शास्त्रों के अनुसार भगवान की पूजा के संबंध में कई नियम बताए गए हैं। इन्हीं नियमों में से एक है कि कुछ खाने के तुरंत बाद पूजा नहीं करना चाहिए। साथ ही स्नान के बाद ही भोजन आदि ग्रहण करना चाहिए। इसके अलावा ऐसा भी नियम है कि दान करने के बाद हमें भोजन या अन्य अन्न ग्रहण करना चाहिए। इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
ऊख वारि पय मूल, पुनि औषधहू खायके।
तथा खाय तांबूल, स्नान दान आदिक उचित।।
ऊख, जल, दूध, पान, फल-फूल, औषधि इन 6 चीजों को खाने के बाद भी हम स्नान कर सकते हैं, दान कर सकते हैं, पूजा कर सकते हैं।
सामान्यत: ऐसा माना जाता है कि भगवान की पूजा से पहले हमें कुछ भी खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए। भोजन आदि खाने की चीजों को नहाने के बाद ही खाना चाहिए। जबकि इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रस्त है तो उसे इन नियमों में बांधा नहीं जा सकता है। बीमारी की अवस्था में रोगी व्यक्ति दूध, जल, फल, दवाई आदि ग्रहण करके भी स्नान आदि क्रियाएं कर सकता है। इसके बाद वह पूजा आदि धार्मिक कार्य भी कर सकता है, ऐसा करने से भी रोगी पाप का भागी नहीं होता है।
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