वाशिंगटन.संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने कहा है कि फ्रांस ने पहचान पत्र फोटो के लिए एक सिख बुजुर्ग से पगड़ी उतारने को कहकर उसके धार्मिक अधिकारों का हनन किया है।
अमेरिका स्थित सिखों के संगठन (यूनाइटेड सिख) ने 76 वर्षीय बुजुर्ग रंजीत सिंह की ओर से परिषद में आवेदन दिया था। सिंह ने वर्ष 2004 में पहचान पत्र में लगाई जाने वाली फोटो खिंचवाने के लिए अपनी पगड़ी उतारने से मना कर दिया था जिसके बाद उनका नागरिक कार्ड रद्द कर दिया गया। इस वजह से उन्हें पिछले छह वर्षो से किसी किस्म की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा अथवा सामाजिक सुविधा का लाभ नहीं मिला है।
संगठन ने कहा कि परिषद के मुताबिक भले ही पहचान पत्र की फोटो के लिए केवल एक बार पगड़ी उतरवाने की जरूरत पड़ती हो। फिर भी यह सिंह के धार्मिक अधिकारों का हनन है क्योंकि पहचान पत्र में तो वह लगातार बगैर पगड़ी के ही दिखेंगे। यह भी हो सकता है कि फोटो से उनकी पहचान मिलाने के लिए उन्हें बार-बार पगड़ी उतारने को कहा जाए।
परिषद ने यह भी कहा कि फ्रांस यह बता पाने में भी नाकाम रहा है कि केवल पगड़ी पहनने से किसी की पहचान कैसे छिप सकती है जबकि उसका चेहरा खुला हुआ हो। फ्रांस का यह नियम नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि के अनुच्छेद 18 का उल्लंघन है। फ्रांस में इस संधि से जुड़ा कानून चार फरवरी 1981 को लागू किया गया था।
सिंह ने परिषद की प्रतिक्रिया आने के बाद कहा 'मुझे पूरा भरोसा था कि सत्य और न्याय की जीत होगी और मैं काफी धैर्य के साथ इस दिन की प्रतीक्षा कर रहा था१ मैं प्रार्थना करता हूं कि फ्रांस अब अपने सभी दायित्वों को पूरा करेगा और मेरे रहने के लिए मकान देगा तथा पहचान पत्र पर पगड़ी के साथ मेरा फोटो लगाने की इजाजत देगा।
यूनाइटेड सिख की कानूनी निदेशक मजिंदरपाल कौर ने कहा कि वह परिषद के इस फैसले से काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि परिषद ने फ्रांस को यह भी कहा है कि वह देश में धार्मिक अधिकारों के हनन की पुनरावृति रोकने के लिए कदम उठाए।
अमेरिका स्थित सिखों के संगठन (यूनाइटेड सिख) ने 76 वर्षीय बुजुर्ग रंजीत सिंह की ओर से परिषद में आवेदन दिया था। सिंह ने वर्ष 2004 में पहचान पत्र में लगाई जाने वाली फोटो खिंचवाने के लिए अपनी पगड़ी उतारने से मना कर दिया था जिसके बाद उनका नागरिक कार्ड रद्द कर दिया गया। इस वजह से उन्हें पिछले छह वर्षो से किसी किस्म की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा अथवा सामाजिक सुविधा का लाभ नहीं मिला है।
संगठन ने कहा कि परिषद के मुताबिक भले ही पहचान पत्र की फोटो के लिए केवल एक बार पगड़ी उतरवाने की जरूरत पड़ती हो। फिर भी यह सिंह के धार्मिक अधिकारों का हनन है क्योंकि पहचान पत्र में तो वह लगातार बगैर पगड़ी के ही दिखेंगे। यह भी हो सकता है कि फोटो से उनकी पहचान मिलाने के लिए उन्हें बार-बार पगड़ी उतारने को कहा जाए।
परिषद ने यह भी कहा कि फ्रांस यह बता पाने में भी नाकाम रहा है कि केवल पगड़ी पहनने से किसी की पहचान कैसे छिप सकती है जबकि उसका चेहरा खुला हुआ हो। फ्रांस का यह नियम नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि के अनुच्छेद 18 का उल्लंघन है। फ्रांस में इस संधि से जुड़ा कानून चार फरवरी 1981 को लागू किया गया था।
सिंह ने परिषद की प्रतिक्रिया आने के बाद कहा 'मुझे पूरा भरोसा था कि सत्य और न्याय की जीत होगी और मैं काफी धैर्य के साथ इस दिन की प्रतीक्षा कर रहा था१ मैं प्रार्थना करता हूं कि फ्रांस अब अपने सभी दायित्वों को पूरा करेगा और मेरे रहने के लिए मकान देगा तथा पहचान पत्र पर पगड़ी के साथ मेरा फोटो लगाने की इजाजत देगा।
यूनाइटेड सिख की कानूनी निदेशक मजिंदरपाल कौर ने कहा कि वह परिषद के इस फैसले से काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि परिषद ने फ्रांस को यह भी कहा है कि वह देश में धार्मिक अधिकारों के हनन की पुनरावृति रोकने के लिए कदम उठाए।
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