्र कानाराम का नाम भी शामिल है। लालाराम को छह दिन का रोजगार दिया जाना दर्शाया गया है। जबकि उस समयावधि में लालाराम जीवित ही नहीं था। उसकी पांच माह पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। ग्राम पंचायत की ओर से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के मुताबिक वह 17 अक्टूबर 2010 को ही फोत (मृत्यु) हो गया।
भुगतान भी बना दिया
मृत्यु के पश्चात लालाराम को रोजगार पर नियोजित बताकर उसकी मजदूरी भी बना दी गई। छह दिन के काम के बदले चार सौ पचास रूपए का भुगतान बनाकर ग्राम सेवा सहकारी समिति कमठाई को भिजवा दिया गया। समिति में लालाराम के खाते में राशि जमा हो गई। समिति अध्यक्ष ने भुगतान पर रोक लगा दी, लेकिन राशि अब भी मृतक के खाते में पड़ी है। हैरत की बात यह है कि ग्राम पंचायत कमठाई के ग्रामसेवक, पंचायत समिति के लेखा सहायक व विकास अधिकारी सिणधरी तक सभी ने मृत व्यक्ति के रोजगार पर नियोजित होने की ताईद की है और किसी भी स्तर पर इस मामले की जांच नहीं हुई है।
जांच कर कार्रवाई करेंगे : यह मामला मेरे ध्यान में नहीं है। ऎसा हुआ है तो जांच कर कार्रवाई करेंगे।
छगनलाल श्रीमाली,
मुख्य कार्यकारी अधिकारीजिला परिषद, बाड़मेर
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