रविवार, 22 जनवरी 2012

ऐसे बढ़ाएं अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता


कैसे रहें हेल्दी/फिट/स्मार्ट/स्वस्थ.

ऐसे बढ़ाएं अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता
पंडित दयानन्द शास्त्री



शरीर लगातार विभिन्न प्रकार की बीमारियों के वाहक जीवाणुओं के हमले झेलता रहता है। ये हमले नाकाम तभी हो सकते हैं जब हमारे शरीर का किला यानी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो। इस किले को मजबूत करना कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है।

हालांकि, लाइफस्टाइल में बदलाव के कारण होने वाली बीमारियों का असर लगभग सभी देशों में देखा जाता है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)की मानें तो भारत में लाइफस्टाइल से जुड़ी बिमारियां दूसरे देशों के मुकाबले खतरनाक हैं। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार अस्वास्थ्यकर कार्यक्षेत्र में होने वाले रोगों के कारण तक कारण भारत को वर्ष 2015 तक 237 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। अनहेल्दी वर्कप्लेस में होने वाली बीमारियों में हर्ट डिजीज, डाइबिटीज, स्ट्रोक और कैंसर प्रमुख हैं।

आइए देखते हैं कैसे :----

जल----
यह प्राकृतिक औषधि है। प्रचुर मात्रा में शुद्ध जल के सेवन से शरीर में जमा कई तरह के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पानी या तो सामान्य तापमान पर हो या फिर थोड़ा कुनकुना। फ्रिज के पानी के सेवन से बचें।खूब पानी पीएं..शरीर में मौजूद पानी शारीरिक और मानसिक परफॉमेंüस को बढ़ाने में मदद करता है। अपने डेस्क पर एक पानी की बोतल रखें। इससे आपको पार्याप्त मात्रा में पानी पीने में मदद मिलेगी। पानी की बोतल पास होगी, तो आपको बार-बार उठकर नहीं जाना पड़ेगा और इसके साथ ही आप आसानी से पार्याप्त पानी पी सकेंगे। ऑफिस में दिन भर के दौरान लगभग आठ गिलास तक पानी पीना काफी होगा। पानी की जगह दूसरे सपलीमेंट जैसे नींबू पानी और नारियल पानी भी ले सकते हैं।

रसदार फल----
संतरा, मौसमी आदि रसदार फलों में भरपूर मात्रा में खनिज लवण तथा विटामिन सी होता है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आप चाहें तो पूरे फल खाएँ और चाहें तो इनका रस निकालकर सेवन करें। हां, रस में शकर या नमक न मिलाएं।

गिरीदार फल---
सर्दी के मौसम में गिरीदार फलों का सेवन फायदेमंद होता है। इन्हें रात भर भिगोकर रखने व सुबह चाय या दूध के साथ, खाने से आधे घंटे पहले लेने से बहुत लाभ होता है।

अंकुरित अनाज---
अंकुरित अनाज (जैसे मूंग, मोठ, चना आदि) तथा भीगी हुई दालों का भरपूर मात्रा में सेवन करें। अनाज को अंकुरित करने से उनमें उपस्थित पोषक तत्वों की क्षमता बढ़ जाती है। ये पचाने में आसान, पौष्टिक और स्वादिष्ट होते हैं।

---हेल्दी स्नैक्स : ऑफिस में भूख लगने पर जंक फूड, सोडा या समोसे कचौड़ी खाने से अच्छा है हेल्दी स्नैक्स खाना। घर से निकलते समय लैपटॉप बैग में कोई फल या अंकुरित दालों से बना हेल्दी स्नैक्स रख सकते हैं।

सलाद---
भोजन के साथ सलाद का उपयोग अधिक से अधिक करें। भोजन का पाचन पूर्ण रूप से हो, इसके लिए सलाद का सेवन जरूरी होता है। ककड़ी, टमाटर, मूली, गाजर, पत्तागोभी, प्याज, चुकंदर आदि को सलाद में शामिल करें। इनमें प्राकृतिक रूप से मौजूद नमक हमारे लिए पर्याप्त होता है। ऊपर से नमक न डालें।

चोकर सहित अनाज----
गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का जैसे अनाज का सेवन चोकर सहित करें। इससे कब्ज नहीं होगी तथा प्रतिरोध क्षमता चुस्त-दुरुस्त रहेगी।

तुलसी----
तुलसी का धार्मिक महत्व अपनी जगह है मगर इसके साथ ही यह एंटीबायोटिक, दर्द निवारक और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी फायदेमंद है। रोज सुबह तुलसी के 3-5 पत्तों का सेवन करें।

योग----
योग व प्राणायाम शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी जानकार से इन्हें सीखकर प्रतिदिन घर पर इनका अभ्यास किया जाना चाहिए।

हंसिए भी---
हंसने से रक्त संचार सुचारु होता है व हमारा शरीर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन ग्रहण करता है। तनावमुक्त होकर हंसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने में मदद मिलती है।

शंख बजाइए और रोगों से छुटकारा पाइए---

अगर आपको खांसी, दमा, पीलिया, ब्लडप्रेशर या दिल से संबंधित मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो इससे छुटकारा पाने का एक सरल-सा उपाय है – शंख बजाइए और रोगों से छुटकारा पाइए। शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है। शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

योग से कमर को बनाएँ सुडौल----




यदि आपकी कमर और पेट लचकदार तथा संतुलित हैं तो स्फूर्ति और जोश तो कायम रहेगा ही साथ ही आप कई तरह के रोग से बच जाएंगे। अनियमित और अत्यधिक खान-पान के कारण कमर के कमरा बनने में देर नहीं लगती। कमर के छरहरा होने से व्यक्ति फिट नजर तो आता ही है साथ ही उसमें फूर्ति भी बनी रहती है। कमर को छरहरा बनाए रखने के लिए एक्सपर्ट दे रही हैं कुछ योगा टिप्स।

कटिचक्रासन----

स्टेप-१---
कटि चक्रासन करें। सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएँ। फिर दोनों होथों को कमर पर रखकर कमर से पीछे की ओर जहाँ तक संभव हो झुककर वहाँ रुकें। अब साँस की गति सामान्य रखकर आँखें बंद कर लें और कुछ देर इसी पोजिशन में रुकने के बाद वापस आ जाएँ। ४-५ बार दोनों ओर से इसका अभ्यास कर लें।

स्टेप-२---
इसके बाद पुनः सावधान मुद्रा में खड़े होकर दाएँ हाथ को बाएँ कंधे पर और बाएँ हाथ को दाएँ कंधे पर रखकर पहले दाईं ओर कमर से पीछे की ओर मुड़े। गर्दन को भी मोड़कर पीछे की ओर देखें। अब साँस की गति सामान्य रखकर आँखें बंद कर लें और कुछ देर इसी पोजिशन में रुकने के बाद वापस आ जाएँ। 4-5 बार दोनों ओर से इसका अभ्यास कर लें। इसी तरह बाईं ओर मुड़कर करें।

स्टेप-३---
सावधान मुद्रा में खड़े होकर फिर हथेलियों को पलटकर हाथों को ऊपर उठाकर समानांतर क्रम में सीधा कर लें। साँस लेते हुए कमर को बाईं ओर झुकाएँ। इसमें हाथ भी साथ-साथ बाईं ओर चले जाएँगे। अधिक से अधिक कमर झुकाकर वहाँ रुकें। अब साँस की गति सामान्य रखकर आँखें बंद कर लें और कुछ देर इसी पोजिशन में रुकने के बाद वापस आ जाएँ। 4-5 बार दोनों ओर से इसका अभ्यास कर लें।

स्टेप-४----

शवासन में लेटकर पहले दोनों हाथ समानांतर क्रम में फैला लें। फिर दाएँ पैर को बाईं ओर ले जाएँ और गर्दन को मोड़कर दाईं ओर देखें। इस दौरान बायाँ पैर सीधा ही रखें। फिर इसी क्रम में इसका विपरित करें। 4-5 बार दोनों ओर से इसका अभ्यास कर लें।

इसके लाभ : यह योग कमर की चर्बी को कम करता है। इसके अलावा यह कब्ज व गैस की प्रॉब्लम दूर करके किडनी, लीवर, आँतों व पैन्क्रियाज को भी स्वस्थ बनाए रखने में सक्षम हैं।

तिलबीजों का कोई विकल्प नहीं है----

तिलबीज एक प्राचीन तिलहन है जिसका पौराणिक महत्व है। मानव इतिहास के आदिकाल से ही इसे प्रतिष्ठापूर्ण स्थान मिला हुआ है। तिलबीजों के असंख्य गुणों के कारण इसे लगभग हर धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल किया जाता है।

* तिल कैल्शियम, मैगनेशियम, आयरन, फास्फोरस, जिंक और रेशे का बढ़िया स्त्रोत है।
* देवताओं ने पृथ्वी का निर्माण करने से पहले तिलबीज से बनने वाली शराब पी थी।
* तिल का एक चौथाई कप तांबे की रोजाना की खुराक की 75 फीसद मात्रा की आपूर्ति करता है।

गुणकारी तिलबीज का तेल भोजन में तो इस्तेमाल किया ही जाता है, मालिश के लिए भी इसे मुफीद माना जाता है। तिल का तेल वेसोडायलेटर माना जाता है जिससे मालिश के बाद नसें फैलती हैं व रक्त प्रवाह बेहतर होता है।

तिलबीज मैंगनीज़, तांबा, कैल्शियम, मैगनेशियम, आयरन, फास्फोरस, विटामिन बी-1, जिंक और रेशे का बढ़िया स्त्रोत है। इन महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्वों के अलावा दो और अनोखे तत्व तिल में पाए जाते हैं – सिस्सामिन और सिसामोलिन। दोनों पदार्थ विशेष लाभकारी रेशे लिगनान्स समूह के सदस्य हैं। इन्हें कोलेस्ट्रोल और उच्च रक्तचाप कम करने वाले पदार्थों के तौर पर जाना जाता है। तिलबीज लीवर को ऑक्सीडेटिव नुकसान से भी बचा लेती है।

तिल के बीजों का प्रभाव----
असीरियन पुराणों में वर्णन है कि देवताओं ने पृथ्वी का निर्माण करने से पहले तिलबीज से बनने वाली शराब पी थी। एशियाई आहार श्रृंखला में आदिकाल से तिलबीज शामिल रहे हैं। ईसा के 3000 साल पहले से 5000 साल बाद तक जिक्र होता रहा है कि चीनी सभ्यता में तिलबीज को सम्मानजनक स्थान हासिल है।

वे लोग सदियों से तिलबीज के तेल के दीपक से अपनी अंधेरी रातें रोशन करते आए हैं। चीनियों की काली रोशनाई भी तिलबीज के तेल के दीपक से बनती थी। अफ्रीकन काले नीग्रो गुलामों के साथ तिल के बीज अमेरिका महाद्वीप में भी पहुंच गए। अब तिल के बीज लगभग हर व्यंजन में इस्तेमाल किए जाते हैं। एशियाई देशों में तिलबीज के तेल का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता है।

जरूरी है तांबा-----
तिलबीज से भरा हुआ एक चौथाई कप तांबे की रोजाना की खुराक की 75 फीसद मात्रा की आपूर्ति कर देता है। इसी तरह मैगनेशियम की 32 फीसद तथा कैल्शियम की 36 फीसद कमी की पूर्ति करता है। यदि इतने खनिज तत्व आपको खुराक में रोज मिल रहे हैं तो इसमें से तांबे की मात्रा रिह्यूमेटाइड आर्थराइटिस से होने वाली तकलीफ में राहत प्रदान कर सकती है। तांबा दर्द निवारण एवं एंटिऑक्सीडेंट एंजाइम प्रणाली में महत्वपूर्ण घटक है।

यह धातु रक्त नलिकाओं में लचीलापन एवं मजबूती प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण धातु के रूप में जाना जाता है। मैग्नेशियम से रक्त नलिकाओं में शुद्धि एवं श्वसन संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है। मैगनेशियम से अस्थमा के दौरे में राहत मिलती है तथा श्वसन प्रणाली खुलने में सहायता मिलती है।

बहरहाल...। हम लाएं है आपके कुछ ऎसे सिंपल टिप्स जिसे अपनाकर फिट रहा जा सकता है -
फिट और फैट ... येदोनों शब्द लिखने - सुननेमें बेशक एक जैसे लगते हैंलेकिन असल में इन दोनोंस्थितियों के बीच भारी फर्कहै। यानी फिट होने पर आपतरोताजा , चुस्त - दुरुस्त ,स्मार्ट दिखते हैं औरबीमारियों से दूर रहते हैं ,वहीं फैट यानी मोटापा पर्सनैलिटी खराब करने के साथ - साथतमाम बीमारियों को भी न्योता देता है। डायबीटीज , हाईब्लडप्रेशर , कमर दर्द , दिल की बीमारी , घुटने में दर्द जैसीबीमारियों का खतरा मोटापे के साथ काफी ज्यादा बढ़ जाता है।
-----ब्रेक तो बनता है : ऑफिस ऑवर के दौरान एक जगह कुर्सी पर जमकर बैठे न रहें। काम के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लें और लगभग 40 मिनट तक टहलना तय करें। टहलने के बहाने ढुंढें। जैसे- कॉफी या चाय डेस्क पर बैठे-बैठे पीने के बजाय कप लेकर कैंटीन या बरामदे में चले जाएं और टहलते हुए चुस्कियां लें। यदि मोबाइल पर किसी से बात कर रहे हैं, तो भी डेस्क पर बैठने के बजाय बाहर चले जाएं और कॉल खत्म होने तक टहलें और फिर वापस आएं। इसी तरह ऑफिस टाइम से 10-15 मिनट पहले ऑफिस परिसर में पहुंचे। कार को ऑफिस की बिल्डिंग से दो-तीन ब्लॉक पहले पार्क करें और ऑफिस तक की दूरी टहलते हुए तय करें।
ऑफिस जिम का करें इस्तेमाल :--- लंच टाइम के दौरान ऑफिस जिम में जाकर 30 मिनट तक एक्सरसाइज करने की कोशिश करें।हैवी एक्सरसाइज न भी करें, तो ट्रेडमीड पर सिंपल वार्किग भी
काफी होगी।
----सिंपल स्ट्रैचिंग : ऑफिस में बैठे-बैठे आमतौर पर पांव, पीठ और ज्वाइंट में दर्द की शिकायत आम है। इस तरह के हेल्थ प्रॉब्लम से छुटकारा पाने के लिए कुर्सी पर बैठे-बैठे ही सिंपल स्टैचिंग कर सकते हैं। जितनी बार संभव हो हाथ की कलाईयों को सर्किल में घुमाएं, पैरों को सीधा करें और एड़ी को भी राउंड मूव करें। हाथ-पैरों को समय-समय पर स्टै्रच करें।
----लिफ्ट से बेहतर सीढियां : एलिवेटर या लिफ्ट के बजाय सीढियों का इस्तेमाल करें। सीढिया चढ़ने-उतरने से भी फिट और एनर्जेटिक होने में मदद मिलती है।
पावर योग :------- योग की यह तकनीक आजकल काफी चलन में है।योग में जहां एक ही स्थिति में कुछ देर रुकना होता है , वहींपावर योग में जोरदार और लगातार प्रैक्टिस होती है। इसमें एकही क्रिया को लगातार कई बार किया जाता है और सारा जोरस्ट्रेंथ और लचक पर होता है। लगातार मूवमंट से पसीना भीज्यादा निकलता है। ऐसे में वजन जल्दी घटता है , लेकिनप्रैक्टिस रोकने पर मसल टोनिंग कम हो जाती है। यानी बॉडी केलूज होने का खतरा होता है। पावर योग हमेशा एक्सपर्ट कीदेखरेख में ही करना चाहिए।


उज्जायी प्राणायाम :---- थायरॉइड के मरीजों के लिए यह काफीफायदेमंद है। सीधे बैठकर सांस बाहर निकालें। अब सांस भरते हुएगले की मांसपेशियों को टाइट करें और सांस भरते जाएं। साथ हीगले से घर्षण की आवाज करते जाएं। फिर नाक से सांस धीरे -से बाहर निकाल दें।
इन सभी आसनों को 8- 10 बार दोहराएं। अगर सुबह नियमितरूप से ये आसन किए जाएं तो एक महीने में किलो तक वजनकम हो सकता है। आसन खुद भी किए जा सकते हैं , लेकिनशुरुआत अगर किसी एक्सपर्ट या योग गुरु की देखरेख में कीजाए तो बेहतर है।

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